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चर्चों का शहर है नैनीताल, यहां का इतिहास अपने आप में है खास

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Published : Dec 24, 2020, 5:03 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 10:45 PM IST

सरोवर नगरी नैनीताल को चर्चों का शहर भी कहा जाता है. यहां आधा दर्जन मुख्य चर्चों के अलावा एक दर्जन से अधिक चैपल (छोटे चर्च) मौजूद हैं. इस कारण क्रिसमस के मौके पर यहां धूम रहती है. इस बार क्रिसमस के मौके पर पर्यटकों को 8 बजे तक ही एंट्री मिलेगी.

history of churches in Nainital is very special
चर्चों को शहर है नैनीताल

नैनीताल: पर्यटन के लिए विख्यात सरोवर नगरी नैनीताल में ईसाई धर्म का विशेष इतिहास रहा है. क्रिसमस के मौके पर अगर बात गिरजाघरों की करें तो यह कम ही लोग जानते हैं कि एशिया का पहला मैथोडिस्ट चर्च नैनीताल में मौजूद है. इसके अलावा यहां कई ऐतिहासिक चर्च और चैपल मौजूद हैं. इस कारण नैनीताल को चर्चों का शहर भी कहा जाता है. यही कारण है कि क्रिसमस के मौके पर इस शहर में खूब रौनक रहती है.

चर्चों का शहर है नैनीताल

प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही नैनीताल शहर ईसाई धर्म का केंद्र भी रहा है. आधा दर्जन मुख्य चर्चों के अलावा यहां एक दर्जन से अधिक चैपल (छोटे चर्च) मौजूद हैं. इन चर्चों में मल्लीताल रिक्शा स्टेशन के समीप स्थित मैथोडिस्ट चर्च का इतिहास बेहद पुराना है. इस चर्च की स्थापना 1858 में विलियम बटलर द्वारा की गई थी. इसी के साथ अंग्रेजों द्वारा एशिया में स्थापित किया गया नैनीताल का चर्च पहला मैथोडिस्ट चर्च बन गया.

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अंग्रेजों को नैनीताल शहर से बेहद लगाव था. वह इस शहर की तुलना यूरोपीय देशों से किया करते थे. अंग्रेजों ने ही नैनीताल को छोटी विलायत का नाम दिया. शायद यही कारण है कि अंग्रेजों ने इस खूबसूरत शहर में पहली बार मैथोडिस्ट चर्च की नींव रखी. नैनीताल शहर के कदम-कदम पर चर्च और चैपल का निर्माण किया गया.

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अपने ऐतिहासिक महत्व के चलते नैनीताल के चर्च लोगों की आस्था और पर्यटन का मुख्य केंद्र बनते जा रहे हैं. नैनीताल पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों के साथ ही भारतीय सैलानियों के लिए भी मैथोडिस्ट चर्च प्रार्थना के लिए पहली पसंद हैं. इसके अलावा शहर के अन्य चर्चों में भी लोग पहुंचते हैं. खासकर क्रिसमस के समय नैनीताल के चर्चों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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1844 में स्थापित शहर के सैंट जॉन्स चर्च का इतिहास भी बेहद पुराना है. इस चर्च को लेक चर्च (lake church) भी कहा जाता है. ब्रिटिश स्थापत्य कला का यह गिरजाघर अद्भुत नमूना है. इसमें जर्मनी से लाए गए शीशों से प्रभु यीशु की वेदी बनाई गई है. शहर में करीब एक दर्जन चर्च और चैपल मौजूद हैं. इस लिहाज से सरोवर नगरी नैनीताल को ईसाई धर्म की आस्था का केंद्र बिंदु भी माना जाता है. क्रिसमस के मौके पर यहां खुशियां दोगुनी हो जाती हैं.

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इस बार भी शहर के इन ऐतिहासिक गिरजाघरों में क्रिसमस धूमधाम से मनाया जाएगा. खास बात यह है कि क्रिसमस के मौके पर यहां हर धर्म के लोग शामिल हो रहे हैं. नैनीताल में क्रिसमस का सैलिब्रेशन पूरे शबाब पर है.

Last Updated :Dec 24, 2020, 10:45 PM IST

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