ETV Bharat / state

ऐसा साप्ताहिक हाट जो आजादी के पहले से लगता आ रहा, जो जिला की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जानिए कौन सा है ये बाजार - Birbanki village weekly market

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 7, 2024, 2:11 PM IST

History of weekly market of Birbanki village. आज हम जरूरत की सामग्री की खरीदारी के लिए मॉल, सुपर मार्केट जैसी दुकानों का रूख करते हैं. लेकिन जब ऐसी सुविधाएं नहीं थीं तो लोग कैसे और कहां से अपनी जरूरत की चीजें खरीदते थे. भले ही आज आधुनिकता के दौर में इन चीजों का चलन कम है लेकिन इनका महत्व आज भी उतना ही है जितना पहले हुआ करता था. देश की आजादी से पहले लगने वाला एक ऐसा ही साप्ताहिक हाट या बाजार जो आज भी इस जिला की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है.

Birbanki village weekly market backbone of economy of Khunti district
डिजाइन इमेज (Etv Bharat)

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः खूंटी के बिरबांकी साप्ताहिक हाट का जायजा (ETV Bharat)

खूंटीः बोलचाल की भाषा में हाट-बाजार या हटिया, भारत के ग्रामीण इलाकों में लगने वाले साप्ताहिक बाजार को कहा जाता है. जहां से लोग हफ्तेभर के लिए अपनी जरूरत की चीजों की खरीदारी करते हैं. इनमें सब्जी, फल, ताजा मांस, खाद्यान्न, तेल मसाले तक शामिल है. इसके अलावा वनोपज के अलावा कृषि उत्पाद की बिक्री भी खूब होती है. हफ्ते में एक दिन सजने वाला बाजार रौनक से भरा होता है और इलाके की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है.

झारखंड में हाट बाजार प्राचीन काल से चली आ रही है. जहां देश की आजादी से पहले इस बाजार से वनोत्पाद से लेकर पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र और जानवरों की खरीद बिक्री हुआ करती है. साथ ही सस्ते दर पर बड़ी संख्या में मजदूर भी बाजार से ही मिल जाते हैं. सस्ते श्रम का बाजार बड़े शहरों के लिए आसानी से मजदूर उपलब्ध कराता है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे महानगरों में आजादी के पूर्व से ही यहां के श्रमिक रोजगार के लिए पहुंचते हैं.

लेकिन समय अनुसार बाजार की प्रकृति बदली और यहां से व्यापारी लोगों को काम दिलाने के लिए बाहर ले जाते रहे हैं. जिसे यहां के लोग पलायन कहते हैं और बाजार से मजदूरी के लिए ग्रामीणों का पलायन शुरू हुआ. आजादी के बाद धीरे धीरे तस्वीरें बदलती चली गईं लोग जागरूक होते चले गए. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों ने खरीद फरोख्त से लेकर पलायन रोकने में कामयाब रहे लेकिन गरीबी के कारण पलायन समस्या बनी रही.

राजधानी रांची से लगभग 65 किमी दूर खूंटी के अड़की प्रखंड क्षेत्र के दूरस्थ इलाके में बिरबांकी गांव बसा है. जहां आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं लेकिन ग्रामीण वनोपज से अपनी जीविका चलाते हैं. यहां अंग्रेजों के जमाने से साप्ताहिक हाट लगती रही है और यहां वो हर सामान इस बाजार में बिकते है जो यहां के जरूरतों को पूरी करता है. देसी मॉल की तरह इस हाट में हर सामान मिलता है.

इस साप्ताहिक हाट में विभिन्न गांवों के लोग वनोपज समेत कृषि उत्पादों को लेकर आते हैं और साप्ताह भर के लिए अपनी जरूरत के सामान खरीदकर ले जाते हैं. एक साप्ताहिक हाट हजारों परिवार को आजीविका देने का भी काम करता है. यहां चिकित्सा की भी सुविधा रहती है जहां गांव देहात के हजारों ग्रामीण अपना इलाज कराते हैं और देसी और पारंपरिक दवा से ठीक हो जाते हैं. झारखंड के खूंटी जिला के बिरबांकी साप्ताहिक हाट की कहानी यहां के ग्रामीणों की जुबानी सुनिए.

नक्सलियों के खौफ से जीने वाले बिरबांकी गांव की तस्वीर ज्यादा नहीं बदली. लेकिन यहां लगने वाला लगने वाले साप्ताहिक हाट खूंटी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. मॉल कल्चर शहरों में कुछ वर्षों पहले आया, जहां एक ही छत के नीचे सारे सामान मिलते हैं लेकिन यहां के हाट एक देसी मॉल की तरह हैं, जहां हर जरूरत के सामान की खरीदारी भी होती है और गांव के लोग अपने उत्पाद बेचते भी हैं.

दशकों से यहां के हाट की पूरी व्यवस्था ग्रामसभाओं के द्वारा संचालित की जाती है. वर्तमान समय में कृषि उत्पादन बाजार समिति के द्वारा कुछ हाटों की नीलामी कर वहां से राजस्व की वसूली की जाती है. लेकिन उसकी तुलना में सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं. शनिवार को बिरबांकी के साप्ताहिक हाट में खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, रांची व सरायकेला जिले के विभिन्न गांवों से दस हजार से ज्यादा लोग पहुंचते हैं.

जिला के बाहर से आए व्यापारी वनोपज व कृषि उत्पादों की खरीद करते हैं और ग्रामीण उपने उत्पादों को हाट में बेचकर हाट से ही सामानों की खरीदारी कर वापस घर लौट जाते हैं. शनिवार को बिरबांकी हाट में काफी संख्या में ग्रामीण महुआ बेचने पहुंचते हैं. इसके अलावा करंज, इमली भी बाजार में ग्रामीण बेचते हैं. लोहर कृषि उपकरण हल, कुदाल समेत अन्य लेकर आते हैं. वहीं बाजार में तोनों, दौली, कुल्हाड़ी भी बेचते हैं. इसके अलावा कांसा-पीतल के बर्तन भी बाजार में बिकती है.

बिरबांकी साप्ताहित हाट में कृषि उपकरणों के साथ महिलाओं के शृंगार तक के सामान की खूब बिक्री होती है. कंघी, आईना, सिंदूर, हार, कान की बाली से लेकर राशन के सामान, मोबाइल फोन, गाना डाउनलोडिंग, कपड़े, बर्तन से लेकर जरूरत के सभी सामान हाट में बिकते हैं. शनिवार के दिन सुबह 10 बजे से लेकर शाम के सात बजे तक हाट में भीड़ लगी रहती है. ये पूरा बाजार पर ग्रामसभा बिरबांकी का नियंत्रण रहता है.

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुर में जोहार हाट का शुभारंभ, आदिवासी समाज के उत्पादों का किया जाएगा प्रदर्शन

इसे भी पढ़ें- मिलानी में मिथिला हाट शुरू, खान पान से लेकर मधुबनी पेंटिंग के लगाए गए स्टॉल

इसे भी पढ़ें- भारतीय गणतंत्र का गवाह है झारखंड! इस पुस्तकालय में आज भी मौजूद है भारत के संविधान की एक प्रति

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.