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दुर्ग लोकसभा सीट में इस बार होगा खेला, बीजेपी को दोबारा विजय पर भरोसा, कांग्रेस ने राजेंद्र को मैदान में उतारा

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 18, 2024, 4:00 PM IST

Updated : Mar 18, 2024, 5:42 PM IST

Durg Lok Sabha Seat Profile
दुर्ग लोकसभा सीट प्रोफाइल

Durg Lok Sabha Seat profile छत्तीसगढ़ की दुर्ग लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. नया राज्य बनने के बाद हुए 4 लोकसभा चुनाव में से 3 बार बीजेपी प्रत्याशी यहां से सांसद निर्वचित हुए हैं. जबकि कांग्रेस ने केवल एक बार ही जीत दर्ज की है. इस बार भी बीजेपी ने वर्तमान सांसद विजय बघेल पर भरोसा जताया है. जबकि, कांग्रेस ने साहू वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है. Lok Sabha Poll 2024

दुर्ग : दुर्ग लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में से एक है. यहां 1996 से बीजेपी का कब्जा है, केवल एक बार 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने दुर्ग सीट पर जीत दर्ज किया था. लेकिन 2019 में बीजेपी ने वापसी की और विजय बघेल यहां से सांसद निर्वचित हुए. इस बार बीजेपी ने विजय बघेल को दौबारा मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है.

बीजेपी से दोबारा मैदान में विजय बघेल : विजय बघेल ने अपनी राजनीति करियर की शुरुआत साल 2000 में की थी. 2000 में विजय बघेल ने भिलाई नगर परिषद का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता. उसके बाद साल 2003 में पाटन विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस के टिकट से पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद विजय बघेल बीजेपी में शामिल हए और साल 2008 के विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. यहां उनके खिलाफ कांग्रेस से भूपेश बघेल चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में विजय बघेल ने भूपेश बघेल को करारी शिकस्त दी थी. विजय बघेल 2019 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने. अब बीजेपी ने दुर्ग लोकसभा सीट से अपने सांसद विजय बघेल पर दोबारा भरोसा जताया है. विजय बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्ते में भतीजे लगते हैं. छग विधानसभा चुनाव 2023 में भी पाटन सीट पर दोनों चाचा और भतीजे के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें भूपेश बघेल ने जीत दर्ज की थी.

कौन हैं राजेंद्र साहू ? : राजेन्द्र साहू दुर्ग जिला कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक हैं. राजेन्द्र साहू का साहू समाज में काफी पकड़ माना जाता है. वे कांग्रेस के काफी विवादित नेता भी रहे हैं. एक बार उन्होंने अपनी ही पार्टी के मोतीलाल वोरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसके साथ ही कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. जिसके बाद 2018 में उन्होंने दोबारा कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था. साल 2019 में राजेंद्र साहू भूपेश बघेल के चुनाव संचालक के तौर पर उनके साथ चुनावी अभियान में साथ रहे. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद उन्हें जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग का अध्यक्ष भी बनाया गया था, लेकिन 2023 में कांग्रेस के हाथ से सत्ता जाने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया. अब उन्हें दुर्ग लोकसभा सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया है.

दुर्ग लोकसभा सीट का सियासी इतिहास: दुर्ग को छत्तीसगढ़ की राजनीति का प्रमुख केंद्र माना जाता है. देश की आजादी से लेकर 70 के दशक तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा था. लेकिन 1977 के चुनाव में यहां से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और 1984 में भी जीत दोहराई. फिर 1989 में यहां जनता दल ने कांग्रेस को हराकर जीत हासिल किया. लेकिन वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद 1991 में कांग्रेस ने फिर एक बार यहां से जीत दर्ज की. 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद यह सीट बीजेपी का गढ़ बन गया. 1996 से लेकर 2009 तक लगातार पांच लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की. लेकिन 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को यहां कांग्रेस ने हरा दिया. हांलाकि, 2019 में बीजेपी ने वापसी की और विजय बघेल सांसद बने.

दुर्ग लोकसभा सीट का सियासी इतिहास
दुर्ग लोकसभा सीट का सियासी इतिहास

दुर्ग लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास:

  • 1952 में कांग्रेस के डब्ल्यू एस किरोलीकर ने जीत दर्ज कर पहले सांसद बने.
  • 1957 में कांग्रेस के मोहन लाल बाकलीवाल सांसद बने.
  • 1962 में फिर कांग्रेस के मोहन लाल बाकलीवाल जीते.
  • 1967 में कांग्रेस के वी वाय तामस्कर जीते.
  • 1971 में कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर को जीत मिली.
  • 1977 में बीएलडी के मोहन भईया को जीत मिली.
  • 1980 में कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर फिर सांसद बने.
  • 1984 में कांग्रेस से चंदूलाल चंद्राकर तीसरी बार सांसद बने.
  • 1989 में कांग्रेस से जनता दल के पुरूषोत्तम कौशिक सांसद बने.
  • 1991 में कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर ने चौथी बार जीत दर्ज की.
  • 1996 में बीजेपी के ताराचंद साहू को जीत मिली.
  • 1998 में बीजेपी के ताराचंद साहू फिर जीते.
  • 1999 में बीजेपी के ताराचंद साहू तीसरी बार जीते.
  • 2004 में बीजेपी के ताराचंद साहू चौथी बार जीते.
  • 2009 में बीजेपी की सरोज पांडे ने जीत दर्ज की.
  • 2014 में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने जीत दर्ज की.
  • 2019 में बीजेपी के विजय बघेल ने जीत हासिल की.

दुर्ग लोकसभा सीट अंतर्गत विधानसभा सीटें: दुर्ग लोकसभा सीट में कुल नौ विधानसभा सीटें हैं. जिसमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग सिटी, भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिवारा, बेमेतरा, साजा और नवागढ़ की सीटें शामिल हैं. इन सभी सीटों पर स्थानीयता और जातिवाद का मुद्दा हमेशा हावी रहता है. खासकर साहू समाज यहां गेमचेंजर की भूमिका में है. इसके साथ ही कुर्मी और सतनामी समाज की भी प्रभुत्व है.

दुर्ग लोकसभा सीट अंतर्गत विधानसभा सीटें
दुर्ग लोकसभा सीट अंतर्गत विधानसभा सीटें

बीते तीन लोकसभा में दुर्ग का मतदान प्रतिशत

  • 2009 लोकसभा चुनाव: 55.97 फीसदी मतदान
  • 2014 लोकसभा चुनाव: 67.74 फीसदी वोटिंग
  • 2019 लोकसभा चुनाव: 71.74 फीसदी मतदान
    बीते तीन लोकसभा में दुर्ग का मतदान प्रतिशत
    बीते तीन लोकसभा में दुर्ग का मतदान प्रतिशत

दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे: दुर्ग लोकसभा क्षेत्र शिवनाथ नदी के आसपास बसा हुआ है. यहां आद्यौगिक विकास सबसे अधिक देखने को मिलता है. यहां भिलाई स्टील प्लांट, एसीसी सीमेंट प्लांट, एल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट मौजूद है. इसलिए यहां मजदूरों के मुद्दे हावी हैं. इसलिए दुर्ग लोकसभा के शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी, शहरों में सड़क, पानी, बिजली, अस्पताल की सुविधाएं मुख्य मुद्दे हैं. वहीं दुर्ग लोकसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी बेरोजगारी, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा ही मुख्य मद्दे हैं. भिलाई शहर को छत्तीसगढ़ के शिक्षा का केंद्र माना जाता है. इसलिए यहां स्टूडेंट्स की उच्च शिक्षा भी बड़ा मुद्दा रहा है.

दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे
दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे

दुर्ग लोकसभा क्षेत्र का जातिगत समीकरण: दुर्ग लोकसभा के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां साहू समाज का दबदबा है. इसलिए यह साहू समाज की परंपरागत सीट भी मानी जाती है. लेकिन साहू समाज के साथ साथ यहां कुर्मी समाज और सतनामी समाज का भी धाक है. यहां जो प्रत्याशी साहू समाज के साथ कुछ हद तक कुर्मी और सतनामी वोटबैंक को साध लेता है, वह जीत जरूर हासिल करता है.

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Last Updated :Mar 18, 2024, 5:42 PM IST
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