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गंगा-यमुना प्रदूषण मामला: हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

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Published : Jan 23, 2021, 7:28 PM IST

गंगा-यमुना में प्रदूषण के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल का सैम्पल लेकर गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पॉलिथीन बैन की अधिसूचना मांगी है. साथ ही नगर आयुक्त से नालों की स्थिति पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रयागराज में माघ मेला क्षेत्र में तीन अलग स्थानों से गंगा-यमुना का जल लेकर जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पूछा कि गंगा का पानी पीने लायक है या नहीं. यदि नहीं तो जरूरी कदम उठाएं. साथ ही गंगा-यमुना में लगातार पानी का बहाव बरकरार रखा जाए.

कोर्ट ने राज्य सरकार से माघ मेला क्षेत्र के दो किमी क्षेत्र में पॉलिथीन/प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने की जारी अधिसूचना पेश करने को कहा है. साथ ही जिलाधिकारी प्रयागराज से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने कहा कि जल प्रवाह बनाए रखते हुए डाटा पेश करें.

कोर्ट ने नगर आयुक्त से गंगा-यमुना में सीधे गिरने वाले नालों की व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए रिपोर्ट मांगी है. साथ ही मेले में पॉलिथीन प्रयोग पर भी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. याचिका की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एम. के गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए दिया.

याचिका पर अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, सुनीता शर्मा, शैलेश सिंह, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिवक्ता एच. एन सिंह, तृप्ति वर्मा, विभु राय, मनु घिल्डियाल आदि अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा.

कोर्ट में कहा गया कि गंगा-यमुना में गंदे नाले बिना शोधित किये गिर रहे हैं, जिससे पानी पीने तो क्या नहाने लायक नहीं है. गंगा के पानी में कालापन है. कल्पवासी व साधु संत गंगा स्नान करते व जल पीते हैं. उन्हें आरओ का पानी पीना पड़ रहा है.

यह भी कहा गया कि एसटीपी ठीक से काम नहीं कर रही. बिना शोधित पानी गंगा-यमुना में जा रहा है. साथ ही मेले में पॉलिथीन से फैल रहे प्रदूषण की तरफ कोर्ट का ध्यान खींचा गया. बताया गया कि 2010 में कोर्ट ने गंगा किनारे स्थित सभी शहरों में दो किमी तक पॉलिथीन उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है, जिसका अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं.

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