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Viral Fever: सोमेश्वर में कई स्कूली बच्चे मिले वायरल फीवर से संक्रमित, दवा वितरित कर दी हिदायत

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Published : Feb 7, 2023, 9:39 AM IST

सोमेश्वर में कई बच्चे वायरल फीवर से पीड़ित मिले. जिसके बाद स्वास्थ्य परीक्षण करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच कर बच्चों को निशुल्क दवा वितरित की. परीक्षण के दौरान डॉक्टरों ने बच्चों को जरूरी स्वास्थ्य हिदायत भी दी.

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सोमेश्वर:उप जिला चिकित्सालय सोमेश्वर के तत्वाधान में क्षेत्र के विद्यालयों में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया. शिविर में लगभग 180 छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण और जांच की गई. अटल उत्कृष्ट जीआईसी सलोंज में 16 छात्र तथा ज्ञानोदय हाईस्कूल सोमेश्वर में 14 छात्र-छात्राएं वायरल फीवर से संक्रमित पाए गए. चिकित्सकों ने सभी को निःशुल्क दवा वितरण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए.

वायरल फीवर से पीड़ित मिले बच्चे:गौर हो कि दोनों स्कूलों में कुल मिलाकर 30 छात्र-छात्राएं वायरल फीवर से संक्रमित पाए गए. अटल आदर्श जीआईसी सलोंज और ज्ञानोदय हाई स्कूल सोमेश्वर में राजकीय उप जिला चिकित्सालय सोमेश्वर की ओर से स्वास्थ्य शिविर लगाया गया. विद्यालयों के कई छात्र छात्राएं वायरल फीवर से पीड़ित मिली. उन्हें दवा का वितरण किया गया एवं मास्क लगाने की हिदायत दी गई. चिकित्साधिकारी डॉ आनंद नारायण तिवारी ने बताया कि ज्ञानोदय हाई स्कूल में 80 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ. जिनमें 14 बच्चे वाइरल फीवर से संक्रमित मिले. जबकि जीआईसी सलोंज में 100 से अधिक बच्चों का परीक्षण किया गया और यहां 16 बच्चे संक्रमित मिले.
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निशुल्क दवा की गई वितरित:इस प्रकार दोनों विद्यालयों में कुल 30 बच्चे वायरल फीवर से संक्रमित मिले. जांच टीम में डॉ. आनंद नारायण तिवारी, डॉ अक्षय कैंत्यूरा, डॉ दीपिका रानी, नीता नयाल, जगदीश जोशी, तरुण भाकुनी, हरीश प्रसाद आदि ने छात्र छात्राओं की जांच की. इस मौके पर प्रधानाचार्य गोविंद सिंह भाकुनी, सुरेश बोरा, प्रभारी प्रधानाचार्य तेज सिंह मेहरा, शंकर सिंह भैसोड़ा, हुकुम सिंह पलियाल, गिरीश आगरी, नवीन तिवारी, नसरीन आदि ने सहयोग प्रदान किया.

बता दें कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाल तस्वीर समय-समय पर आती रहती है. कई जगह डॉक्टर तक तैनात नहीं हैं तो कहीं दवाइयों का टोटा है. इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है. लोगों को बेहतर इलाज के लिए आज भी मीलों का सफर तय करना पड़ता है. जिसके बाद वो जिला मुख्यालय इलाज के लिए पहुंचते हैं.

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