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नमामि गंगे परियोजना पर 6 सालों में खर्च हुए 482.59 करोड़, हालात जस के तस

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Published : Mar 6, 2022, 10:01 AM IST

Updated : Mar 6, 2022, 10:37 AM IST

उत्तराखंड में नमामि गंगे परियोजना के तहत 6 सालों में 482.59 करोड़ खर्च किये गये गये हैं. आरटीआई से मिली जानकारी में खर्च का विवरण दिया गया है. वहीं पूरे मामले में आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि नमामि गंगे परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्चे किए गए हैं. आज तक गंगा की हालत जस की तस बनी हुई है.

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नमामि गंगे परियोजना पर 6 सालों में खर्च हुए 482.59 करोड़

हल्द्वानी:गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए चलाई जा रही केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना नमामि गंगे योजना की शुरूआत से अभी तक 482.59 करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च हो चुकी है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक नमामि गंगे परियोजना की शुरूआत उत्तराखंड में वर्ष 2016 से हुई थी. इस योजना के तहत उत्तराखंड को अभी तक राज्य परियोजना प्रबंधन ग्रुप को 528.42 करोड़ की धनराशि जारी की गई है. जिसके तहत नवंबर 2021 तक 482.59 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जबकि राज्य परियोजना प्रबंधन ग्रुप के पास अभी भी 35.83 करोड़ की धनराशि शेष बची हुई है.

हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने नमामि गंगे योजना के तहत उत्तराखंड में हुए कार्यों और बजट की सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी. जिसके तहत राज्य परियोजना प्रबंधन ग्रुप नमामि गंगे उत्तराखंड द्वारा जानकारी दी गई है. योजना के तहत उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, हरिद्वार, पौड़ी, में कई योजनाओं को बताया गया है, जिसके तहत नदियों को स्वच्छ बनाए जाने के लिए कई योजनाओं का कार्य किया गया है. जिसमें गंगा की साफ सफाई के साथ-साथ सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, गंगा घाट स्नान,मोक्ष घाट, के अलावा कई कार्य दर्शाए गए हैं.

नमामि गंगे परियोजना पर 6 सालों में खर्च हुए 482.59 करोड़

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इस पूरे मामले में आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि नमामि गंगे परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्चे किए गए हैं. आज तक गंगा की हालत जस की तस बनी हुई है. गंगा की सफाई को लेकर कोई भी काम अभी तक धरातल पर नहीं दिखाई दिया है. कई जगहों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के पानी सीधे गंगा नदी की सहायक नदियों में पहुंच रहे हैं. हेमंत गोनिया ने कहा है कि सरकार को चाहिए कि नमामि गंगे योजना के नाम पर हो रहे कार्य में पारदर्शिता लाई जाए. जिससे पहाड़ की नदियों को बचाया जा सके.

Last Updated :Mar 6, 2022, 10:37 AM IST

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