धमतरी: मौसम के चक्र का बदलना इंसान से लेकर जीवों तक के लिए खतरनाक है. पर्यावरण की इन्ही चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए धमतरी में सात दिनों की एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में सात दिनों तक पर्यावरण से जुड़ी प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है. अजीम प्रेमजी शिक्षा संस्थान के माध्यम से इस कार्यशाला में बच्चों को न सिर्फ क्लाइमेट चेंज के खतरे बताए जा रहे हैं बल्कि उनसे निपटने के उपाए भी गिनाए जा रहे हैं. कार्यशाला में रोजाना 400 से ज्यादा बच्चों को शिरकत करने का मौका मिल रहा है.
प्रदर्शनी में जंगलों में निवासरत समुदायों के जीवन, उनकी संस्कृति और जंगलों के साथ उनके अनन्य सम्बन्धों का चित्रांकन, दस्तावेजीकरण किया गया है. आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरों को लगभग स्वीकार कर चुकी है, ऐसे में भारतवर्ष के जंगलों पर भी मंडरा रहे खतरों को हम बताने की कोशिश कर रहे हैं. विकास की अंधाधुंध रफ्तार से कैसे जंगलों का वजूद खतरे में आ रहा है ये लोगों के सामने रख रहे हैं. क्लाइमेट चेंज के इन खतरों से कैसे जंगलों और उनके ज़रिए मानव समुदाय के अस्तित्व को बचाया जा सकता है ये बताने की हमारी कोशिश है. कार्यशाला के जरिए इन तमाम पहलुओं पर लोगों का ध्यान खींचा जा रहा है - शरद चन्द्र बेहार, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन
फांडेशन की कोशिश ला रही रंग: कार्यशाला में प्रकृति से जुड़ी शार्ट फिल्में भी प्रदर्शित की जा रही है. फाउंडेशन की कोशिश है कि फिल्मों के जरिए भी लोगों तक ये संदेश दिया जाए कि क्लाइमेट चेंज कितना खतरनाक है. कार्यशाला में रिसर्च से जुड़े छात्रों को भी शामिल किया गया है, रिसर्च करने वाले छात्र अपने रिसर्च के जरिए भी लोगों तक मौसम के बदलने के संदेश और उनके खतरों को पहुंचा रहे हैं.