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देश के पहले लोकसभा चुनाव में हरियाणा की इस सीट से चुने गये थे 2 सांसद, जानिए 1952 में कितने MP बने - Two MP On One Seat in Haryana

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 6, 2024, 8:01 PM IST

Updated : Apr 12, 2024, 2:47 PM IST

Two MP On One Seat in Haryana: क्या एक लोकसभा सीट से दो सांसद चुने जा सकते हैं. आम तौर पर लोग यही कहेंगे कि नहीं. लेकिन भारतीय लोकसभा चुनाव के इतिहास में ऐसा भी हुआ है. भारत के पहले लोकसभा चुनाव 1952 और दूसरे आम चुनाव 1957 में हरियाणा (तत्कालीन पंजाब) की एक सीट ऐसी थी जहां से दो सांसद चुने गए.

LOK SABHA ELECTION 1952
Two MP On One Seat in Haryana

चंडीगढ़: देश के पहले लोकसभा चुनाव में हरियाणा की एक सीट ऐसी थी जहां से दो सांसद चुने गये. 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ. आजादी के बाद हुए दो आम चुनावों में दो सदस्यीय निर्वाचन कानून के तहत कुछ सीटों पर दो सांसद चुने जाने थे. लोकसभा चुनाव की इस खबर में आप जानेंगे कि एक सीट पर दो सांसद चुनने की व्यवस्था क्या थी. हरियाणा की कौन सी सीट से दो सांसद चुने गए, और पहले लोकसभा चुनाव में हरियाणा से कितने सांसद बने.

देश के पहले चुनाव में हरियाणा की 7 सीट से 8 सांसद बने

देश के पहले लोकसभा चुनाव 1952 में हुए. इस समय हरियाणा राज्य नहीं बना था और संयुक्त पंजाब का हिस्सा था. लेकिन हरियाणा इलाके में कुल 7 लोकसभा सीटें थीं, जहां से कुल 8 सांसद बने थे. 7 लोकसभा सीटों में से करनाल डबल सीट थी. यानि यहां से दो सांसद चुने जाने थे. एक सामान्य वर्ग का और दूसरा अनुसूचित जाति का. यानि एक पार्टी के दो उम्मीदवार मैदान में उतारे गये थे.

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देश के पहले लोकसभा चुनाव में करनाल थी डबल सांसद सीट

1952 में हुए देख के पहले लोकसभा चुनाव में हरियाणा क्षेत्र में आने वाली करनाल सीट से दो उम्मीदवार जीतकर सांसद बने थे. सुभद्रा जोशी सामान्य कैंडिडेट के तौर पर और वीरेंद्र कुमार अनुसूचित जाति (SC) से. इस चुनाव में सुभद्रा जोशी को 2 लाख 3 हजार 588 वोट हासिल हुए. जबकि वीरेंद्र कुमार को 1 लाख 51 हजार 802 मत मिले. करनाल सीट से दोनो विजयी उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी के थे. दूसरे नंबर पर अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के उम्मीदवार माधव आचार्य रहे. तीसरे नंबर पर जनसंघ के उम्मीदवार जुगल किशोर. वहीं जनसंघ के दूसरे उम्मीदवार को केवल 28 हजार वोट ही मिले. दरअसल पहले आम चुनाव में करनाल लोकसभा डबल सांसद सीट थी. एक सीट से डबल सांसद व्यववस्था क्या थी, ये हम आपको आगे बतायेंगे.

1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में हरियाणा के सांसदों के नाम और सीट
अंबाला-शिमला- कांग्रेस के नेता टेक चंद ने भारतीय जन संघ के उम्मीदवार सोहन लाल को हराया.
फाजिल्का-सिरसा- कांग्रेस उम्मीदवार आत्मा सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के गुर राज सिंह को हराया.
गुड़गांव- कांग्रेस के नेता ठाकर दास इस सीट से सांसद बने. उन्होंने निर्दलीय जीवन खान को हराया.
हिसार- कांग्रेस के उम्मीदवार अचिंत राम जीते. वो निर्दलीय कैंडिडेट हरदेव सहाय को हराकर सांसद बने.
झज्जर-रेवाड़ी- कांग्रेस के उम्मीदवार घमंडी लाल सांसद बने. उन्होंने जमींदार पार्टी के प्रताप सिंह को हराया.
रोहतक- भूपेंद्र हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा जीते. उन्होंने जमींदार पार्टी के हरि राम को हराया.
करनाल- दो सांसद बने. सामान्य उम्मीदवारी पर सुभद्रा जोशी, वीरेंद्र कुमार एससी सांसद जीते. दोनो कांग्रेस के थे.

भारत के दूसरे लोकसभा चुनाव (1957) में अंबाला से 2 सांसद बने

भारतीय संसद में डबल सीट का फार्मूला दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में भी लागू था. 1957 लोकसभा चुनाव में भी हरियाणा में 7 लोकसभा सीटें थी. हलांकि 1952 की कुछ सीटें परिसीमन के बाद क्षेत्र के हिसाब से बदल दी गईं थी. 1957 में अंबाला सीट से दो सांसद चुने गये. कांग्रेस के टिकट पर सामान्य वर्ग से सुभद्रा जोशी और अनुसूचित जाति से चुन्नी लाल. यानि भारत के दूसरे चुनाव में भी अंबाला के दो सांसद मिलाकर हरियाणा क्षेत्र से 8 सांसद चुने गये. सुभद्रा जोशी पहले लोकसभा चुनाव 1952 में करनाल से सांसद बनी थीं. ये वही सुभद्रा जोशी हैं जिन्होंने 1962 के चुनाव में बलरामपुर से अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था.

1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में हरियाणा के सांसदों के नाम और सीट
अंबाला- डबल सांसद. सामान्य वर्ग से कांग्रेस की सुभद्रा जोशी, एससी टिकट पर चुन्नी लाल सांसद बने.
गुड़गांव- देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद गुड़गांव से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने.
हिसार- कांग्रेस के टिकट पर ठाकर दास भार्गव ने निर्दलीय नेत राम को हराकार सांसद बने.
झज्जर- कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के प्रताप सिंह जीते. कांग्रेस के घमंडी लाल को हराया.
कैथल- कांग्रेस उम्मीदवार मूलचंद जीतकर सांसद बने. उन्होंने जन संघ के बीरबल दास को हराया.
महेंद्रगढ़- कांग्रेस के राम कृष्ण सांसद बने. उन्होंने इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रतन सिंह को हराया.
रोहतक- भूपेंद्र हुड्डा के पिता रणबीर हुड्डा सांसद बने. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार धजा राम को हराया.

दो सदस्यीय निर्वाचन कानून क्या था?

आजादी के बाद हुए पहले दो चुनावों (1952 और 1957) में हर 5 में से एक सीट पर दो सांसद चुनने की व्यवस्था थी. 1951-52 में भारत का पहला आम चुनाव कुल 400 सीटों पर हुआ, इनमें से 86 सीटों पर एक सामान्य वर्ग और एक अनुसूचित जाति के दो-दो सांसद चुने गये. दोनों चुनावों में हरियाणा की भी एक-एक सीट थी. हलांकि हरियाणा उस समय पंबाज का हिस्सा था. 1962 में दो सदस्यीय निवार्चन कानून खत्म कर दिया गया और एससी-एसटी के लिए अलग से सीटें आरक्षित कर दी गईं.

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Last Updated : Apr 12, 2024, 2:47 PM IST
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