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World Environment Day: देश को प्राणवायु दे रहा देवभूमि का फॉरेस्ट कवर, हिमाचल की देव परंपरा भी सिखाती है पेड़ लगाना

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Published : Jun 5, 2023, 2:14 PM IST

Updated : Jun 5, 2023, 2:30 PM IST

हिमाचल प्रदेश छोटा सा पहाड़ी राज्य होने के बाबजूद पूरे देश को प्राणवायु देता है. हिमाचल का फॉरेस्ट कवर 27.73% है और इसकी कुल वन संपदा 1.50 लाख करोड़ रुपये है. प्रदेश में देव परंपरा भी पौधारोपण (Forest Cover in Himachal) को प्रेरित करती है. प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल को 33 प्रतिशत फॉरेस्ट कवर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. (World Environment Day).

World Environment Day 2023.
हिमाचल का फॉरेस्ट कवर 27.73 फीसदी.

शिमला: पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, देश और दुनिया को बड़ा संदेश दे रहा है. हिमाचल में फॉरेस्ट कवर लगातार बढ़ रहा है. इस समय प्रदेश का फॉरेस्ट कवर 27.73 फीसदी है. यहां 15,443 वर्ग किलोमीटर फॉरेस्ट कवर है. हिमाचल का लक्ष्य इसे 33 फीसदी तक बढ़ाना है. हिमाचल की कुल वन संपदा 1.50 लाख करोड़ रुपये की है. पर्यावरण संरक्षण की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय काम किया है. यहां की खास बात ये है कि हिमाचल में देव परंपरा भी पर्यावरण संरक्षण की बात करती है. हिमाचल में कई जंगल देवताओं के नाम पर हैं और उनमें एक छोटी सी टहनी भी काटने की अनुमति नहीं होती है.

हिमाचल में हर साल रोपे जाते हैं करोड़ों पौधे: हिमाचल की विभिन्न सरकारों ने पौधरोपण को एक अभियान बनाया है. देवभूमि में पौधारोपण को पुण्य का काम माना जाता है. आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में वर्ष 2013-14 में 1.66 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1.35 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 1.22 करोड़ पौधे रोपे गए हैं. इसी तरह 2016-17 में 1.10 करोड़, 2017-18 में 1.18 करोड़, 2018-19 में 1.26 करोड़, 2019-20 में 1.45 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं. वर्ष 2020-21 में 1.53 करोड़ और वर्ष 2021-22 में 1.51 करोड़ पौधे खाली भूमि व खाली वन भूमि में रोपे गए हैं. इस वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में हिमाचल प्रदेश में 15 हजार हैक्टेयर भूमि पर पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया था. जिसे 31 मार्च को हासिल कर लिया गया है.

Forest Cover in Himachal Pradesh.
हिमाचल प्रदेश का फॉरेस्ट कवर.

औषधीय पौधों से संपन्न हिमाचल प्रदेश: हिमाचल में औषधीय पौधों को रोपने का अभियान भी साथ-साथ चलता है. औषधीय पौधों के तहत अर्जुन, हरड़, बहेड़ा और आंवला सहित अन्य पौधे रोपे जाते हैं. बंदरों को जंगलों में आहार उपलब्ध करवाने के लिए यहां जंगली फलदार पौधे भी रोपे जाते हैं. हिमाचल में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने वर्ष 2013-14 में 45.30 लाख, वर्ष 2014-15 में 46.70 लाख तथा वर्ष 2015-16 में 43 लाख औषधीय पौधे लगाए हैं. इसके बाद के सीजन में भी औषधीय पौधों के रोपण का औसतन आंकड़ा 43 से 48 फीसदी तक रहा है. यदि फॉरेस्ट कवर यानी वन आवरण क्षेत्र से हटकर कुल वन क्षेत्र की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश में कुल जमीन का 68.16 क्षेत्र वनों से ढका है. हिमाचल में 3163 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र डेंस फॉरेस्ट यानी सघन वन क्षेत्र है.

हिमाचल में 33% फॉरेस्ट कवर का लक्ष्य: हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण की बात की जाए तो यहां वनों पर खास ध्यान दिया गया है. हिमाचल में ई-विधान प्रणाली होने से हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं. हिमाचल में सामान्य परिवारों को पौध रोपण से जोड़ने के लिए 'एक बूटा बेटी के नाम' योजना शुरू की गई है. परिवार में बेटी के जन्म के बाद वन विभाग की तरफ से एक किट दी जाती है. इसमें पौधों के साथ अन्य सामान होता है. परिवार वाले बेटी के नाम से पौधा लगाते हैं और उसके संरक्षण का जिम्मा लेते हैं. हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य में 33 फीसदी फॉरेस्ट कवर का लक्ष्य तय किया गया है. वन विभाग विभिन्न एजेंसियों, पंचायतों, युवा क्लबों, स्कूलों आदि के सहयोग से इस लक्ष्य को हासिल करेगा.

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Last Updated : Jun 5, 2023, 2:30 PM IST
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