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लोकसभा चुनाव में इस सीट पर होगी कांटे की टक्कर, मुद्दे हावी हुए तो पलट सकता है समीकरण - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 3, 2024, 5:55 PM IST

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही बिलासपुर लोकसभा सीट पर चुनावी सरगर्मी बढ़ चुकी है. इस सीट पर बीजेपी के तोखन साहू और कांग्रेस के देवेंद्र यादव आमने सामने हैं. इस लोकसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत है.

Lok Sabha Election 2024
बिलासपुर में किस ओर बह रही है चुनावी हवा

मुद्दे हावी हुए तो पलट सकता है समीकरण

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा में से 6 पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी का जिन सीटों पर कब्जा है उनमें बिलासपुर, मुंगेली, लोरमी,तखतपुर,गौरेला पेंड्रा मरवाही और बिल्हा है.वहीं कांग्रेस ने कोटा और मस्तूरी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है.यदि लोकसभा चुनाव की बात करें तो साल 2019 में हुए चुनाव में बीजेपी ने अरुण साव को मैदान में उतारा था. अरुण साव ने इस लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अटल श्रीवास्तव को एक लाख से ज्यादा मतों से हराकर जीता था. ये तब हुआ था जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी.लेकिन अब प्रदेश में बीजेपी की सरकार है.ऐसे में कांग्रेस के लिए बीजेपी के विजय रथ को रोकना और वोट बैंक को अपने पाले में करना बड़ी चुनौती है.

क्या है कांग्रेस के लिए चुनौती ?: बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में दो जिले आते हैं. पहला तो बिलासपुर और दूसरा गौरेला पेंड्रा मरवाही. इन दोनों जिलों को मिलाकर कुल आठ विधानसभा क्षेत्र हैं.लोकसभा क्षेत्र में 20 लाख से भी ज्यादा मतदाता हैं.बिलासपुर में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है.ऐसे में ये कहना गलत ना होगा कि दोनों ही पार्टियों को महिला वोटर्स से सबसे ज्यादा उम्मीद है.बीजेपी ने इस बार लोरमी विधानसभा से ही लोकसभा उम्मीदवार का चुनाव किया है. पिछली बार भी लोरमी रहवासी अरुण साव को मैदान में उतारा गया था.वहीं कांग्रेस की बात करें तो भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव को चुनाव में बिलासपुर सीट जीतने का जिम्मा मिला है.देवेंद्र यादव के नाम का ऐलान होने पर कांग्रेस का एक खेमा अब भी नाराज चल रहा है.

एक लाख वोट पर दिग्गजों की नजर : बिलासपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए जीतना उल्टे कदम किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं है. क्योंकि लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा आती है.जिसमें से छह पर बीजेपी के विधायक काबिज हैं.विधानसभा परिणामों को देखे तो पता चलेगा कि बीजेपी के 41 हजार वोट कांग्रेस के पक्ष में गिरे थे. लेकिन लोकसभा में अपना परचम लहराने के लिए कांग्रेस को अब भी एक लाख से ज्यादा वोटर्स को अपने पक्ष में करना होगा. राजनीति के जानकार निर्मल माणिक ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव की बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव को हराकर अरुण साव ने चुनाव जीता था. बीजेपी के अरुण साव ने 1 लाख 45 हजार वोट का लीड किया था. इसके अलावा कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उस लीड से 45 हजार अपने पाले में किए हैं.फिर भी करीब एक लाख वोट कांग्रेस को अपने पक्ष में करने होंगे.

''विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनाव अलग होते हैं. एक चुनाव स्थानीय मुद्दे और प्रदेश के मुद्दे को लेकर लड़ा जाता है. दूसरा चुनाव देश के मुद्दे के साथ ही पूरे देश के लिए किया जा रहे कार्यों को लेकर लड़ा जाता है. 2024 का यह चुनाव दोनों ही पार्टी का अलग-अलग मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में उतरना और मतदाताओं को रिझाने का काम करना शुरू हो गया है. बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस विकास और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाए है.लेकिन अपना नेता चुनने का अंतिम फैसला जनता जनार्दन को करना है. '' निर्मल माणिक,राजनीति के जानकार

लोकसभा 2024 में क्या है बड़ा मुद्दा : बिलासपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत मध्य भारत का सबसे बड़ा रेल जोन भी आता है. कोल ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा केंद्र बिलासपुर ही है. इसलिए व्यापारिक दृष्टिकोण से बिलासपुर सीट काफी महत्वपूर्ण हो जाती है.विधानसभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने कोल स्कैम, महादेव एप और राम मंदिर मुद्दे को भुनाया,उससे कहीं ना कहीं बीजेपी ने खोई सत्ता वापस पाई है. रही सही कसर महतारी वंदन ने पूरी कर दी. सरकार बनने के बाद पीएससी घोटाले की जांच, महिलाओं के खाते में एक हजार राशि का अंतरण, किसानों को बकाया धान बोनस और यूपीएससी की तर्ज पीएससी परीक्षा का पैटर्न तय करने में बीजेपी ने जरा भी देरी नहीं की है. वहीं कांग्रेस की बात करें तो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई, पार्टी के खाते सीज करने का प्रकरण और इलेक्टोरल बॉन्ड पर चुप्पी साध लेने जैसे मुद्दों को कांग्रेस जनता के बीच लेकर जा रही है. ऐसे में देखना ये होगा कि जनता पर अब भी विधानसभा चुनाव का खुमार चढ़ा है या फिर कांग्रेस के नए प्लान ने जनता के सामने केंद्र सरकार की दूसरी छवि पेश करने में कामयाबी हासिल कर ली है.

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