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उत्तराखंड के मदरसों में रामायण पर 'महाभारत', विरोध में उतरे मुस्लिम संगठन, जानिए क्या है नया विवाद

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 29, 2024, 7:36 PM IST

Ramayana in Madrasas of Uttarakhand
उत्तराखंड के मदरसों में 'रामायण'

Ramayana in Madrasas of Uttarakhand अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही पूरा देश श्री राम की धुन में डूबा हुआ है. इसी बीच उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने मदरसों में भगवान राम और अपने नबी के बारे में पढ़ाने की बात कहकर नए विवाद को हवा दे दी है. जिस पर तमाम मुस्लिम धर्मगुरू और जानकार विरोध में उतर आए. जानिए क्या है पूरा मामला और क्यों दी जा रही चेतावनी...

देहरादून: उत्तराखंड में मदरसों में रामायण पढ़ाने का मामला तूल पकड़ने लगा है. हाल ही में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने फैसला लिया है कि वो जल्द ही मदरसों के माध्यम से बच्चों को रामायण का ज्ञान भी दिलवाएंगे, लेकिन उनके इस फैसले का न केवल राजनीतिक तौर पर बल्कि, खुद मुस्लिमों धर्म के जानकारों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष से लेकर राजनीति से जुड़े लोगों ने सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका कहना है कि फैसला लिया नहीं, बल्कि थोपा जा रहा है.

  • #WATCH | Dehradun: Uttarakhand Waqf Board Chairman Shadab Shams says, "Instead of teaching about Aurangzeb, we will teach about Lord Ram and about our Nabi in the modern madarsas. We are Hindustani and our DNA matches with Lord Ram... Therefore we have decided that we will teach… pic.twitter.com/cVlbQikT0U

    — ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 26, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष बोले- कौम को धर्म से दूर करने का हो रहा प्रयास: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बीते दिनों बयान दिया था कि सूबे के तमाम मदरसों में रामायण के माध्यम से श्री राम की कथा बच्चों तक पहुंचाई जाएगी. ये बयान तब आया, जब अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई, लेकिन उनके बयान का अब विरोध शुरू हो गया है. जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आरिफ का कहना है कि ये फैसला लिया नहीं, बल्कि थोपा जा रहा है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है. ऐसा करके ये लोग कौम को धर्म से दूर करना चाहते हैं.

आरिफ कड़े शब्दो में कहते हैं कि वो खुद एक मदरसे के प्रिंसिपल हैं. वो ये कभी नहीं कर पाएंगे. ऐसे में वो इस बयान और फैसले का विरोध करते हैं. ये किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई फैसला लिया जाता है तो उस फैसले को लेकर पहले चर्चा होती है, फिर बोर्ड में लाया जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेताओं के आगे नंबर बढ़ाने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. जिसकी वो निंदा और विरोध करते हैं.

Shadab Shams
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स

आकिल अहमद बोले- गुरुकुल में पढ़ाएं कुरान शरीफ: उधर, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. कभी देहरादून में कांग्रेस के बड़े मुस्लिम नेताओं में शुमार आकिल अहमद भी शादाब शम्स के विरोध में उतर आए हैं. आम इंसान विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकिल अहमद ने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के उन बयानों का विरोध किया है, जिसमें मदरसों में रामायण पढ़ाए जाने की बात कही गई है. अहमद ने कहा कि धामी सरकार ने मदरसों में रामायण पढ़ाने का जो बयान दिया है, वो बिल्कुल गलत है.

आकिल अहमद ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां मदरसों और गुरुकुल में अपने धर्म के अनुसार शिक्षा दी जाती है. अगर सरकार मदरसों में रामायण पढ़ाना चाहती हैं तो उन्हें हिंदी और अंग्रेजी स्कूलों के साथ ही गुरुकुल जैसे शिक्षा संस्थानों में कुरान शरीफ पढ़ाने के भी आदेश देने चाहिए. आकिल अहमद का कहना है कि हम मदरसों में रामायण पढ़ाए जाने और उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का सड़कों से लेकर विधानसभा तक विरोध करेंगे.

akeel Ahemad
आकिल अहमद

अपने फैसले और बयान पर अड़े शादाब शम्स: वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स अपने बयान और फैसले पर अभी भी अड़े हुए हैं. उन्होंने साफ कहा कि बोर्ड अपने 170 मदरसों में रामायण पढ़ाएगा और जिन लोगों को लगता है कि ये उन पर थोपा पा रहा है तो वो मदरसे में ना पढ़ाएं, लेकिन हम अपने यहां शुरू करने जा रहे हैं. शम्स ने कहा जो लोग विरोध कर रहे हैं, ये सभी नफरत की दुकान चलाने वाले हैं. समय के साथ बदलना होगा. शादाब की मानें तो वो इन विरोध से नहीं डरते हैं. जल्द इस बारे में सीएम धामी से भी मुलाकात करने वाले हैं.

शिप्ते नबी की शादाब को नसीहत: उत्तराखंड में सामाजिक कार्यकर्ता शिप्ते नबी कहते हैं कि पीएम मोदी खुद इस बात को कह रहे हैं कि एक हाथ में कुरान और एक हाथ में कंप्यूटर होना चाहिए, लेकिन अब ये नया फरमान सही नहीं है. भगवान राम का तो पहले से ही एनसीईआरटी में जिक्र है और बच्चे पढ़ भी रहे हैं, फिर उसके बाद ये रामायण का जिक्र आना, इससे लगता है कि बोर्ड में कुछ सही नहीं चल रहा है. ऐसे में शादाब शम्स को दोबारा इस बारे में सोचना चाहिए.

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