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काशी में बीते पांच सालों में 44 बालिका वधू बचाई गईं, ऐसे आया बदलाव

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Published : Apr 1, 2023, 4:11 PM IST

Updated : Apr 1, 2023, 4:22 PM IST

काशी में अब बाल विवाह का ग्राफ साल दर साल तेजी से नीचे आ रहा है. आखिर यह बदलाव आया कैसे, चलिए जानते हैं इस खास रिपोर्ट के जरिए.

Etv bharat
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वाराणसीः बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत सरकार बेटियों की सुरक्षा को सुनिश्चित कराने का प्रयास कर रही है. इन सबके बावजूद बेटियों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बालिका वधू है, जो आज भी बेटियों के लिए एक बड़ी मुसीबत है. बड़ी बात यह है कि यह मुसीबत अब बनारस की बेटियों के रास्ते का रोड़ा नहीं बन रही, बल्कि बेटियों को इस मुसीबत से सुरक्षित रखा जा रहा है. इसका परिणाम है कि बीते 5 सालों में बाल विवाह के आंकड़ों में कमी देखने को मिली है. जी हां, बीते 5 सालों में लगभग 44 बेटियों को बालिका वधू बनने से रोका गया है.

जिला प्रोबेशन अधिकारी ने दी यह जानकारी.

आंकड़ों की बात करें तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट और चाइल्ड लाइन की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई थी. इसमें बताया गया था कि बीते 5 साल में बनारस में बाल विवाह के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है. 5 सालों में लगभग 44 किशोरियों को बालिका वधू बनने से रोका है. इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि 2015 के मुकाबले 2022 में यहां बाल विवाह का ग्राफ़ गिरा है. वर्तमान में यह ग्राफ गिर कर 20 से 10 फीसदी के लगभग है.इस बारे में जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर पाण्डेय ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए एक टीम बनाई गई है. यह टीम अलग-अलग स्तर पर यह कार्य करती है.

इसे हम लोग लगातार सुपरविजन कर रहे हैं और यदि आंकड़ों की बात करें तो 2019 से लेकर के अब तक अलग-अलग वर्षो में अलग-अलग संख्या में बाल विवाह को रोका गया है. 2019-20 में 12, 2020-21 में 10, 2021-22 में 12 और 2022 - 23 में 8 और अभी जनवरी में 2 बाल विवाह रोके गए हैं. हमें जब भी कोई सूचना मिलती है हम टीम के साथ मिलकर बाल विवाह रोकने पहुंच जाते हैं. उन्होंने बताया कि बाल विवाह को रोकने के लिए हमारे यहां एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है. इसमें पुलिस प्रशासन, जिला प्रोबेशन अधिकारी, एनजीओ, ग्राम विकास अधिकारी, एसडीएम व गांव-शहर के जागरूक नागरिकों शामिल होते हैं.उन्होंने बताया कि जिनका भी बाल विवाह रोका जाता है उसके बाद गांव के इलाके के जो भी सम्मानित नागरिक हैं उनका बयान लिया जाता है और संबंधित किशोर किशोरियों के परिवार से एक बयान लिखवाया जाता है कि वह बाल विवाह नहीं करेंगेय

इसके लिए बीच-बीच में लगातार फॉलोअप लिया जाता है कि कहीं से भी लड़की का 18 लड़के का 21 वर्ष से पहले विवाह न किया जाए.उन्होंने बताया कि विवाह रोकने के बाद उसके मूल पर भी हम कार्य करते हैं. यह देखा जाता है कि लड़की लड़के की पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है. किस तरीके के कार्य में वे सम्मिलित है. किस तरीके की पारिवारिक व्यवस्था है. आखिर क्या वजह है कि उनका बाल विवाह हो रहा है? इन सभी मामलों की छानबीन की जाती है. इसके साथ हीं उन किशोर किशोरियों सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करके उनके भविष्य को संरक्षित रखने का प्रयास किया जाता है.

बाल विवाह पर एक नजर

बताते चलें कि, बाल विवाह भारतीय संविधान के अनुसार एक कानूनी अपराध है. संविधान में शादी के लिए पुरुष की उम्र 21 वर्ष महिला की उम्र 18 वर्ष तय की गई है. यदि दोनों में से किसी का भी विवाह निर्धारित आयु सीमा से पहले किया जाता है तो यह कानूनी अपराध माना जाता है. इसके तहत बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार दोषियों को सजा भी दी जाती है.

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Last Updated :Apr 1, 2023, 4:22 PM IST

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