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बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण:महासमुंद में विस्थापित परिवारों को 10 साल बाद भी नहीं मिली मदद - BARNAWAPARA WILDLIFE SANCTUARY

शासन की ओर से 399 परिवार को यहां लाकर बसाया गया है.

BARNAWAPARA WILDLIFE SANCTUARY
399 परिवार को यहां लाकर बसाया गया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 6, 2025 at 2:00 PM IST

3 Min Read

महासमुंद: बारनवापारा अभ्यारण जिला बलौदा बाजार के वनग्राम से 399 परिवारों को विस्थापित किया गया था. इन परिवारों को करीब 10 साल पहले महासमुंद के रामसागर पारा (भावा), श्रीरामपुर और लाटादादर में लाकर शासन की ओर से बसाया गया. जिन परिवारों को यहां लाकर बसाया गया उनका आरोप है कि उनको आज तक सरकारी सुविधाएं नहीं मिली. शासन की ओर से जो वादे किए गए थे वो पूरे नहीं किए गए. जाति प्रमाणपत्र से लेकर निवास प्रमाणपत्र तक नहीं दिए गए हैं. बसाए गए लोगों का ये भी आरोप है कि उनको वृद्धा पेशन और बाकि सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिला है. अधिकारियों की दलील है कि बसाए गए लोगों को जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए वो देने की कोशिश की जा रही है.

399 परिवारों की शासन से मांग: दरअसल बारनवापारा अभ्यारण के वनों में बसे 399 परिवारों में से 168 परिवारों को साल 2013 में महासमुंद के पंचायत भावा के आश्रित ग्राम रामसागरपारा में बसाया गया. प्रत्येक परिवार को 12 डिसमिल में मकान बनाकर दिया गया और कामकाज के लिए हर परिवार को 5 एकड़ भूमि खेती किसानी के लिए दी गई. योजना अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसे राजस्व ग्राम बनाने के साथ सभी मूलभूत सुविधा प्रदान करने की बात भी कही थी. करीब10 वर्ष से ज्यादा हो जाने के बाद भी ये ग्राम ना तो राजस्व ग्राम घोषित हुआ और नहीं इन परिवारों की जमीन ऑनलाइन की गई. जिससे पीड़ित परिवारों को शासन की कई महत्वपूर्ण योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है.

399 परिवार को यहां लाकर बसाया गया (ETV Bharat)

हमें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल पा रही है. किसान क्रेडिट कार्ड और वृद्धा पेशन जैसी सुविधाएं हमें मुहैया नहीं है: दिनेश कुमार यादव, पीड़ित ग्रामीण

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पीड़ित परिवारों की जो भी मांगें और जरुरते हैं वो सभी पूरी की जाएंगी. हम उनके हितों के लिए लगातार काम कर रहे हैं: विनय कुमार लंगेह, कलेक्टर, महासमुंद

क्या है बेसिक परेशानी: पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों का जाति प्रमाणपत्र नहीं नहीं बन पा रहा है. इसके साथ ही उनके निवास प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत आ रही है. किसान क्रेडित कार्ड और वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाओं से वो महरूम हैं. जिनको जमीन और मकान शासन की ओर से दिया गया उसका नामांतरण नहीं हो रहा है. बारिश के दिनों में वो भावा से रामसागर जाने के लिए कच्ची सड़क का इस्तेमाल करते हैं जो जोखिम भरा होता है.

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399 परिवारों की शासन से मांग: दरअसल बारनवापारा अभ्यारण के वनों में बसे 399 परिवारों में से 168 परिवारों को साल 2013 में महासमुंद के पंचायत भावा के आश्रित ग्राम रामसागरपारा में बसाया गया. प्रत्येक परिवार को 12 डिसमिल में मकान बनाकर दिया गया और कामकाज के लिए हर परिवार को 5 एकड़ भूमि खेती किसानी के लिए दी गई. योजना अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसे राजस्व ग्राम बनाने के साथ सभी मूलभूत सुविधा प्रदान करने की बात भी कही थी. करीब10 वर्ष से ज्यादा हो जाने के बाद भी ये ग्राम ना तो राजस्व ग्राम घोषित हुआ और नहीं इन परिवारों की जमीन ऑनलाइन की गई. जिससे पीड़ित परिवारों को शासन की कई महत्वपूर्ण योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है.

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हमें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल पा रही है. किसान क्रेडिट कार्ड और वृद्धा पेशन जैसी सुविधाएं हमें मुहैया नहीं है: दिनेश कुमार यादव, पीड़ित ग्रामीण

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क्या है बेसिक परेशानी: पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों का जाति प्रमाणपत्र नहीं नहीं बन पा रहा है. इसके साथ ही उनके निवास प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत आ रही है. किसान क्रेडित कार्ड और वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाओं से वो महरूम हैं. जिनको जमीन और मकान शासन की ओर से दिया गया उसका नामांतरण नहीं हो रहा है. बारिश के दिनों में वो भावा से रामसागर जाने के लिए कच्ची सड़क का इस्तेमाल करते हैं जो जोखिम भरा होता है.

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