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गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकर थे डाॅ. राही मासूम रजा, रचनाओं में है समानता का संदेश

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 2, 2023, 8:27 PM IST

'महाभारत' और 'चंद्रकांता' जैसे धारावाहिकों के संवाद लिखने वाले उर्दू के मशहूर शायर और कवि डॉ. राही मासूम रजा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक सितम्बर 1927 को जन्मे थे. उन्होंने लगभग 300 फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी. बीआर चोपड़ा की महाभारत के संवाद लिखने के बाद उनकी ख्याति विश्वव्यापी हो गई. जानिए, उनके जीवन से जुड़ी खास बातें.

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लखनऊ :देश में पौराणिक कथाओं पर बने धारावाहिक महाभारत’ का अपना एक अलग स्थान है. आज जिस तरह का माहौल है उसे देखते हुए यह जानना अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे उस धारावाही के डायलॉग मशहूर साहित्यकार डाॅ. राही मासूम रजा ने लिखे थे. कालजयी धारावाहिक 'महाभारत' के डायलॉग लेखन से लेकर 'आधा गांव', 'टोपी शुक्ला' और 'नीम का पेड़' जैसी शानदार कृतियां लिखने वाले प्रख्यात लेखक और शायर डॉ. राही मासूम रजा की कलम ने दुनिया को अपना कायल बनाया. वे लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब के बड़े पैरोकार थे. उनकी रचनाओं में बेबाकी के साथ एक समानता का संदेश था. एक सितंबर को उनकी जयंती के दिन वरिष्ठ साहित्यकार, लेखकों ने उन्हें याद किया.

गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकर थे डाॅ. राही मासूम रजा.
गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकर थे डाॅ. राही मासूम रजा.
दूरदर्शन उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम प्रोड्यूसर विवेक शुक्ल.
दूरदर्शन उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम प्रोड्यूसर विवेक शुक्ल ने बताया कि डॉ. राही मासूम रजा अपनी साहित्यिक गतिविधियों के साथ फिल्मों के लिए भी लिखते थे. वे स्पष्टतावादी व्यक्ति थे और अपने धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण की वजह से लोकप्रिय हो गए थे. दूरदर्शन यूपी पर उनके उपन्यास पर आधारित धारावाहिक 'नीम का पेड़' काफी चर्चित हुआ. दूरदर्शन निदेशक विलायत जाफरी के समय इसका प्रसारण हुआ था. नोमान मलिक प्रोड्यूसर थे. मैं मुंबई राही साहब के पास से उनकी हैंड राइटिंग में लिखी स्क्रिप्ट लेकर लखनऊ आता था. लखनऊ में उसे टाइप करवाकर शूटिंग स्थल सुल्तानपुर लेकर जाता था. मैं इस धारावाहिक का असिस्टेंट डायरेक्शन देखता था. इस धारावाहिक में मुख्य भूमिका में पंकज कपूर सहित लखनऊ के कई नामी कलाकारों ने काम किया था. बाद में राही साहब के उपन्यास 'आधा गांव' का प्रोडक्शन हुआ. इसकी भी शूटिंग सुल्तानपुर में हुई थी जो निजी चैनल पर प्रसारित हुआ.
गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकर थे डाॅ. राही मासूम रजा.

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कवि सर्वेश अस्थाना ने बताया कि राही मासूम रजा को भक्तिकाल से जोड़ना चाहेंगे, क्योंकि उन्होंने कभी धर्म को किसी दायरे में नहीं बाधा. डाॅ. राही ने रसखान और रहीम की परिपाटी को आगे बढ़ाया. मुस्लिम कवियों ने भगवान कृष्ण को लेकर जो रचनाएं लिखी हैं. वहां से शुरू होकर जो सूफियाना परंपराएं हैं, वे रजा की पंक्तियों में भी जिंदा रहीं. डाॅ. राही ने महाभारत के जो संवाद लिखे, वे उनकी उदात्त भावनाओं को जाहिर करते हैं. महाभारत के संवाद किसी मुस्लिम ने लिखे हैं, इस पर विश्वास करना अक्सर मुश्किल होता है. महाभारत के संवादों में भारत की गरिमा, गौरव और भारतीय परिवारों के अंतद्वंद्व का मूल और वास्तविक अक्स मिलता है.

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