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केदारनाथ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या ला सकती है आपदा 2013 जैसा मंजर!, जानिए वजह - Uttarakhand Chardham Yatra 2024

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 15, 2024, 11:15 AM IST

Updated : May 15, 2024, 12:36 PM IST

Kedarnath Yatra 2024 उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर आए ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु अभी तक दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं. जिसमें से 14 मई को केदारनाथ धाम में 23,807 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. ऐसे में श्रद्धालु की बढ़ती संख्या को देखते हुए हिमनद वैज्ञानिक चिंतित नजर आ रहे हैं. उन्होंने मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित करने की बात कही है.

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केदारनाथ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या पर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता (ETV Bharat)

केदारनाथ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या टेंशन (ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आने वाले समय में ये संख्या एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है. खासकर केदारनाथ धाम में बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर हिमनद वैज्ञानिक चिंतित नजर आ रहे हैं और इस बात पर जोर दे रहे हैं कि केदार घाटी में मानवीय गतिविधियों को कंट्रोल करने की जरूरत है, वरना केदार घाटी की जैव विविधता पर असर पड़ेगा. केदार घाटी काफी अधिक ऊंचाई पर होने के साथ ही काफी संवेदनशील भी है. जिसके चलते वैज्ञानिक उसकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए मानवीय गतिविधियों को कम करने पर जोर दे रहे हैं.

केदारनाथ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या पर हिम वैज्ञानिक चिंतित: साल दर साल चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. साल 2023 में करीब 56 लाख यात्री धामों में दर्शन करने पहुंचे थे. जिसमें अकेले केदारनाथ धाम में सबसे अधिक 19 लाख 61 हजार 277 श्रद्धालु दर्शन करने आए थे. इस साल जिस तरह का उत्साह श्रद्धालुओं में दिख रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अकेले केदारनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 22 लाख के पार पहुंच सकता है. केदार घाटी में इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए वैज्ञानिक अभी से आगाह कर रहे है कि केदार घाटी की संवेदनशीलता को देखते हुए मानवीय गतिविधियों को कंट्रोल किया जाए. खासकर केदारनाथ मंदिर से ऊपर घाटी में जाने वाले श्रद्धालुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

वैज्ञानिक बोले केदारनाथ यात्रा को करें कंट्रोल : वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि केदार वैली लूज मटेरियल से बना हुआ है. यही वजह है की पूरी केदार घाटी काफी संवेदनशील है. इस सीजन केदार घाटी में कम बर्फबारी हुई है. जिसके चलते अभी तक कोई भी एवलांच की घटना सामने नहीं आई है, लेकिन 15 जून के बाद बरसात का मौसम शुरू हो रहा है, उस दौरान केदार घाटी और अधिक संवेदनशील हो जाती है. जिसके चलते लैंडस्लाइड का होना और सड़कों के टूटने की घटनाएं काफी अधिक बढ़ जाती हैं. चारधाम की यात्रा श्रद्धा से जुड़ी हुई है. ऐसे में केदारनाथ यात्रा को रोका नहीं जा सकता, लेकिन कंट्रोल किया जा सकता है.

केदार वैली में वेदर स्टेशन होना जरूरी: डॉ. डीपी डोभाल ने कहा कि एक ऐसी संस्था या फिर ग्रुप होना चाहिए, जो केदार वैली की रिसर्च करता रहे, ताकि इस बात की जानकारी रहे कि कौन-कौन सी जगह ऐसी हैं, जहा एवलांच होने की संभावनाएं है और अगर अब एवलांच होता है तो कितना मैटेरियल नीचे आ जाएगा. इसके अलावा मौसम के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी को लेकर भी एक वेदर स्टेशन होना चाहिए, ताकि समय-समय पर उसका आकलन किया जा सके और अगर ऐसी रिसर्च सरकार के पास होगी, तो वो उस हिसाब से केदार घाटी में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को तय कर सकेगी, ताकि किसी भी घटना के दौरान जान-माल को बचाया जा सके.

केदारनाथ धाम से ऊपर श्रद्धालुओं को जाने की न मिले अनुमति: केदार घाटी में कई बार देखने को मिलता है कि पर्यटक बाबा केदार के दर्शन करने तो आते हैं, लेकिन दर्शन करने के बाद वो केदार मंदिर के ऊपर वैली में घूमने के लिए निकल जाते हैं. जिस पर हिमनद वैज्ञानिक ने डीपी डोभाल ने कहा कि भविष्य के लिहाज से ये ठीक नहीं है. ऐसे में अभी से ही जरूरत है कि बाबा केदार के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन करने के बाद नीचे रवाना कर दिया जाए और ऊपर जाने की अनुमति बिल्कुल भी न दी जाए. वहीं, अगर ऐसा नहीं होता है तो गंगोत्री धाम जैसे हालात केदारनाथ धाम में भी बन जाएंगे, क्योंकि केदारनाथ मंदिर से ऊपर ग्लेशियर मौजूद है. ऐसे में अगर टूरिस्ट वहां पहुंचते हैं, तो न सिर्फ गंदगी फैलेगी, बल्कि ग्लेशियर के हेल्थ पर भी इसका असर पड़ेगा.

श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी तो तापमान में होगी बढ़ोतरी: डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी तो फिर उस क्षेत्र के तापमान में भी बढ़ोतरी होगी. इससे ग्लेशियर पर फर्क पड़ने की संभावना है. लिहाजा, सरकार को चाहिए कि इस संवेदनशील वैली में मानव गतिविधियों को बंद किया जाए, ताकि केदार वैली को सुरक्षित रखा जा सके. उन्होंने कहा कि केदार मंदिर से ऊपर जाने वाले यात्री भी वहां पर कूड़ा-कचरा भी डंप करते हैं, इसलिए केदार मंदिर से ऊपर जाने वाले यात्रियों पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए.

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Last Updated :May 15, 2024, 12:36 PM IST
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