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उत्तराखंड में नए जिले बनाने का मुद्दा फिर गर्माया, CM धामी ने कही ये बड़ी बात, हरदा ने बताया शिगूफा

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Published : Aug 31, 2022, 3:45 PM IST

Updated : Aug 31, 2022, 5:17 PM IST

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उत्तराखंड में एक बार फिर से नए जिलों के गठन का मुद्दा गरमाने लगा (demand for new districts in Uttarakhand) है. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भी कोटद्वार को नया जिला बनाने की मांग कर चुकी हैं. ऐसे में अब सरकार के ऊपर भी दबाव बढ़ गया है. वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) अब इस मसले पर जनप्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श कुछ नया निर्णय लेने के बारे में कह रहे है.

देहरादून: उत्तराखंड में नए जिले बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ही सरकारों ने नए जिलों का मामला ठंडे बस्ते में डाले रखा. हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने एक बार फिर नए जिले बनाने की मांग पर विचार करने को कहा है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि नई जिलों की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है. सरकार की जल्द ही इस पर विचार करेंगी कि प्रदेश में कहा-कहा पुनर्गठन हो सकता है. वास्तव में कहा नए जिले की आवश्यकता है, इस बारे में सभी जनप्रतिनिधियों से बात की जाएगी. इस दिशा में चर्चा करके आगे बढ़ा जाएगा. वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत की भी प्रतिक्रिया आई है.

उत्तराखंड में नए जिले बनाने का मुद्दा फिर गर्माया

हरीश रावत ने कहा कि भर्ती घोटालों से बीजेपी सरकार की नींव हिल गई है, इसीलिए अब वो केवल ध्यान हटाने के लिए नए जिले बनाने, कॉमन सिविल कोड और भू-कानून जैसे शिगूफा छोड़ रहे हैं. बीजेपी की मकसद भर्ती घोटाले और अन्य घोटालों से ध्यान हटाने का है. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में भी नए जिलों के बनाने का मुद्दा काफी जोर-शोर (demand for new districts in Uttarakhand) से उठा था. लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये मामला फिर से दब गया. करीब 2 दशक पहले यूपी के पहाड़ी हिस्सों को अलग करके बने उत्तराखंड में फिलहाल 13 जिले हैं.

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'निशंक' के शासनकाल में नए जिलों की कवायद: साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 4 जिले बनाए जाने की घोषणा की थी. इसमें गढ़वाल मंडल में 2 जिले (कोटद्वार, यमुनोत्री) और कुमाऊं मंडल में 2 जिले (रानीखेत, डीडीहाट) बनाने की बात कही थी. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के पद से हटते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था.

यही नहीं, इसके बाद विजय बहुगुणा की सरकार ने इस मामले को राजस्व परिषद की अध्यक्षता में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन संबंधी आयोग के हवाले कर दिया. साल 2016 में मुख्यमंत्री बदलने के बाद हरीश रावत सत्ता पर काबिज हुए और उन्होंने एक बार फिर 8 नए जिले बनाने की कवायद शुरू करते हुए एक नया सियासी दांव खेला. नए 8 जिलों (डीडीहाट, रानीखेत, रामनगर, काशीपुर, कोटद्वार, यमुनोत्री, रुड़की, ऋषिकेश) को बनाने का खाका भी तैयार कर लिया गया, लेकिन सब सियासी दिखावा ही साबित हुआ.
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कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने की थी बजट की व्यवस्था: 2016 में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार में मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने नए जिलों के गठन के लिए 100 करोड़ की व्यवस्था करने की बात की थी. हालांकि इसके बाद कांग्रेस में राजनीतिक उठा-पटक शुरू हुई और 4 जिलों की मांग फिर ठंडे बस्ते में डाल दी गई.

एक जिले के निर्माण में 150 से 200 करोड़ के खर्च का अनुमान: साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के शासनकाल में नए जिलों के गठन के लिए बनाए गए आयोग ने हर नए जिले के निर्माण में करीब 150 से 200 करोड़ रुपए के व्यय का आकलन किया था. यानी उस दौरान 4 नए जिले बनाने की बात चल रही थी. लिहाजा उस दौरान चार नए जिले बनाए जाते तो राज्य पर करीब 600 से 800 करोड़ तक का अतिरिक्त भार पड़ता.

Last Updated :Aug 31, 2022, 5:17 PM IST

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