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2 साल के BEd कोर्स को 4 साल के कोर्स में बदल सकते हैं कॉलेज, NCET वेबसाइट पर 26 मार्च तक करना होगा आवेदन

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 8, 2024, 6:01 AM IST

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नई शिक्षा नीति के तहत बीएड के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. 2 साल के कोर्स को 4 वर्ष में बदला जाएगा. इसके लिए NCTE ने 26 मार्च तक आवेदन का मौका कॉलेज को दिया है. पढ़ें पूरी खबर-

पटना : नई शिक्षा नीति के तहत यह तय है कि वर्ष 2030 के बाद 4 वर्ष का बीएड पाठ्यक्रम कंप्लीट करने वाले हैं शिक्षक बनने की अर्हता रख सकते हैं. ऐसे में 2 वर्ष का BEd पाठ्यक्रम करने वाले संस्थानों को एनसीटीई ने कोर्स को 4 वर्ष में बदलने का मौका दिया है. यदि संस्थान अपने 2 वर्षीय बीएड कोर्स को 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स में बदलना चाहते हैं तो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई में आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए एनसीटीई ने उन्हें 26 मार्च तक आवेदन करने का मौका दिया है.

नई शिक्षा नीति के तहत बीएड पाठ्यक्रम : एनसीटीई ने यह भी निर्देशित किया है कि 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बेड कोर्स में बीए बीएड और बीएससी बीएड शामिल है. इसमें 4 वर्षीय बीएड कोर्स की मान्यता लेने के लिए जरूरी है कि संस्थान अपने यहां बीए और बीएससी में से किसी एक विषय की पूरी पढ़ाई के लिए जरूरी शिक्षकों और संसाधन की व्यवस्था करेंगे. इसके बाद ही एनसीटीई उन्हें मान्यता देगी. मान्यता देने से पहले एनसीटीई की टीम संस्थानों का विजिट करेगी.

1 साल का बचेगा समय : नई शिक्षा नीति के तहत 4 वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स पायलट प्रोजेक्ट के साथ देश भर के कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय शिक्षण संस्थानों में शुरू किया गया है. नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में आगे जो पढ़ाई होनी है उसको लेकर के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए 4 वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. नया सिलेबस प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. Bed के चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स में छात्रों को स्नातक के साथ-साथ BEd की डिग्री मिलेगी जिससे उनका 1 साल का समय बचेगा.

26 मार्च तक होगा आवेदन : पटना विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि 4 वर्षीय कोर्स को लेकर आवेदन के लिए जरूरी है कि पहले संस्थान में शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो. 4 वर्षीय कोर्स शुरू करने से पहले विश्वविद्यालय में सरकार को इसकी व्यवस्था करनी जरूरी है. फिलहाल कॉलेजों में जिनके पास जितनी व्यवस्थाएं हैं उसी में वह आवेदन करेंगे.

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