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भाई भाभी की हत्या के दोषी की फांसी की सजा आजीवन कारावास में तब्दील, नैनीताल हाईकोर्ट का फैसला - Death sentence canceled

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 17, 2024, 1:49 PM IST

Haridwar double murder convicts sentence changed to life imprisonment 8 साल पहले हरिद्वार के रानीपुर में पैसों के लेनदेन में भाई और भाभी की हत्या करने वाले दोषी को फांसी की सजा से राहत मिल गई है. हाईकोर्ट ने अपर सत्र न्यायालय हरिद्वार का निर्णय बदलते हुए दोषी को फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का फैसला सुनाया. हाईकोर्ट के जजों ने इस मामले में फैसला सुनाते समय क्या कहा, इस खबर में पढ़िए.

Haridwar double murder
नैनीताल हाईकोर्ट समाचार (Photo- ETV Bharat)

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार के चतुर्थ अपर सत्र न्यायधीश की कोर्ट द्वारा जघन्य अपराध करने पर फांसी की सजा दिए जाने के मामले में सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार की खंडपीठ ने अभियुक्त का कोई क्रिमिनल रिकार्ड न होने व केस में उसके खिलाफ फांसी की सजा दिए जाने के पर्याप्त सबूत रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं होने के कारण, अपराधी की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है.

मामले के अनुसार 2016 में हरिद्वार के रानीपुर में रुपयों के लेनदेन से उपजे विवाद में छोटे भाई ने चाकू से भाई और भाभी की नृशंस हत्या कर दी थी. हत्यारोपी ने पांच वर्षीय भतीजी की भी हत्या करने की कोशिश की थी. हत्यारोपी के सिर पर खून सवार देखकर ग्रामीणों ने बाहर से कुंडा लगाकर उसे कमरे में बंद कर दिया था.

पुलिस के पहुंचने के बाद दोहरे हत्याकांड के आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया. मामले की सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश हरिद्वार की कोर्ट ने 29 नवम्बर 2018 को भारतीय दंड प्रक्रिया की धारा 302 के तहत हत्या करने पर फांसी की सजा और 40 हजार का जुर्माना लगाया था. धारा 307 हत्या का प्रयास करने पर पर दस साल की सजा तथा 30 हजार का जुर्माने से दंडित किया.

साथ में यह भी आदेश दिया कि इस जुर्माने की धनराशि में से 50 हजार रुपये मृतक के बच्चों को दिए जाएं. सत्र परीक्षण के दौरान मामले में 16 गवाह पेश किए गए थे. सभी ने हत्या करने की पुष्टि की थी. इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त ने 2018 में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसको फांसी की सजा दिए जाने के पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करने के आदेश दिए.
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