ETV Bharat / state

हिमाचल के इन जंगलों में पेड़ काटने की वन माफिया में भी नहीं है हिम्मत, जानें क्या है इन वनों की खासियत?

author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 25, 2024, 7:55 AM IST

Updated : Feb 25, 2024, 2:54 PM IST

Dev Van in Kullu District
जिला कुल्लू के देव वन

Dev Van in Kullu District: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है. यहां के लोगों का देव आस्था में पूरा विश्वास है. यहां तक की लोगों की देव आस्था यहां के पर्यावरण का भी संरक्षण कर रही है. हिमाचल के कुल्लू जिले में आज भी ऐसे देव वन हैं जिनमें पेड़ काटने की हिम्मत वन माफिया भी नहीं कर पाता है.

कुल्लू: देश भर में जहां पर्यावरण संरक्षण को लेकर विभिन्न प्रकार के अभियान चलाए जाते हैं. वहीं, पर्यावरण को बचाने के लिए अब पौधारोपण समेत कई अन्य योजनाओं पर भी सरकार द्वारा काम किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश को भी हरित राज्य बनाने की दिशा में सरकार प्रयासरत है. जिसके लिए वनों के संरक्षण व पौधा रोपण को लेकर कई अभियान चलाए जा रहे हैं. मगर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में आज भी कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां से लकड़ी काटने की हिम्मत वन माफिया भी नहीं करता है. यहां रहने वाले ग्रामीण इन वनों की पूजा करते हैं और देव आदेश के चलते इन वनों से लकड़ी लाना तो दूर घास और पत्ती भी अपने घर ग्रामीण नहीं लाते हैं. ऐसे में जिला कुल्लू में देवी-देवता के प्रति लोगों की अथाह श्रद्धा भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी अहम भूमिका निभा रही है.

देव आज्ञा से पर्यावरण संरक्षण

जिला कुल्लू में 200 से अधिक देवी देवता ऐसे हैं, जिनके अपने-अपने इलाके में देव वन हैं. स्थानीय बोली में देवता के इस जंगल को 'देउ रा वोन' भी कहा जाता है. इन स्थानों पर पेड़ काटने की हिम्मत आज तक कोई नहीं कर पाया है. ऐसे में यहां पर पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है और ग्रामीण धार्मिक मान्यता के चलते देवता के आदेशों का भी पालन कर रहे हैं. देवता के आदेशों के तहत इन वनों में सिर्फ देव कार्य के लिए ही लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. जिला कुल्लू के विभिन्न इलाके में देवता के जो जंगल है, उनमें कई दुर्लभ जड़ी बूटियां के पौधे, देवदार, कायल सहित अन्य पेड़ पौधे पाए जाते हैं. स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा अनजाने में भी देव वन में उगाए गए पेड़ों को काटा गया तो उसे देवता के क्रोध का भी सामना करना पड़ता है.

Dev Van in Kullu District
जिला कुल्लू में हैं 200 से अधिक देवी देवता

"देवता के जंगल की लकड़ी सिर्फ देवी देवताओं के कार्यों में प्रयोग में लाई जाती है. ऐसे में आज भी देवता के जंगल हरे भरे पेड़ों से लहलहा रहे हैं और वन माफिया भी आज तक इन पेड़ों को काटने का साहस नहीं कर पाया है." - दोत राम ठाकुर, अध्यक्ष, देवी-देवता कारदार संघ जिला कुल्लू

जिला कुल्लू के देव समाज के अनुसार जिला कुल्लू में 200 से अधिक देवी-देवता हैं. जिनमें प्राचीन गांव मलाणा, उझी घाटी के नगोनि, सैंज घाटी में शांगढ़, रैला गांव में रिंगू वन, खराहल घाटी के बनोगी, धारा के नरैडी, आनी और निरमंड उप मंडल में भी कई ऐसे देववन मौजूद हैं. इन जंगलों की लकड़ी सिर्फ देव कार्य में ही प्रयोग में लाई जाती है. जब भी देवी-देवता के मंदिर का निर्माण करना हो या फिर देवी देवताओं के रथ बनाने हो, तो उस दौरान भी पहले देवता से आज्ञा लेनी पड़ती है. उसके बाद ही इस जंगल में देवता के हरियानों द्वारा पेड़ को काटा जाता है. इसके अलावा देवता द्वारा अपने वन क्षेत्र की परिक्रमा की जाती है और जितने इलाके में देवता के द्वारा परिक्रमा की जाती है, वह पूरा इलाका देवता का माना जाता है. ऐसे में आज भी देवता के आदेश के बिना कोई भी ग्रामीण इन पेड़ों को नहीं काट सकता है. अगर कोई देवता के आज्ञा की उल्लंघना करता है तो उसे देवता के प्रकोप का भी शिकार होना पड़ता है.

Dev Van in Kullu District
जिला कुल्लू में देव वन करते हैं पर्यावरण संरक्षण

"देवता आज भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. ग्रामीण भी उनकी आज्ञा का पालन करते हैं. इसके अलावा देव समाज भी इस मामले में काफी जागरूक है, ताकि पर्यावरण संरक्षण में देवी-देवताओं के साथ-साथ हरियान भी अपनी भूमिका सही तरीके से निभा सके." - टीसी महंत, महासचिव, देवी देवता कारदार संघ जिला कुल्लू

कुल्लू के पर्यावरण विद अभिषेक शर्मा, सूरत ठाकुर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश अपनी देव परंपरा के लिए काफी प्रसिद्ध है. यहां पर देव आदेश का सदियों से पालन हो रहा है. हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिला के अलावा प्रदेश के ऊपरी इलाकों में कई ऐसे जंगल है. जहां पर देवता के नियम चलते हैं और ग्रामीण इन नियमों का आज भी पालन कर रहे हैं. ऐसे में देवता के आदेशों के चलते ना तो कोई पेड़ का कटान करता है और ना ही इस तरह का कोई फैसला ग्रामीण अपने स्तर पर करता है. जिससे देव आदेश की अवहेलना हो. ऐसे में देवी देवता भी पर्यावरण का महत्व समझते हैं और आज भी पर्यावरण संरक्षण में देव संस्कृति से जुड़े लोग अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

"जिला कुल्लू के कई इलाके ऐसे हैं. जहां पर लोग देवता के आदेशों का पालन करते हैं और वन विभाग भी इसमें सहयोग करता है. देवता के जो जंगल हैं, वहां पर वन विभाग के सहयोग से ग्रामीण पौधारोपण करते हैं और ग्रामीण देवता के आदेशों के अनुसार उसे पूरे इलाके का संरक्षण भी करते हैं. जो की पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अच्छी पहल है." - एंजल ठाकुर, डीएफओ, वन विभाग कुल्लू

ये भी पढ़ें: क्या पूरा होगा बिजली महादेव रोपवे का सपना, देव आदेश की बात कह कर ग्रामीण कर रहे विरोध

ये भी पढ़ें: टूरिस्ट जो एक बार घूमने गए, लेकिन कभी वापस नहीं आए, खूबसूरत वादियों से ही लापता हो गए पर्यटक

Last Updated :Feb 25, 2024, 2:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.