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हरीश रावत ने QR कोड से बेटे के चुनाव प्रचार के लिए मांगा चंदा, बोले- संघर्ष का साथी हूं मदद करें, मान रखें - Harish Rawat QR Code

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 10, 2024, 11:24 AM IST

Updated : Apr 10, 2024, 1:46 PM IST

Harish Rawat
हरीश रावत समाचार

Harish Rawat asked for donations through QR code हरीश रावत कांग्रेस के वो नेता हैं जो अपनी बात बिना लाग-लपेट के बेबाकी से कहने के लिए जाने जाते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में हरीश रावत ने अपनी कड़ी मेहनत से अपने बेटे वीरेंद्र रावत का टिकट तो फाइनल करा दिया, लेकिन अब चुनाव प्रचार में वो पैसों की किल्लत बता रहे हैं. हरीश रावत ने सोशल मीडिया एक्स पर एक क्यूआर कोड शेयर कर बेटे वीरेंद्र रावत के लिए वोट के साथ नोट देने की अपील की है.

हरिद्वार: आपने वह कहावत तो सुनी होगी जिसमें कहा जाता है- बेटी की शादी और चुनाव में बिकने तक की नौबत आ जाती है. ऐसा ही कुछ धर्मनगरी हरिद्वार की लोकसभा सीट पर देखने को मिल रहा है. यहां एक पिता अपने बेटे के चुनाव के लिए लोगों से सोशल मीडिया पर आर्थिक मदद मांगता हुआ दिखाई दे रहा है.

हरीश रावत को चाहिए आर्थिक मदद: दरअसल हरीश रावत द्वारा अपने सोशल मीडिया पर अपने बेटे वीरेंद्र रावत के चुनाव के लिए आर्थिक सहायता की गुहार लगाई गई है. हरीश रावत के द्वारा कहा गया है कि मैं आपके संघर्ष का साथी हूं. मेरा मान रखें और साथ दे. इसी के साथ उन्होंने कहा है कि आप सभी के सहयोग का अभिलाषी मैं हरीश रावत जैसा कि आप सबको मालूम है कि हमारी पार्टी का खाता सीज कर दिया गया है.

बेटे के चुनाव प्रचार का सवाल है! इसी के साथ संसाधन का हमारे पास अभाव है. यदि आपके मन में मेरी मदद करने की भावना हो, तो कृपया कर हमारी हरिद्वार के लोकसभा सीट उम्मीदवार वीरेंद्र रावत को हमारे चुनाव खाते में ₹100 या उससे अधिक क्षमता और श्रद्धा हो उतना आप खाता संख्या में डाल दीजिए, ताकि हमारा चुनाव अभियान धन के अभाव के कारण ना रुक सके.

वोट के साथ नोट की अपील: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत के लिए हरिद्वार की जनता से वोट के साथ ही आर्थिक सहयोग करने की अपील की है. हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है, हमारी पार्टी का खाता सीज होने के कारण संसाधन का हमारे पास पूर्णता अभाव है. आपकी आर्थिक मदद से हमारा चुनाव अभियान चल सकेगा.

हरीश रावत को क्यों चाहिए पैसे? अभी लोकसभा चुनाव 2024 का समय है. हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में खर्च की सीमा 95 लाख रुपए तय की हुई है. हरीश रावत बेटे के चुनाव प्रचार के लिए पैसे नहीं होने का दावा करते हुए लोगों से आर्थिक मदद की अपील कर रहे हैं.

कहीं हरीश रावत का सहानुभूति का शिगूफा तो नहीं? हरीश रावत राजनीति में हर फन के माहिर माने जाते हैं. वो जनता का मूड भांपने और उसे बदलने की कारीगरी भी जानते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कहीं हरीश रावत कांग्रेस उम्मीदवार अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिए राजनीतिक सहानुभूति बटोरने के फेर में तो नहीं हैं. क्योंकि वीरेंद्र रावत का मुकाबला बीजेपी के प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से है.

कौन हैं हरीश रावत? हरीश रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. वो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1948 को उत्तराखंड को अल्मोड़ा जिले में स्थित मोहनरी गांव में हुआ. वो 5 बार सांसद रह चुके हैं. 15वीं लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में वो जल संसाधन मंत्री रह चुके हैं. हरीश रावत केंद्र में संसदीय मामलों के मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, कृषि मंत्रालय के साथ श्रम और रोजगार मंत्रालय राज्य मंत्री के पदभार संभाल चुके हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत दो सीटों से लड़े और मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गए थे. 2019 में वो नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट से बीजेपी के अजय भट्ट से बुरी तरह हार गए थे.

हरीश रावत की अब तक की राजनीतिक यात्रा: 1990 में हरीश रावत संचार मंत्री के साथ 1990 में ही राजभाषा कमेटी के सदस्य बने. 1992 में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद संभाला. 1997 तक वो इस पद पर बने रहे. 2001 में उन्हें उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. 2002 में वो राज्यसभा के लिए चुन लिए गए. 2009 में वो एक बार फिर लेबर एंड इम्‍प्‍लॉयमेंट के राज्य मंत्री बने. साल 2011 में उन्हें राज्य मंत्री, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री के साथ संसदीय कार्य मंत्री का कार्यभार भी मिला. 30 अक्टूबर 2012 से 31 जनवरी 2014 तक जल संसाधन मंत्रालय भी हरीश रावत ने संभाला.

साल 2014 तक हरीश रावत उत्तराखंड का वो अहम चेहरा थे, जिनकी चर्चा केंद्र तक थी. कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में हरीश रावत का नाम सबसे ऊपर था. 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी और साल 2012 के विधानसभा चुनावों में उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे मजबूत था. लेकिन उनकी जगह विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया.

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि एक साल के अंदर ही हरीश रावत सीएम की कुर्सी पर विराजमान थे. दरअसल जून 2013 में आई केदारनाथ आपदा से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामी के आरोपों के चलते बहुगुणा को सीएम पद से हटा दिया गया और हरीश रावत को सूबे की कमान सौंपी गई.
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Last Updated :Apr 10, 2024, 1:46 PM IST
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