ETV Bharat / state

पुष्कर में मंगला चौथ का मेला, श्राद्ध कर्म करने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 13, 2024, 6:39 PM IST

Tirthraj Pushkar
Tirthraj Pushkar

तीर्थराज पुष्कर में मंगला चौथ के दिन लगे मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि इस दिन यहां विधिवत पूजा-अर्चना के बाद कुंड में स्नान करने से शरीर की व्याधियां दूर हो जाती हैं.

पुष्कर में मंगला चौथ का मेला.

अजमेर. तीर्थराज पुष्कर में वर्ष में 2 बार आने वाली मंगला चौथ के दिन का उन सभी लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है, जिनके किसी अपने पर शारारिक एवं मानसिक व्याधियां है. तीर्थ पुरोहित पंडित राजाराम ने बताया कि मान्यता है कि यहां विधिवत पूजा-अर्चना के बाद पवित्र कुंड में स्नान करने से शरीर की व्याधियां दूर हो जाती हैं. मंगला चौथ के मौके पर लगे मेले में पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.

तीर्थ पुरोहित ने बताया कि कनिष्ठ पुष्कर के नजदीक सुधाबाय कुंड है, इसको गया कुंड भी कहा जाता है. शास्त्रों में इसको अवियोगा कुंड भी कहा गया है. पद्म पुराण में इस पवित्र स्थान का उल्लेख है. साथ ही भगवान श्रीराम से भी इस स्थान का जुड़ाव रहा है. तीर्थ पुरोहित पंडित राजाराम ने बताया कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ऋषि अत्रि के आश्रम गए थे. ऋषि अत्रि ने ही भगवान श्री राम को दिव्य कुंड की महिमा के बारे में बताया और यहां अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने कि लिए कहा था. राजाराम ने बताया कि भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण यहां आए और इस स्थान के नजदीक ही वह रुके थे. अगले दिन ऋषि मार्कंडेय, ऋषि मकरंद और ऋषि लोमश की उपस्थिति में भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था.

इसे भी पढ़ें-मौनी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर में लगाई डुबकी

पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति : तीर्थ पुरोहित ने बताया कि यहां पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है. मंगलाचौथ के दिन व्यक्ति के शरीर में जो भी व्याधियां होती हैं, वह सब दूर हो जाती हैं. अकाल मौत मरने वाले लोगों की आत्म शांति के लिए भी यहां श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इससे आत्मा को मुक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि यहां श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

स्नान के बाद छोड़ने होते हैं पुराने कपड़े : पंडित राजाराम बताते है कि पूजा अनुष्ठान के बाद दो बातें यहां गौर करने वाली होती हैं. स्नान के बाद कपड़े यहीं छोड़ने पड़ते हैं, इससे पहले तीर्थ पुरोहित की ओर से दिया गया नारियल कुंड में छोड़ना होता है. स्नान के बाद व्यक्ति को बिना पीछे देखे चले जाने के लिए कहा जाता है. उन्होंने कहा कि सदियों से सुधाबाय में लोगों की आस्था बनी हुई है.

कई राज्यों के लोग आते हैं पुष्कर : सीकर से आए पंडित चन्द्र शेखर इंदौरिया ने बताया कि शास्त्रों में गयाजी का विशेष महत्व है. मंगल चौथ को विशेष योग बनता है, इसको अंगारक योग भी कहते हैं. इस योग में गयाजी स्वयं यहां विराजमान रहती हैं. यहां श्राद्ध कर्म में उतना ही फल प्राप्त होता है, जितना गयाजी में होता है. इसके अलावा यहां ऊपरी बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है. इस विशेष योग में श्राद्ध कर्म के लिए उत्तर और मध्य भारत के विभिन्न राज्यों से लोग पुष्कर आते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.