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चैत्र पूर्णमासी पर गुलाबी दिखा चांद, सुबह 5.18 बजे तक देखी गई दुर्लभ खगोलीय घटना, ये था इसके पीछे का विज्ञान - pink moon 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 23, 2024, 9:24 AM IST

Updated : Apr 24, 2024, 8:08 AM IST

चैत्र पूर्णमासी पर चांद गुलाबी नजर आया. सुबह 5.18 बजे तक यह दुर्लभ खगोलीय घटना देखी गई. चलिए समझते हैं आखिर इस खगोलीय घटना के पीछे की आखिर वजह क्या थी.

PINK MOON 2024
PINK MOON 2024

गोरखपुर : चैत्र पूर्णमासी पर शाम 6.25 बजे के बाद लोगों को पिंक मून के दीदार हुए. पिंक मून का दीदार लोगों ने बुधवार सुबह 5.18 बजे तक किया. इस दौरान जिस किसी ने भी पिंक मून को देखा वाह कह उठाया.

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गोरखपुर नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया यह एक खगोलीय घटना है. यह पूर्ण चंद्र उदय के दौरान ही घटित होती है. इस दिन चांद सामान्य दिनों से बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. अप्रैल में घटित होने वाले फुल मून (पूर्ण चंद्र) जो कि रात में चांदनी बिखेरते नजर आते हैं, उसी पूर्ण चंद्रमा को पिंक मून (गुलाबी चांद) कहा जाता है. इसे स्प्राउट मून, एग मून, फिश मून, फशय मून फेस्टिवल मून, फुल पिंक मून, ब्रीकिंग आइस मून, बडिंग मून, अबेकनिंग मून आदि नामों से भी जाना जाता है.

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क्या है पिंक मून : अमर पाल सिंह ने बताया कि दरअसल पिंक मून नाम मूल रूप से उत्तरी अमेरिका में निवास करने वाले और खासकर छोटे जनजातीय समुदाय में निवास करने वाले किसानों द्वारा 1930 के दौरान दिया गया था. अप्रैल के इस मौसम के दौरान ही अमेरिका के पूर्वी और उत्तरी हिस्सों के जंगल में उगने वाले एक खास किस्म के पौधे, जिसे फ्लॉक्स सुबूलाटा या क्रीपिंग फ्लोक्स और मॉस फ्लॉक्स या मॉस पिंक कहा जाता है, जो दिखने में मनमोहक गुलाबी रंग का होता है, उसी के नाम पर अप्रैल के पूर्ण चंद्र को पिंक मून नाम दिया गया है.

इसलिए बदले रूप में नजर आता है चांद : खगोलविद ने बताया कि कभी-कभी चांद में पृथ्वी के वायु मंडल में उपस्थित अति सूक्ष्म धूल के कणों और विभिन्न प्रकार की गैसों की उपस्तिथि, ऊर्जा और अन्य कारणों से भी बदलाव आ जाता है. ये पृथ्वी पर आने वाले प्रकाश की मात्रा में व्यवधान भी उत्पन्न करते हैं. पृथ्वी पर आने वाला प्रकाश इन कणों से टकरा कर अपने-अपने तरंगदैर्ध्य के हिसाब से बिखर जाता है. इस दौरान सबसे पहले नीला रंग बिखरा हुआ नजर आता है. लाल रंग दूर तक जाता है. चन्द्रमा को पृथ्वी से देखने पर वह कभी-कभी कत्थई, हल्का सा नीला, सिल्वर, गोल्डन, हल्का सा पीला और इल्यूजन के कारण सामान्य से कुछ बड़ा सा भी नजर आता है. इसे खगोल विज्ञान की भाषा में रिले स्कैटरिंग या प्रकाश का प्रकीर्णन भी कहा जाता है.

इस वजह से चांद कुछ बदला हुआ सा भी नजर आता है. सामान्य रातों में आकाश साफ होने पर चांद का वास्तविक रंग सफेद व चमकीला होता है. इस बार 23 अप्रैल 2024 को होने वाले पिंक मून (पूर्ण चंद्र) को आप 23 अप्रैल की सुबह 03 बजकर 25 मिनट से लेकर 24 अप्रैल की सुबह 05 बजकर 18 मिनट तक देख सकते हैं. हालांकि दिन में यह नजारा साफ तौर पर नजर नहीं आएगा. शाम को 6.25 बजे से यह नजारा अद्भुत दिखाई देगा.

वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसे देखने के लिए किसी भी खास उपकरण की आवश्यकता नहीं है. साधारण आंखों से ही इसका दीदार किया गया है. रात्रि में टूटते हुए तारों (उल्का पिंडों) का भी आनन्द लिया गया. अप्रैल माह में होने वाली उल्का बौछार को जिसे लिरिड मेटियर शॉवर नाम से जाना जाता है. पिंक मून को करीब से देखन के इच्छुक लोग तारामंडल स्थित नक्षत्रशाला भी आ सकते हैं.

खास दिन पर बन रहा संयोग : ज्योतिषों के अनुसार पिंक मून पर पंचग्रही योग बनेगा. मेष राशि में बुध और सूर्य की युति से बुधादित्य योग भी बन रहा है. इसी कड़ी में शनि मूल त्रिकोण राशि में होगा. इससे शश राजयोग बन रहा है.

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Last Updated :Apr 24, 2024, 8:08 AM IST
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