कुल्लू: ढालपुर स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में अब छोटे बच्चों के सुनने की क्षमता का टेस्ट किया जाएगा. ऐसे में इस सुविधा का जिला कुल्लू, मंडी, लाहौल-स्पीति और चंबा के पांगी क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा.
इससे पहले इस टेस्ट के लिए लोगों को शिमला और टांडा अस्पताल का रुख करना पड़ता था लेकिन अब ढालपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में ही लोगों को यह सुविधा मिलेगी. सीपीएस सुंदर ठाकुर ने इस सुविधा का शुभारंभ किया.
सीपीएस सुंदर ठाकुर ने बताया ब्रेन इवोक्ड रिस्पॉन्स ऑडिटरी (BERA) 1 से 3 साल की उम्र के बच्चों पर की जाने वाली एक श्रवण परीक्षा है. इस बीच कम उम्र के बच्चों के लिए ओटो एकॉस्टिक एमिशन (OAE) परीक्षा ली जा सकती है.
यदि BERA परीक्षण के परिणाम अच्छी स्थिति में बताए जाते हैं तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बच्चे का श्रवण कार्य सामान्य सीमा के भीतर है और आगे कोई चिकित्सा उपचार आवश्यक नहीं है.
BERA टेस्ट क्यों किया जाता है?
बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी का पता शुरू से ही लगना मुश्किल होता है. सुनने की क्षमता में कमी के कारण भाषण, भाषा, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं इसलिए बेहतर होगा कि बच्चों में सुनने की क्षमता की जांच जल्दी ही करवा ली जाए.
BERA परीक्षण प्रक्रिया
BERA को रोगी द्वारा कुछ भी किए बिना किया जा सकता है. रोगियों को केवल लेटने की आवश्यकता होती है. बच्चों के लिए यह परीक्षण जागते हुए, सोते हुए या एनेस्थीसिया में किया जा सकता है. BERA परीक्षण प्रक्रिया के दौरान रोगी के सिर और कान के पीछे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं. जब परीक्षा पूरी हो जाती है, तो रोगी को हेडफोन के माध्यम से विभिन्न ध्वनियां सुनाई जाती हैं.
यह परीक्षा ध्वनिक उत्तेजनाओं के प्रावधान में मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि (ईईजी) में परिवर्तन को मापती हैं. ध्वनि सुनने पर संकेतों के संचरण में होने वाली असामान्यताएं सुनने की हानि का संकेत देती हैं. इस परीक्षण में जटिलताओं का कोई खतरा नहीं है और यह दर्द रहित है. इसके अलावा BERA परीक्षण के लिए विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती.
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