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भीषण गर्मी का रिकॉर्ड 2024 में टूटेगा, ग्लोबल वॉर्मिंग और अलनीनो को कारण आसमान से बरसेगी आग

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 7:27 PM IST

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वाराणसी में जलवायु परिवर्तन पर तीन दिवसीय सेमिनार (Seminar on climate change in Varanasi) हुआ. इसमें देश-दुनिया के वैज्ञानिकों ने चर्चा की. इसमें ये बात निकलकर सामने आयी कि ग्लोबल वार्मिंग कारण 2024 में आसमान से आग बरसेगी.

वाराणसी: तेजी से हो रहे ग्लोबल वार्मिंग का असर साल 2024 के तापमान (2024 will be hottest year due to global warming) पर प्रत्यक्ष रूप से नजर आने वाला है. इसका परिणाम होगा कि 2024 अब तक का सबसे गर्म साल साबित होगा, जिसमें आसमान से आग बरसेगा. जी हां यह बातें हम नहीं बल्कि दुनिया के शीर्ष मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर जगदीश शुक्ला ने कही है.

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार भारत में सुपर कंप्यूटर मौसम के पूर्वानुमान पद्धति के जनक और शीर्ष मौसम वैज्ञानिक पद्मश्री डॉक्टर जगदीश शुक्ला ने एक बड़ा दावा किया. साल 2024 अब तक का सबसे गर्म साल साबित होने जा रहा है. इस साल धरती सबसे ज्यादा गर्म रहेगी. उन्होंने बताया कि ये आफ़त सभी महासागरों का बढ़ा हुआ तापमान करेगा और इससे मौसम में आने वाले अचानक फेरबदल से हर सेक्टर के लिए परेशानी होगी.

साल 2024 होगा सबसे ज़्यादा गर्म: प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि, 1880 से मौसम की रिकार्ड कीपिंग शुरू की गई है. इसमें 2023 सबसे गर्म साल बताया गया और उसके बाद अब 2024 उससे भी ज्यादा गर्म होने वाला है. उन्होंने बताया कि उसके पीछे मुख्य वजह महासागरों का तापमान बढ़ता है, जिसे अलनिनो कहा जाता है. उसके प्रभाव से सूखा भी पड़ता है.

2024 अब तक का सबसे गर्म साल साबित होगा
2024 अब तक का सबसे गर्म साल साबित होगा (Seminar on climate change in Varanasi

2023 की तस्वीरों को देखें, तो अलनिनो ने गर्मी से दुनिया को खासा परेशान किया और इस साल भी इसका प्रभाव इसी स्वरूप में दिखने जा रहा है. क्योंकि महासागरों का तापमान अचानक से कम नहीं होगा और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया का औसत तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, जो मौसम के लिए बेहद चिंताजनक है.

जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिकों ने की चर्चा: बीएचयू में कृषि मौसम विज्ञान संघ, भारत मौसम विज्ञान के द्वारा तीन दिवसीय जलवायु परिवर्तन नाम के कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इसमें देश और दुनिया के सिर्फ कृषि मौसम वैज्ञानिक जुटे रहे और सभी ने अपने अलग-अलग विचार रखे. इस सेमिनार में सबसे ज्यादा चर्चा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और वैज्ञानिक अनुसंधान और किस तरीके से अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए से नियंत्रित किया जा सकता है, पर की गई. इसके साथ ही वैज्ञानिक समुदाय को किस तरीके से एक साथ लाकर कृषि गतिविधियों से जोड़कर जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों को जागरूक किया जा सके, इस पर चर्चा की गई.

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