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सेफ्टी ऑडिट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, उत्तराखंड में 36 पुलों पर चलना खतरनाक!

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Published : Nov 22, 2022, 7:22 PM IST

Updated : Nov 22, 2022, 8:21 PM IST

Uttarakhand bridge Condition
उत्तराखंड में खस्ताहाल पुल ()

उत्तराखंड में 36 पुल चलने लायक भी नहीं है. यानी इन पुलों पर आवाजाही करना बेहद खरतनाक है. जिस पर लोग अभी तक आवाजाही कर रहे थे. इसका खुलासा पुलों की सेफ्टी ऑडिट में हुआ है.

देहरादूनःगुजरात के मोरबी केबल पुल हादसे को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड में भी खस्ताहाल पुलों की सेफ्टी ऑडिट कराई गई. इस सेफ्टी ऑडिट में बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में 3262 पुल हैं, जिसमें से 2518 पुलों का ऑडिट हो चुका है. इनमें खराब और खतरनाक पुलों का आंकड़ा 36 आया है. यानी राज्य में 36 ऐसे पुल हैं, जिनसे लोग गुजर रहे थे और वो कभी भी हादसे का शिकार हो सकते थे.

दरअसल, उत्तराखंड में हर साल आपदा के दौरान सेफ्टी ऑडिट की बात की जाती है, लेकिन मोरबी पुल हादसे के बाद राज्य सरकार ने सभी पुलों का सेफ्टी ऑडिट (Safety audit of bridges in Uttarakhand) करवाने का फैसला लिया. जिसे पीडब्ल्यूडी विभाग ने एक महीने में लगभग पूरा कर लिया है. ऑडिट में पाया गया है कि गढ़वाल और कुमाऊं में 36 पुल खस्ताहाल स्थिति में हैं. इन पुलों से गुजरना खतरे से खाली नहीं है. इसमें से एक पुल राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी असुरक्षित पाया गया है.

हल्द्वानी और देहरादून जोन में पुलों की स्थिति.

लोनिवि के मुख्य अभियंता की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, इन 36 पुलों में से पौड़ी में 16 पुल असुरक्षित हैं. जबकि, पिथौरागढ़ में 1, उधमसिंह नगर में 5, हरिद्वार में 3, टिहरी में 8, देहरदून में 1, चमोली में 1 जबकि रुद्रप्रयाग में 1 पुल काफी खतरनाक है. अब इन पुलों की मरम्मत के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है.

पौड़ी जोन में पुलों की स्थिति.
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प्रमुख सचिव लोनिवि आरके सुधांशु की मानें तो इन सभी पुलों पर यातायात और आवाजाही रोकने के निर्देश दिए जा चुके हैं. उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने कहा है कि एडीबी और विश्व बैंक के साथ योजना के माध्यम से इनकी मरम्मत का कार्य करवाया जाएगा. इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है. आने वाले समय में सभी असुरक्षित पुल दुरुस्त करवाए जाएंगे.

अल्मोड़ा जोन में पुलों की स्थिति.

बता दें कि उत्तराखंड में हर साल आपदा के दौरान कई पुल धराशाही हो जाते हैं. इसके साथ ही आज भी पहाड़ी इलाकों में एक गांव से दूसरे गांव या गांव से शहरों तक पहुंचने के लिए इन्हीं झूला पुलों का सहारा लिया जाता है. जिन पर ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही करते हैं.
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Last Updated :Nov 22, 2022, 8:21 PM IST

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