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जवान नहीं बन पाए.. तो बन गए किसान, 'फिश मैन' के रूप में बन गई पहचान

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Published : Mar 17, 2022, 8:35 PM IST

गोपालगंज के फिश मैन
गोपालगंज के फिश मैन

गोपालगंज के विनोद सिंह (Vinod Singh of Gopalganj) जो सेना का जवान बनकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन अपने जीवन में जय जवान, जय किसान को मूल मंत्र बनाने वाले विनोद सिंह ने कहा कि जय जवान तो नहीं हो सके, अब जय किसान होकर दिखाएंगे. आज विनोद सिंह गोपालगंज के फिश मैन के नाम से मशहूर हैं. जिनकी सालाना आय 15 से 20 लाख रुपये है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

गोपालगंज: कहा जाता है कि अगर सकारात्मक सोच से किसी काम में लगा जाए तो न केवल खुद पर विश्वास पैदा होता है, बल्कि सकारात्मक सोच से आपको हर विपरीत परिस्थितियों में भी आशा की किरण दिखाई देती है और सफलता जरूर मिलती है. ऐसी ही है 'फिश मैन' के नाम से चर्चित (Fish Man of Gopalganj) बिहार के गोपालगंज के सफागंज पंचायत के सनहा गांव के रहने वाले विनोद सिंह की कहानी. विनोद सिंह को शुरू से ही सामाज और देश की सेवा करने का जुनून था. जब ये आर्मी में जवान नहीं बन सके, तो इन्होंने हार नहीं मानी और किसान बनकर समाज और राष्ट्र की सेवा में जुट गए.

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गोपालगंज के विनोद सिंह एक सफल उद्यमी: गोपालगंज में विनोद सिंह सफल उद्यमी के रूप (Vinod Singh Successful Entrepreneur in Gopalganj) में जाने जाते हैं. विनोद सिंह आज सब्जी और मछली पालन से प्रतिवर्ष 15 से 20 लाख रुपये न केवल कमाते हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रेरित करते हैं. वैसे, यह सब कुछ करना इतना आसान नहीं था. विनोद सिंह ने आर्मी में जाने का सपना देखा था. इसके लिए कई बार कोशिशें भी की, लेकिन प्रत्येक कोशिश में असफलता हाथ लगी, लेकिन वो निराश नहीं हुए. अपने जीवन में जय जवान, जय किसान को मूल मंत्र बनाने वाले विनोद सिंह ने कहा कि जय जवान तो नहीं हो सके, अब जय किसान होकर दिखाएंगे.

दोस्तों की मदद से बने मछली पालक: विनोद सिंह ने 1995 में सब्जी की खेती की शुरुआत की, इसमें उन्हें सफलता तो मिली, लेकिन बहुत मुनाफा नहीं दिखा. इसी दौरान उन्हें मछली पालन के क्षेत्र में दिलचस्पी पैदा हुई. वे कहते हैं कि बिहार में मछली की मांग की पूर्ति आंध्र प्रदेश से होती है. ऐसे में लगा कि बिहार में मछली पालन क्यों नहीं किया जा सकता है.

ईटीवी भारत GFX
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''किसान परिवार से आने की वजह से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. कुछ मित्रों के सहयोग से हौसला मिला और अपने सनहा गांव के पास चंवर (जहां पानी जमा होता है) वहीं मछली का दाना (बीज) डालकर व्यवसाय की शुरूआत की. इसके बाद इस कारोबार में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा.''- विनोद सिंह, मछली पालक

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मछली कारोबार ने बनाया मालामाल: विनोद सिंह ने बताया कि पहले अपनी ही जमीन पर तालाब खुदवाया और वहां मछली पालन की शुरुआत कर दी. मछली कारोबार में जब लाभ हुआ तो कुछ और जमीन लीज पर ले लिया. इसके बाद मछली पालन के कुछ तकनीकी पहलुओं को भी समझा. इसके लिए पटना में प्रशिक्षण प्राप्त किया और आंध्रप्रदेश जाकर भी वहां मछली पालन के तरीकों को जाना. वे कहते हैं कि वो अधिकतर पनास या प्यासी प्रजाति मछली पालन करते हैं. किसी भी तरह के मछली पालन से 30 से 40 प्रतिशत लाभ कमाया जा सका है.

30 एकड़ जमीन पर मछली पालन: विनोद आज 30 एकड़ जमीन पर बने छोटे-बड़े तालाबों में मछली पालन करते हैं, जिसमें 15 एकड़ जमीन वे लीज पर लिए हुए हैं. उन्होंने कहा कि मछली पालन में पूंजी की बराबर कमी रहेगी. उन्होंने बताया कि साल 2009 में मछली व्यवसाय की शुरूआत की थी. विनोद ने बताया कि वे आसपास के किसानों को भी मछली पालन के लिए प्रेरित करते हैं. उन्होंने बताया कि पारंपरिक फसलों से बहुत ज्यादा लाभ आज किसानों को नहीं हो सकता. उनकी मछली आज पटना के अलावे झारखंड तक जाती है. उन्होंने बताया कि मछली की मांग इतनी है कि पूरी नहीं की जा रही है. विनोद आज जिले के मछ्ली पालकों के लिए एक प्रेरणास्रोत बने हुए हैं.

किसानों को देते हैं मछली पालन की टिप्स: वे बताते हैं कि गोपालगंज जिले के करीब 150 किसानों को वे मछली पालन के टिप्स देते हैं. उन्हें इसकी बारीकियों को सिखाते हैं. दूसरे जिलों से भी लोग जानकारी लेने के लिए उनके पास पहुंचते हैं. मछली कारोबारी विनोद सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे वर्ष 2001 में मुखिया का चुनाव लड़े थे और मुखिया निर्वाचित भी हो गए. हालांकि, बाद में सफापुर पंचायत सुरक्षित सीट हो गई. वैसे, उन्हें राजनीति में बहुत दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोग राजनीति में सफल नहीं हो सकते, यहां बहुत झूठ बोलना पड़ता है.

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