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वासुकीताल में कई सालों बाद खिले दुर्लभ नीलकमल, जानिए इनकी खासियत

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Published : Sep 23, 2021, 4:31 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 6:26 PM IST

केदारनाथ से आठ किमी ऊपर वासुकीताल क्षेत्र में नीलकमल पुष्प से खिले हुए हैं. वासुकीताल कुंड से लेकर करीब तीन किमी क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर हजारों की संख्या में नीलकमल खिले हुए हैं.

Neelkamal bloomed in Kedarnath forest division
कई सालों बाद खिला दुर्लभ नीलकमल

चमोली: केदारनाथ वन प्रभाग क्षेत्र में केदारनाथ धाम से 8 किमी ऊपर वासुकीताल के आसपास कई सालों बाद नीलकमल के फूल खिले हैं. चारों तरफ खिले नीले-नीले फूलों से यहां की छटा देखते ही बन रही है. वासुकीताल कुंड से लेकर करीब तीन किमी क्षेत्र में हजारों की संख्या में नीलकमल खिले हुए हैं.

बता दें कि एक सप्ताह पूर्व केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के उप वन संरक्षक अमित कंवर के नेतृत्व में टीम ऊंचाई वाले क्षेत्रों का भ्रमण कर वापस लौटी है. केदारनाथ के ब्रह्मवाटिका में भृंगराज व ब्रह्मकमल की सैकड़ों पौध सुरक्षित हैं. कई पौधों पर पुष्प खिलने वाले हैं.

वहीं, केदारनाथ से आठ किमी ऊपर वासुकीताल क्षेत्र में नीलकमल पुष्प से खिले हुए हैं. वासुकीताल कुंड से लेकर करीब तीन किमी क्षेत्र में अलग अलग जगहों पर हजारों की संख्या नीलकमल खिले हुए हैं. उप वन संरक्षक अमित कंवर ने बताया कि कई वर्षों बाद यह फूल क्षेत्र में दिखाई दिया है.

वासुकीताल में कई सालों बाद खिले दुर्लभ नीलकमल.

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हिमालय क्षेत्र में चार प्रकार के कमल के फूल मिलते हैं. इनमें ब्रह्मकमल, नीलकमल, फेन कमल और कस्तूरा कमल शामिल हैं. कोरोना काल में पर्यटकों की गतिविधियां शून्य होने के कारण मध्य हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों में ये पुष्प इस बार काफी मात्रा में खिले हैं. यहां विभिन्न प्रकार के फूलों के बीच ब्रह्मकमल व नीलकमल की संख्या सबसे अधिक है.

हिमालय क्षेत्रों में मिलने वाले चार कमल में नीलकमल भी शामिल है. इस पुष्प का वानस्पतिक नाम नेयम्फयस नॉचलि है. यह नीले रंग का होता है. इसे भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प कहा जाता है. नीलकमल एशिया के दक्षिणी व पूर्वी देशों का पुष्प पादप है.

Last Updated : Sep 23, 2021, 6:26 PM IST

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