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मां महिषासुर मर्दिनी का आशीर्वाद लेकर बाबा केदार की यात्रा तैयारियों में जुटे लोग, अतीत से चली आ रही परंपरा - Mahishasuramardhini Temple

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 20, 2024, 7:01 AM IST

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Rudraprayag Mahishasur Mardini, Rudraprayag Maikhanda Fair उत्तराखंड में चारधाम की तैयारियां जोरों पर चल रही है. वहीं चारधाम यात्रा के शुरू होने से पहले ग्रामीण मां महिषासुर मर्दिनी का आशीर्वाद यात्रा का आगाज करेंगे. जिसके लिए दो दिवसीय मेले

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव मैखंडा में दो दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही मेले का शुभारंभ हुआ. इस धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन हर साल केदारनाथ यात्रा शुरू होने से पहले किया जाता है, जिसके बाद ग्रामीण मां महिषासुर मर्दिनी का आशीर्वाद लेकर अपने ईष्ट देव केदारनाथ बाबा की यात्रा तैयारियों में जुट जाते हैं. केदारनाथ यात्रा पड़ाव मैखंडा में मां महिषासुर मर्दिनी का मंदिर है, जहां पर हर साल 35 से ज्यादा गांव के लोग केदारनाथ यात्रा शुरू होने से पहले धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही दो दिवसीय मेले का आयोजन करते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार मां ने महिषासुर नामक राक्षस के वध के साथ ही कई असुरों का वध केदारघाटी में किया. जिसके बाद मां महिषासुर मर्दिनी मैखंडा गांव में विराजमान हुई. क्षेत्र के ग्रामीण हर वर्ष यात्रा शुरू होने से पहले मैखंडा में धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करते हैं. जिसके समापन के बाद यात्रा तैयारियों में जुट जाते हैं. बृहस्पतिवार को मैखंडा स्थित माता महिषमर्दिनी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद मेला स्थल पांगरी के लिए भक्तों ने प्रस्थान किया. भक्त माता की मर्तियों को लेकर मेला स्थल पर पहुंचे, जहां पर पहले से मौजूद सैकड़ों ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया.
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पंडित सुनील सेमवाल, ओमप्रकाश सेमवाल, देवी प्रकाश सेमवाल, टीकाराम सेमवाल एवं दयाराम सेमवाल ने अखंड ज्योति प्रज्वलित की, जिसके बाद ढोल दमाऊ की थाप पर ग्रामीणों ने नृत्य किया. धार्मिक अनुष्ठान के पहले दिन ज्वालामुखी में भोग महोत्सव का आयोजन भी किया गया. सामाजिक कार्यकर्ता विष्णुकांत कुर्माचली ने बताया कि हर वर्ष यह परंपरा निभाई जाती है. परंपरा के तहत अखरोट में बालियां आने पर माता को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और फिर इस प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है. उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान के बाद सभी ग्रामीण केदारनाथ यात्रा में जुट जाते हैं और देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने खाने से लेकर अन्य व्यवस्थाएं करते हैं.

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