इंटर्न चिकित्सकों की स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग, कार्य बहिष्कार की दी चेतावनी
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Published : Jun 22, 2021, 7:46 PM IST
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Updated : Jun 22, 2021, 7:56 PM IST
दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर डॉक्टरों ने दून मेडिकल कॉलेज कैंपस में धरना देते हुए प्रदर्शन किया.
स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग
देहरादून: कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर डॉक्टर संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के 330 इंटर्न डॉक्टरों ने मांग की है कि अन्य राज्यों की तरह उनका स्टाइपेंड बढ़ाया जाए. साथ ही मांग नहीं माने जाने पर उन्होंने सरकार को कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.
दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर डॉक्टरों ने दून मेडिकल कॉलेज कैंपस में धरना देते हुए प्रदर्शन किया. बता दें कि 330 प्रशिक्षु डॉक्टर कोरोना काल में राज्य के तीनों सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ड्यूटी कर रहे हैं. कोविड वॉर्ड, जिला अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर, कोविड सैंपलिंग समेत कई जगहों पर इंटर्न कार्यरत हैं, लेकिन इन्हें अन्य राज्यों की अपेक्षा न्यूनतम स्टाइपेंड दिया जा रहा है.
क्या कहते हैं इंटर्न डॉक्टर
यूआईडीआरजी देहरादून (Uttarakhand Intern Doctors Group) के मीडिया प्रतिनिधि डॉ. अक्षत थापा ने कहा कि पूरे देश में उत्तराखंड के भीतर इंटर्न डॉक्टरों को मानदेय सबसे न्यूनतम दिया जा रहा है. उनको ₹7500 स्टाइपेंड दिया जाता है, जो ढाई सौ रुपए प्रतिदिन होता है. ऐसे में युवा डॉक्टरों को स्टाइपेंड श्रमिकों की मजदूरी से भी कम मिल रहा है. सभी डॉक्टर 12-12 घंटे अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन बीते 10 वर्षों से हमारे स्टाइपेंड में कोई वृद्धि नहीं की गई है.
डॉक्टर अक्षत थापा का कहना है कि तीनों सरकारी मेडिकल कॉलेजों के 330 इंटर्न डॉक्टरों की एक ही मांग है कि उनको अन्य राज्यों की तरह ₹23,500 मानदेय दिया जाए, लेकिन सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है. वहीं, दून मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस छात्रा डॉ. रश्मि का कहना है कि अभी तो मांगों को लेकर सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो उन्हें कार्य बहिष्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.