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रामपुर के कृषकों ने दी लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों को अनोखी श्रद्धांजलि

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Published : Oct 10, 2021, 9:01 AM IST

लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों को रामपुर के कृषकों ने अनोखे अंदाज में याद करते हुए अपने खेतों पर मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान कई किसानों ने कहा कि किसान के लिए उसका खेत ही सबकुछ होता है. इसलिए हम लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों खेत में खड़े होकर श्रद्धांजलि दिए.

किसानों को दी अनोखी श्रंद्धांजलि
किसानों को दी अनोखी श्रंद्धांजलि

रामपुर:केंद्र सरकार के तीन बिलों को वापस लिए जाने को लेकर लंबे समय से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना चल रहा है. इसके अलावा लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुई दर्दनाक घटना में मारे गए लोगों को लेकर किसान गमगीन हैं और अपने-अपने अंदाज में उनकी आत्मा की शांति और इंसाफ दिलाए जाने को लेकर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. इसी कड़ी में रामपुर के किसानों ने अनोखे अंदाज में अपने खेतों पर मोमबत्तियां जलाकर लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि दी.

रामपुर जनपद के बिलासपुर तहसील क्षेत्र में किसान बड़ी संख्या में फसलें उगाते हैं और यह इलाका पूरे जनपद में सबसे बड़े कृषक बेल्ट के रूप में चिन्हित है. इस क्षेत्र में सिख समुदाय के कृषकों की संख्या अधिक है और ये अपनी मेहनत के बल पर अच्छी खेती करते हैं. इन दिनों दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का केंद्र सरकार के पारित बिलों को लेकर धरना चल रहा है. वहीं, लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे किसानों पर इस कदर बिफर गए कि उन्होंने उनके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी और इस घटना में कई किसानों की जानें चली गई तो कई गंभीर रूप से जख्मी हो गए.

किसानों को दी अनोखी श्रंद्धांजलि

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हालांकि इन केवल यही कुसूर था कि ये किसान सूबे के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम स्थल के बाहर उन्हें काला झंडा दिखा अपना विरोध प्रकट कर रहे थे. ऐसे में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा कुछ ज्यादा ही क्रोधित हो गए और उन्होंने सारी हदों को पार करते हुए किसानों को जान तक ले ली. इसके बाद से ही यह खबर मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई है. इसी को लेकर तहसील बिलासपुर के किसानों ने बीती रात 12 बजे खेतों में खड़ी अपनी-अपनी फसलों के किनारे मोमबत्तियां जलाकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी है.

स्थानीय कृषक दुर्लब सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन खेती के लिए लड़ी जा रही है और खेती ही हमारा सब कुछ है और वर्तमान में सूबे में यही सबसे बड़ा मुद्दा भी है. खेती की समस्याओं के लिए लखीमपुर में हमारे किसान शहीद हो गए और गाजीपुर बॉर्डर पर सूरत-ए-हाल एक सी ही है. किसानों की शहादत को याद करते हुए इसलिए हम खेतों पर उतर कर आए हैं, जहां की लड़ाई और जिसके लिए लड़ाई चल रही है वहीं पर उनकी शहादत को याद किया जाए.

इधर, जस्सा सिंह नाम के एक अन्य कृषक ने कहा कि हम किसान हैं और यहां किसानों के लिए खड़े हैं. खेती को बचाने के लिए ही पिछले 10 महीनों से दिल्ली की सीमा पर सौकड़ों किसान धरने पर बैठे हैं. वहीं, लखीमपुर में किसानों की शहादत बहुत कुछ साफ कर देती है कि ये सरकार आखिर चाहती क्या है. खैर, मैं अपने वाहेगुरु से यही दुआ करूंगा कि हर शहीद किसान की आत्मा को शांति और उनके परिवार को न्याय मिले. लेकिन अब कोई भी किसान पीछे नहीं हटेगा.

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