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छिंदवाड़ा में तेंदुए का आतंक, दो सालों में 756 पालतू पशु हो चुके शिकार, इस बार बछड़े को उठा ले गया - Terror of Leopard in Chhindwara

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 1, 2024, 8:52 AM IST

LEOPARD HUNTED A CALF IN CHHINDWARA
छिंदवाड़ा में एक बछड़े का तेंदुए ने बनाया निवाला

छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम उटेकाटा में एक तेंदुए ने एक किसान के बछड़े का शिकार किया है. तेंदुए की मूवमेंट की वजह से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है. आपको बता दें कि बीते दो सालों में तेंदुए ने तकरीबन 756 पालतू पशुओं का शिकार किया है.

छिन्दवाड़ा. गर्मी में गला तर करने के लिए वन प्राणी भी रहवासी इलाकों की तरफ आ रहे हैं, जिसके चलते वह पालतू जानवरों का भी शिकार करते हैं. अब हालात ये हैं कि ग्रामीण इलाकों में लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. ताजा मामला चौरई क्षेत्र का है. दरअसल, यहां पर एक बाघ ने ठिकाना बना लिया है और हर दिन इसका मूवमेंट क्षेत्र में बना रहता है. सबसे ज्यादा हरदुआमाल से लगे क्षेत्र में बाघ का मूवमेंट रहता है, जिसके लिए वन विभाग ने कैमरे लगाए है.

किसान के बछड़े का तेंदुए ने किया शिकार

कान्हा वन परिक्षेत्र के ग्राम उटेकाटा में दो सप्ताह बाद फिर एक तेंदुए की मूवमेंट बनी हुई है. रविवार की रात्रि में तेंदुए ने किसान हंसराज गुर्वे के खेत में बछड़े का शिकार किया. मौके पर तेंदुआ के पगमार्क भी मिले हैं. तेंदुए की मूवमेंट होने से ग्रामीण व पशु पालक भयभीत हैं. वन अमले ने शिकार हुए बछडे का क्षतिपूर्ति का प्रकरण बनाया है. गर्मी में खेतों में पशुओं को खुलें में बांधा जाता है. तेंदुए की मूवमेंट से ग्रामीण परेशान हैं. गौतरलब है कि दो सप्ताह पूर्व तेंदुए ने इस क्षेत्र में चार अलग-अलग घटनाओं में दो बछड़े और पांच बकरियों का शिकार किया था.

Terror of Leopard in Chhindwara
छिंदवाड़ा में एक बछड़े का तेंदुए ने बनाया निवाला

पिछले दो साल में 756 पालतू पशुओं का शिकार

इस क्षेत्र के नोनाझिर, आमाझिर, साख, गढ़खापा में भी बाघ का मूवमेंट रहता है. वन विभाग के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान हर महीने वन प्राणियों द्वारा शिकार के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसी प्रकार सौंसर नगर की सीमा से लगे चिलमटेकड़ी, रामपेठ, कुड्डम, काजलवानी, निमनी के बाद तेंदुए का कढ़ेयो में भी मूवमेंट बना रहता है. वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 में तेंदुए ने तकरीबन 756 पालतू पशुओं का शिकार किया है. ऐसा ही कुछ बाघ के हमले में पालतू पशुओं के शिकार का आंकड़ा है. इन दो वर्षों में बाघ ने 226 पालतू पशुओं का शिकार बनाया है.

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वन्यप्राणी भी हो जाते हैं शिकार

दरअसल, गर्मी के दिनों में जंगल में पानी की कमी होती है. प्यास बुझाने के लिए वन्य प्राणी रहवासी इलाकों की तरफ आते हैं और इसी दौरान वे कई बार शिकार भी हो जाते हैं. अधिकतर किसान खेतों में फसल की रखवाली के लिए बिजली के करंट या दूसरे उपाय करते हैं जिसकी चपेट में कई बार छिंदवाड़ा में बाघ और तेंदुआ भी आ चुके हैं. हालांकि, वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपक तिरपुड़े ने बताया कि तेंदुए के मूवमेंट पर वन अमला लगातार सर्चिग के साथ गश्ती कर रहा है. साथ ही उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षा बरतने की समझाइश भी दी है.

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