ETV Bharat / bharat

छ्त्तीसगढ़ में दिग्गजों के बीच बिग फाइट, जानिए सियासी दांव पेंच में कौन किससे है बेहतर - Lok Sabha election 2024

author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 12, 2024, 4:51 PM IST

Updated : Apr 12, 2024, 5:12 PM IST

Battleground Chhattisgarh Big Fight छत्तीसगढ़ में 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा. पहले चरण में बस्तर लोकसभा सीट के लिए वोट पड़ेंगे. आज हम आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ की उन हाईप्रोफाइल सीटों के बारे में जहां मैदान में दिग्गजों के उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है. High profile seats in Chhattisgarh

High profile seats in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में हाईप्रोफाइल सीट

रायपुर : छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी.राज्य बनने के बाद वोटर्स ने सिर्फ इन्हीं दो पार्टियों पर भरोसा जताया है. तीसरा मोर्चा और निर्दलीय प्रत्याशियों के तौर पर उतरे बड़े चेहरों को जनता ने नजर अंदाज किया है. इस बार भी छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में चुनाव होंगे. आज हम आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट्स का हाल,जहां एक दूसरे के सामने हैं दिग्गज

बस्तर लोकसभा सीट : छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट कांग्रेस और बीजेपी दोनों के ही लिए काफी महत्वपूर्ण है. बस्तर लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद 1952 में पहली बार बस्तर सीट अस्तित्व में आई. 2019 में कांग्रेस के दीपक बैज ने इस सीट से चुनाव जीतकर कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में परचम लहराया था.इस बार बस्तर में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा.

कौन है आमने-सामने ?: बस्तर लोकसभा सीट में इस बार कांग्रेस ने मौजूदा सांसद रहे दीपक बैज का टिकट काटा है. इस बार दीपक बैज की जगह कांग्रेस ने कांग्रेस के कद्दावर नेता कवासी लखमा को मौका दिया है.कवासी लखमा बस्तर का जाना माना चेहरा है.

कवासी लखमा : कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से विधायक हैं. कांग्रेस की पिछली सरकार में कवासी आबकारी मंत्री का पद संभाल चुके हैं.कवासी लखमा बस्तर रीजन में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है. सबसे पहले 1998 में कवासी लखमा ने चुनाव जीता था. उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2003, 2008, 2013, 2018 और फिर इस बार 2023 में कवासी लखमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.स्कूल का मुंह तक नहीं देखने वाले लखमा ने कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री का पद संभाला है.छत्तीसगढ़ राज्य के कोंटा विधानसभा से पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे. 2013 में दरभा घाटी में नक्सली हमले के दौरान, 30 से अधिक लोग मारे गए थे,कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए.लेकिन कवासी लखमा बच गए थे.

महेश कश्यप : बीजेपी ने जमीन कार्यकर्ता से नेता बने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है. महेश कश्यप की आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ रही है. कार्यकर्ता से नेता बनने तक का सफर तय करने वाले महेश कश्यप एक जुझारु नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

बस्तर लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स? : बस्तर लोकसभा सीट पर करीब 13 लाख 57 हजार 443 वोटर्स हैं. इनमें से 6 लाख 53 हजार 620 पुरुष मतदाता हैं जबकि 7,03,779 महिला वोटर्स हैं. 201 9लोकसभा चुनाव में 9 लाख 12 हजार 846 मतदाताओं ने मतदान किया था. मतलब यहां 70 फीसदी मतदान हुआ था.

राजनांदगांव लोकसभा सीट : छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव लोकसभा हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है.इसे मुख्यमंत्रियों की सीट भी कहा जाता है.विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पूर्व सीएम रमन सिंह इसी सीट पर चुनाव लड़ा करते थे.इस बार भी रमन सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की है. राजनांदगांव सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी. 2009 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 2019 में इस सीट पर बीजेपी के संतोष पाण्डेय ने जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संतोष पांडे ने कांग्रेस के भोला राम साहू को हराया था. राजनांदगांव लोकसभा में विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. ये सीटें पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी और मोहला-मानपुर हैं.

कौन है आमने-सामने ?: छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में इस बार भी राजनांदगांव सीट से बीजेपी ने संतोष पाण्डेय को उतारा है. जबकि कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल मैदान में हैं.भूपेश बघेल प्रदेश के सीएम रह चुके हैं. जहां इस लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के बाद दिग्गज मुख्यमंत्री बने,वहीं भूपेश मुख्यमंत्री बनने के बाद चुनाव लड़ रहे हैं.

भूपेश बघेल : भूपेश बघेल की छवि पाटन की जनता के बीच लोकप्रिय नेता और सीएम की रही है. पाटन में जितने भी विकास के काम हुए उन सबका श्रेय भूपेश बघेल को जनता देती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. भूपेश बघेल पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से भरोसा करता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल को शिकस्त दी है.भूपेश बघेल को इस बार पार्टी ने राजनांदगांव सीट से संतोष पाण्डेय के खिलाफ उतारा है. कांग्रेस का मानना है कि भूपेश बघेल की छवि का असर आसपास की दूसरी लोकसभा सीटों पर भी पड़ेगा. यदि ऐसा हुआ तो कवर्धा, राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा में कांग्रेस बड़ा उलटफेर कर सकती है.भूपेश बघेल 2018 में प्रदेश के सीएम रह चुके हैं.ऐसे में कांग्रेस उनके तजुर्बे का फायदा उठा सकती है. कांग्रेस को यकीन है कि भूपेश कई जगहों पर बिखर रही कांग्रेस को एकजुट करके लोकसभा में करिश्मा कर सकते हैं.

संतोष पाण्डेय : संतोष पाण्डेय बीजेपी के मंडल अध्यक्ष से लेकर राजनांदगांव जिला के युवा मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे हैं. संतोष बीजेपी के दो बार प्रदेश मंत्री रहे हैं और इसके अलावा वह प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं. संतोष पाण्डेय ने कृषि उपज मंडी कवर्धा का अध्यक्ष पद भी संभाला हैं. संतोष पाण्डेय को बीजेपी शासन काल में खेल एवं युवा कल्याण आयोग के प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया था. इसके बाद संतोष राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से 17वीं लोकसभा में सांसद बने और एक बार फिर से राजनांदगांव से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

राजनांदगांव लोकसभा सीट पर मतदाता : राजनांदगांव लोकसभा सीट पर करीब 16 लाख 88 हजार 647 वोटर्स हैं. इनमें से 8 लाख 43 हजार 122 पुरुष मतदाता हैं जबकि 8 लाख 45 हजार 495 महिला वोटर्स हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में 13 लाख 7 हजार 33 मतदाताओं ने मतदान किया था. यहां 74 फीसदी मतदान हुआ था.

बिलासपुर लोकसभा सीट : बिलासपुर लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई. साल 2019 में अरुण साव इस लोकसभा सीट से सांसद बने थे.मौजूदा समय में अरुण साव प्रदेस सरकार में डिप्टी सीएम हैं. छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट बिलासपुर में पिछले कई सालों से बीजेपी का कब्जा है. 2019 में सांसद लखन साहू का टिकट काटकर अरुण साव को सांसद प्रत्याशी बनाया गया था.अरुण साव ने रिकॉर्ड 1 लाख 41 हजार 763 मतों से अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को हराया था.बीजेपी के गढ़ के रूप में पहचान बना चुकी बिलासपुर संसदीय क्षेत्र में बिलासपुर, बिल्हा, मस्तूरी, बेलतरा, तखतपुर, लोरमी, मुंगेली और कोटा विधानसभा सीट आती हैं.

कौन है आमने-सामने ?: बिलासपुर लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही नया प्रत्याशी उतारा है. बीजेपी की ओर से जहां लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू मैदान में हैं,वहीं कांग्रेस की ओर से भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव बिलासपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.

देवेंद्र यादव :देवेंद्र यादव 2009 में रुंगटा कॉलेज के एनएसयूआई प्रतिनिधि रहे. 2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष एनएसयूआई रहे. 2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई बने. 2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव 2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव एनएसयूआई रहे. 2016 में नगर पालिका निगम भिलाई के महापौर बने. 2017–18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस रहे. देवेंद्र यादव 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे. देवेंद्र यादव ने स्कूल के दौरान ही कांग्रेस की छात्र राजनीति में कदम रख दिया था. देवेंद्र एनएसयूआई के प्रतिनिधि और एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. साथ ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है. 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब देवेंद्र यादव को मिला है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देवेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी.देवेंद्र यादव ने दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पू्र्व अध्यक्ष और मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में शिकस्त दी है.

तोखन साहू : तोखन साहू बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. 2013 में पहली बार लोरमी से विधायक चुने गए. 2014-15 में तोखन साहू को महिला एवं बालक कल्याण समिति का सदस्य बनाया गया.साल 2015 में संसदीय सचिव का जिम्मा भी तोखन साहू संभाल चुके हैं.

बिलासपुर लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स : बिलासपुर लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख 11 हजार 606 वोटर्स हैं. इनमें से 9 लाख 21 हजार 521 पुरुष मतदाता हैं जबकि 8 लाख 89 हजार 970 महिला वोटर्स हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में 12 लाख 9 हजार 434 मतदाताओं ने मतदान किया था. 2019 में 67 फीसदी मतदान हुआ था.

जांजगीर चांपा लोकसभा सीट : जांजगीर चांपा लोकसभा 1952 में अस्तित्व में आई. जांजगीर चांपा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति यानी SC के लिए आरक्षित है. 2004 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगल्ले ने कांग्रेस के रवि पारसराम भारद्वाज को हराया था. जांजगीर चांपा लोकसभा में विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. अकलतरा, जांजगीर-चांपा, सक्ती, चंद्रपुर, जैजैपुर, पामगढ़, बिलाईगढ़ और कसडोल के वोटर्स इस लोकसभा के लिए वोटिंग करते हैं.

कौन है आमने सामने : जांजगीर चांपा लोकसभा सीट के लिए इस बार कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शिव डहरिया को मैदान में उतारा है. शिव डहरिया विधानसभा चुनाव हार चुके हैं.वहीं बीजेपी की बात करें तो बीजेपी ने यहां शिव डहरिया के मुकाबले कमलेश जांगड़े को टिकट दिया है.

शिव कुमार डहरिया : शिव कुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को रायपुर जिले के अभनपुर में हुआ. पिता का नाम स्व. आशाराम डहरिया और पत्नी का नाम शकुन डहरिया है. शिव कुमार डहरिया ने बीएएमएस की पढ़ाई की है. शिव डहरिया ने 13 साल की उम्र ही राजनीति में कदम रखा. 1977 से लेकर 1988 तक स्कूल और कॉलेज में छात्र संघ के कई पदों पर नियुक्त हुए. साल 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली.1997 में युवा कांग्रेस के महामंत्री बने. 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे. इसके बाद साल 2000 में राज्य परिवहन प्रधिकरण के सदस्य बने. इसी बीच उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला.साल 2001 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री के रूप में नियुक्त हुए.2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए.इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से शिव डहरिया को उम्मीदवार बनाया गया है.

कमलेश जांगड़े : कमलेश जांगड़े सक्ती जिले की मसनियां कला गांव की निवासी है. साल 2002 में कमलेश ने विद्यार्थी परिषद में संयोजक का पद संभाला.इसके बाद 2005 से 2015 के बीच दो बार मसनियां कला गांव की सरपंच भी रहीं. सरपंच के कार्यकाल में अच्छा काम करने के कारण कलेक्टर ने कमलेश जांगड़े को सर्वश्रेष्ठ सरपंच का खिताब भी दिया था. 2015 से 2020 तक प्रदेश महिला मोर्चा में विशेष आमंत्रित सदस्य बनीं. इसके बाद सरगुजा में जिला प्रभारी का दायित्व संभाला. साल 2020 में जांजगीर-चांपा जिला की बीजेपी जिला उपाध्यक्ष भी बनीं. जनवरी 2023 से कमलेश महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हैं.

जांजगीर चांपा लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स : जांजगीर चांपा लोकसभा में इस बार वोटर्स की कुल संख्या 20 लाख 44 हजार 411 है. जिसमें पुरुष वोटर्स 10 लाख 27 हजार 686 और महिला वोटर्स 10 लाख 16 हजार 699 है. वहीं थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 29 है.

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे : 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगले ने कांग्रेस के रवि परसाराम भारद्वाज को 83 हजार 255 हजार वोटों से हराया था. गुहाराम अजगल्ले को 5 लाख 72 हजार 790 लाख यानी 46 फीसदी वोट मिले थे. वहीं रवि परसाराम भारद्वाज को 4 लाख 89 हजार 535 लाख यानी 39 प्रतिशत वोट मिले थे.

कोरबा लोकसभा सीट : छत्तीसगढ़ की कोरबा लोकसभा सीट परिसीमन के बाद पहली बार 2008 में अस्तित्व में आई थी. ये सीट पहले जांजगीर चांपा के अंदर आता था. इस सीट पर पहली बार चुनाव 2009 में हुआ. जिसमें कांग्रेस के चरणदास महंत ने बीजेपी की करुणा शुक्ला को हराया था. 2014 में बीजेपी के बंशीलाल महतो ने चरणदास महंत को चुनाव हराया. कोरबा लोकसभा में आठ विधानसभा भरतपुर-सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, रामपुर, कोरबा, कटघोरा, पाली-तानाखार और मरवाही आती है.

कौन है आमने सामने : इस बार कोरबा संसदीय सीट के लिए दो महिला उम्मीदवारों के बीच टक्कर है. कांग्रेस ने जहां इस बार ज्योत्सना महंत को टिकट दिया है.वहीं दूसरी ओर बीजेपी की ओर से पूर्व सांसद सरोज पाण्डेय को चुनाव मैदान में उतारा गया है.

ज्योत्सना महंत : ज्योत्सना महंत : ज्योत्सना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है. कोरबा लोकसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. ज्योत्सना का जन्म 18 नवंबर 1953 को हुआ था. भोपाल विश्वविद्यालय से वर्ष 1974 में बीएससी और फिर एमएससी पूरी की. ज्योत्सना और चरणदास महंत की शादी 23 नवंबर 1980 को हुई. उनकी तीन बेटी और एक बेटा है. ज्योत्सना महंत को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था. जिसमें उन्होंने बीजेपी के ज्योति नंद दुबे को हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट ही मिली थी.उसमें से एक कोरबा लोकसभा भी थी. 9 अक्टूबर 2019 को लोकसभा की कमेटी ऑन इंपावरमेंट ऑफ वुमेन की सदस्य बनाया गया. फिर 13 सितंबर 2019 को स्टेंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सदस्य के तौर पर नियुक्त हुईं.

सरोज पाण्डेय : साल 2018 में सरोज पांडेय को राज्यसभा सांसद चुना गया था. सरोज पांडे ने कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू को हराकर जीत दर्ज की थी. सरोज पांडेय 22 जून 1968 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में पैदा हुईं. पहली बार साल 2000 और 2005 में दूसरी बार भिलाई निगम की मेयर बनीं. साल 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक चुनी गईं. इसके बाद बीजेपी ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग संसदीय सीट से जीत हासिल की. 2013 में सरोज पाण्डेय को बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.इसके बाद सरोज पाण्डेय ने साल 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. लेकिन कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने सरोज पाण्डेय को चुनाव हरा दिया.इस हार के बाद भी सरोज पाण्डेय की लोकप्रियता जरा भी कम नहीं हुईं. बीजेपी ने सरोज पाण्डेय को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया.इसके बाद साल 2018 में सरोज पाण्डेय को राज्यसभा के लिए चुना गया.

कोरबा लोकसभा में वोटर्स : कोरबा लोकसभा सीट पर करीब 13 लाख 40 हजार 544 वोटर्स हैं. इनमें से 6 लाख 74 हजार पुरुष मतदाता हैं जबकि 6 लाख 66 हजार 504 महिला वोटर्स हैं. 2019 में 11 लाख 37 हजार 3 मतदाताओं ने मतदान किया था. यानी 83 फीसदी मतदान हुआ था.

2019 के लोकसभा चुनाव नतीजे : 2019 के चुनाव में चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत इस सीट से चुनाव लड़ीं. ज्योत्सना महंत ने इस सीट पर बीजेपी के ज्योतिनंद दुबे को हराकर जीत दर्ज की थी. ज्योत्सना महंत ने ज्योतिनंद दुबे को 26 हजार 349 हजार वोटों से हराया था. ज्योत्सना महंत को 5 लाख 23 हजार 410 लाख यानी 46 फीसदी वोट और ज्योतिनंद दुबे को 4 लाख 97 हजार 61 यानी 43 प्रतिशत वोट मिले थे.

कौन हैं कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा, क्या बस्तर लोकसभा सीट में करेंगे खेला
विष्णु देव साय ने कवासी लखमा को बताया चुनाव में बलि का बकरा, प्रदेशवासियों को दी होली की बधाई
कोंटा विधानसभा चुनाव, मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ लोगों में नाराजगी, जानिए क्या है वजह ?
Last Updated :Apr 12, 2024, 5:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.