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ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी में भरे रंग, रंगीन मछली पालन कर मालामाल हो रहे किसान, 20 तरह का ब्रीड उपलब्ध

Colorful Fish Farming In Nalanda:नालंदा में मछली पालन का व्यवसाय बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. मछली पालन का उद्योग भारत समेत पूरी दुनिया में अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है. लोग इस व्यवसाय के माध्यम से अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. बिहारशरीफ के नूरसराय प्रखंड के चरुईपर गांव निवासी कविंद्र कुमार मौर्य ने मत्स्य पालन के बाद अब रंगीन मछलियों का उत्पादन कर नालंदा का मान बढ़ा रहे हैं.

नालंदा में रंगीन मछली पालन
नालंदा में रंगीन मछली पालन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2024, 6:16 AM IST

Updated : Jan 31, 2024, 6:24 AM IST

नालंदा में रंगीन मछली पालन

नालंदा: आजकल सजावटी मछली पालन का काफी चलन है. लोग अपने घरों में रंगीन मछलियों को पालते हैं. नालंदा में मछली पालन का व्यवसाय बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. किसान अपनी आमदनी दोगुनी करने के लिए भी इस व्यवसाय की तरफ तेजी से रूख कर रहे हैं. अब यहां के किसान मछलीपालन में भी काफी आगे बढ़ चले हैं. नए प्रयोग कर सफलता हासिल रहे हैं. खुद तो आगे बढ़ ही रहे हैं, साथ ही सूबे के किसानों को भी आगे आने की के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

रंगीन मछलियां पालन कर बन रहे मालामाल: बिहारशरीफ से 12 किलोमीटर दूर स्थित नूरसराय प्रखंड के चरुईपर गांव निवासी कविंद्र कुमार मौर्य ने मत्स्य पालन के बाद अब रंगीन मछलियों का उत्पादन कर नालंदा का मान बढ़ा रहे हैं. खास बात यह है कि इनके पास 20 से अधिक प्रजाति की रंगीन मछलियां उपलब्ध है. जिसमें कई विदेशी प्रजाति की भी मछलियां शामिल है.कविंद्र कुमार मौर्य ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब नालंदा रंगीन मछलियों के उत्पादन का हब बन जाएगा.

मछली उत्पाद के क्षेत्र में 20 वर्षों से जुड़े हुए हैं: कविन्द्र ने बताया कि मछली उत्पाद के क्षेत्र में 20 वर्षों से जुड़े हुए हैं. इससे पहले खाने वाली मछलियों का उत्पादन करते थे. अब रंगीन मछलियों का उत्पादन कर न सिर्फ नालंदा बल्कि सूबे के किसानों को नई राह दिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बिहार के विभिन्न जिला के मछली पालक रंगीन मछलियों के उत्पादन के गुर सीखने पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि कम जगह और कम खर्च में रंगीन मछलियों का उत्पादन कर अच्छी कमाई की जा सकती है.

बिहार में 80 से 90 करोड़ का बाजार: उन्होंने कहा कि रंगीन मछलियों के पालन में ध्यान यह रखना है कि पहले इसकी ट्रेनिंग लेकर ही शुरुआत करें. इससे नुकसान होने का डर नहीं रहता है. बिहार में रंगीन मछलियों का हर साल 80 से 90 करोड़ का बाजार है और अभी बढ़ता हीं जा रहा है. यह सिर्फ़ घर को डेकोरेट करने के लिए नहीं बल्कि ब्लड प्रेशर कम के साथ सुकून की नींद दिलाने में भी कारगर है.

1 रुपए से एक हजार तक है कीमत: उन्होंने कहा कि यह मछली पीस के हिसाब से बेचा जाता है. एक पीस की कीमत एक रुपए से लेकर एक हजार से अधिक बिकता है. बदलते परिवेश में लोग अपने घरों में फीस एक्यूवेरियम के प्रति जागरूक हुए हैं. यही कारण है कि रंगीन मछलियां घरों को सजाने के साथ ही वास्तु शास्त्र से भी जुड़ गई हैं.

20 तरह का ब्रीड हैं उपलब्ध: मछलीपालक मौर्य न सिर्फ रंगीन मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही कुछ प्रजातियों की ब्रीडिंग कराकर बीज भी बेच रहे हैं. वर्तमान में इनकी नर्सरी में 20 प्रजातियों की मछलियां हैं. इनमें गोल्ड फीस, मौली, गच्ची, स्वाटटेल, प्लेटी, टाइगरवार, ऐंजल जैसी मछलियां हैं. खास यह कि इनमें से कई प्रजातियों की सफल ब्रीडिंग करा चुके हैं. उनके बच्चे बाजार में आ चुके हैं. शेष प्रजातियों की मदर फीस उनके पास है.

रंगीन मछलियों के उत्पादन पर मिला सरकार से अनुदान: उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में देसी मांगूर, सींघिल, रंगीन, कोमन क्रॉम की ब्रीडिंग की योजना है. यहां करीब 8 लाख रुपये की लागत से रंगीन मछलियों के उत्पादन के लिए नर्सरी बनवायी है. इसपर 40 फीसद अनुदान मत्स्य विभाग से मिला है. विभाग द्वारा लगातर किसानों को नर्सरी को देखने के लिए भेजा जा रहा है. अब तक किशनगंज, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, नवादा, शेखपुरा, जहानाबाद, शिवहर, गोपालगंज, सारण, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण आदि जिलों के किसान यहां आ चुके हैं.

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ये भी पढ़ें: यू-ट्यूब पर वीडियो देख इस तरह शुरु किया मछलीपालन, अब कर रहे हैं लाखों में कमाई

नालंदा में रंगीन मछली पालन

नालंदा: आजकल सजावटी मछली पालन का काफी चलन है. लोग अपने घरों में रंगीन मछलियों को पालते हैं. नालंदा में मछली पालन का व्यवसाय बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. किसान अपनी आमदनी दोगुनी करने के लिए भी इस व्यवसाय की तरफ तेजी से रूख कर रहे हैं. अब यहां के किसान मछलीपालन में भी काफी आगे बढ़ चले हैं. नए प्रयोग कर सफलता हासिल रहे हैं. खुद तो आगे बढ़ ही रहे हैं, साथ ही सूबे के किसानों को भी आगे आने की के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

रंगीन मछलियां पालन कर बन रहे मालामाल: बिहारशरीफ से 12 किलोमीटर दूर स्थित नूरसराय प्रखंड के चरुईपर गांव निवासी कविंद्र कुमार मौर्य ने मत्स्य पालन के बाद अब रंगीन मछलियों का उत्पादन कर नालंदा का मान बढ़ा रहे हैं. खास बात यह है कि इनके पास 20 से अधिक प्रजाति की रंगीन मछलियां उपलब्ध है. जिसमें कई विदेशी प्रजाति की भी मछलियां शामिल है.कविंद्र कुमार मौर्य ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब नालंदा रंगीन मछलियों के उत्पादन का हब बन जाएगा.

मछली उत्पाद के क्षेत्र में 20 वर्षों से जुड़े हुए हैं: कविन्द्र ने बताया कि मछली उत्पाद के क्षेत्र में 20 वर्षों से जुड़े हुए हैं. इससे पहले खाने वाली मछलियों का उत्पादन करते थे. अब रंगीन मछलियों का उत्पादन कर न सिर्फ नालंदा बल्कि सूबे के किसानों को नई राह दिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बिहार के विभिन्न जिला के मछली पालक रंगीन मछलियों के उत्पादन के गुर सीखने पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि कम जगह और कम खर्च में रंगीन मछलियों का उत्पादन कर अच्छी कमाई की जा सकती है.

बिहार में 80 से 90 करोड़ का बाजार: उन्होंने कहा कि रंगीन मछलियों के पालन में ध्यान यह रखना है कि पहले इसकी ट्रेनिंग लेकर ही शुरुआत करें. इससे नुकसान होने का डर नहीं रहता है. बिहार में रंगीन मछलियों का हर साल 80 से 90 करोड़ का बाजार है और अभी बढ़ता हीं जा रहा है. यह सिर्फ़ घर को डेकोरेट करने के लिए नहीं बल्कि ब्लड प्रेशर कम के साथ सुकून की नींद दिलाने में भी कारगर है.

1 रुपए से एक हजार तक है कीमत: उन्होंने कहा कि यह मछली पीस के हिसाब से बेचा जाता है. एक पीस की कीमत एक रुपए से लेकर एक हजार से अधिक बिकता है. बदलते परिवेश में लोग अपने घरों में फीस एक्यूवेरियम के प्रति जागरूक हुए हैं. यही कारण है कि रंगीन मछलियां घरों को सजाने के साथ ही वास्तु शास्त्र से भी जुड़ गई हैं.

20 तरह का ब्रीड हैं उपलब्ध: मछलीपालक मौर्य न सिर्फ रंगीन मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही कुछ प्रजातियों की ब्रीडिंग कराकर बीज भी बेच रहे हैं. वर्तमान में इनकी नर्सरी में 20 प्रजातियों की मछलियां हैं. इनमें गोल्ड फीस, मौली, गच्ची, स्वाटटेल, प्लेटी, टाइगरवार, ऐंजल जैसी मछलियां हैं. खास यह कि इनमें से कई प्रजातियों की सफल ब्रीडिंग करा चुके हैं. उनके बच्चे बाजार में आ चुके हैं. शेष प्रजातियों की मदर फीस उनके पास है.

रंगीन मछलियों के उत्पादन पर मिला सरकार से अनुदान: उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में देसी मांगूर, सींघिल, रंगीन, कोमन क्रॉम की ब्रीडिंग की योजना है. यहां करीब 8 लाख रुपये की लागत से रंगीन मछलियों के उत्पादन के लिए नर्सरी बनवायी है. इसपर 40 फीसद अनुदान मत्स्य विभाग से मिला है. विभाग द्वारा लगातर किसानों को नर्सरी को देखने के लिए भेजा जा रहा है. अब तक किशनगंज, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, नवादा, शेखपुरा, जहानाबाद, शिवहर, गोपालगंज, सारण, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण आदि जिलों के किसान यहां आ चुके हैं.

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Last Updated : Jan 31, 2024, 6:24 AM IST
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