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Fake SC Certificate: अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के आरोप, इस मोर्चा ने सौंपा ज्ञापन

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Published : Feb 14, 2023, 4:23 PM IST

उत्तराखंड मूल निवासी पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने अनुसूचित जाति के प्रमाण फर्जी बनाने के आरोप लगाए हैं. साथ ही मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. उनका आरोप है कि उत्तराखंड में पिछड़ी जाति के लोगों को शिल्पकार जाति में शामिल किया जा रहा है. जिसके जरिए उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिया जा रहा है. इन्हीं फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए योजनाओं को लाभ ले रहे हैं. जबकि, असल में जिसे मिलना चाहिए वो अभी भी वंचित है.

Uttarakhand MulNivasi Pichda Varg Morcha
अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के आरोप

अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के आरोप.

कोटद्वारःउत्तराखंड मूल निवासी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के सदस्यों ने कोटद्वार तहसीलदार के माध्यम में राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उत्तराखंड वासियों की मूल जाति छुपाकर अन्य लोगों को पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र निर्गत किए जा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड राज्य बनने से लेकर अब तक बने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्रों की निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए. वहीं, उन्होंने निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग की है.

उत्तराखंड मूल निवासी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के महासचिव बृजमोहन वर्मा का कहना है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने 17 अगस्त 2012 को मामले में सुनवाई की थी और अहम आदेश दिए थे. जिस पर उत्तराखंड समाज कल्याण के प्रमुख सचिव ने 2 अप्रैल 2013 को सभी तहसीलदारों को आदेश का पालन करने को कहा था, लेकिन उत्तराखंड के समस्त तहसीलदारों ने आदेश की घोर अवमानना की है. जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति के तीनों सूची जारी की गई थी.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की पिछड़ी जाति लोहार राज्य सूची क्रमांक 50 और केंद्र क्रमांक 53, बढ़ई राज्य सूची क्रमांक 32 और केंद्र क्रमांक 11 पर पिछड़ी जाति में अधिसूचित है. इसी तरह सुनार राज्य सूची क्रमांक 52 और केंद्र सूची 75 पर है. जबकि, ताम्रकार राज्य सूची क्रमांक 59 पर तो केंद्र सूची 42 पर पिछड़ी जाति की सूची में अधिसूचित है.

उनका आरोप था कि उत्तराखंड के समस्त तहसीलदारों की ओर से उक्त पिछड़ी जातियों को उनकी मूल जाति से छिपाकर शिल्पकार से अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए जा रहे हैं. जिसका मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में उठाया गया. 18 जनवरी 2016 को उत्तराखंड समाज कल्याण सचिव ने एक पत्र दिया, जिसमें बताया कि शिल्पकार कोई जाति नहीं है. बल्कि, शिल्पकार जाति एक बहुसंख्यक जातियों का समूह है.
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मोर्चा के महासचिव बृजमोहन वर्मा का आरोप है कि उत्तराखंड के बाजगी और कोली जाति के लोगों की मूल जाति छुपाकर कर उन्हें भी फर्जी तरीके से शिल्पकार जाति से अनुसूचित जाति प्रमाण दिए जा रहे हैं. जिससे चलते अनुसूचित जाति के लोग संवैधानिक मौलिक अधिकारों से वंचित हो रहे हैं. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश पिछड़ी जाति के लोग अधिकारियों की मिलीभगत से अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण बनाकर सरकारी सेवा का लाभ ले रहे हैं. लिहाजा, अब तक बने अनुसूचित जाति प्रमाण पत्रों की निष्पक्ष सीबीआई जांच होनी चाहिए.

वहीं, स्थानीय निवासी उदय सिंह नेगी ने बताया कि सला 1931 की जनगणना के बाद उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड में 116 पिछड़ी जाति भारत सरकार के महारजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत हैं. जिसके तहत क्रमांक 72 में कोली जाति अंकित है. उत्तराखंड में कोली जाति को शिल्पकार जाति से अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र निर्गत किए जा रहे हैं. अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी नौकरी व चुनाव लड़ कर उच्च पदों पर आसीन हैं. जिसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए.

क्या बोले तहसीलदार विकास अवस्थी?वहीं, मामले में कोटद्वार तहसीलदार विकास अवस्थी ने बताया कि तहसील स्तर प्रमाण पत्र जारी करने पर गहनता से जांच की जाती है. अगर कोटद्वार तहसील क्षेत्र में किसी व्यक्ति के पास फर्जी प्रमाण पत्र पाया जाता है तो उसकी जांच की जाएगी. जांच के बाद उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
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