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HC का सुझाव-गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें, जानें क्या है भारतीय संस्कृति में महत्व

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Published : Sep 1, 2021, 8:51 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court ) ने केंद्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है. आइये जानते हैं, आखिर गाय का भारती संस्कृति और हमारे जीवन में क्या महत्व है?

गाय का महत्व.
गाय का महत्व.

हैदराबादः उत्तर प्रदेश में गोवंशों के सरंक्षण के लिए जहां योगी सरकार लगातार प्रयासरत है और विभिन्न योजनाएं चला रही है. वहीं, अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है. आइये जानते हैं, आखिर गाय का हमारे जीवन में क्या महत्व है और किस उद्देश्य से कोर्ट ने राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने का सुझाव दिया है.

गाय का रहस्य
भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है. आरम्भ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी. हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा इसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है. हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार समुद्र मन्थन के दौरान धरती पर दिव्य गाय की उत्पत्ति हुई थी. भगवत पुराण के अनुसार, सागर मन्थन के समय पांच दैवीय कामधेनु ( नन्दा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला, बहुला) निकलीं. कामधेनु या सुरभि (संस्कृत: कामधुक) ब्रह्मा द्वारा ली गई. दिव्य वैदिक गाय (गौमाता) ऋषि को दी गई ताकि उसके दिव्य अमृत पंचगव्य का उपयोग यज्ञ, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए किया जा सके.

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भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त
भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है. माना जाता है कि गौमाता के अंदर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है. पुराणों के अनुसार गाय को किसी भी रूप में सताना घोर पाप माना गया है, गाय की हत्या करना तो नर्क के द्वार को खोलने के समान है, जहां कई जन्मों तक दुख भोगना होता है. अथर्ववेद के अनुसार- 'धेनु सदानाम रईनाम' अर्थात गाय समृद्धि का मूल स्रोत है. गाय समृद्धि व प्रचुरता की द्योतक है. वह सृष्टि के पोषण का स्रोत है और जननी है. गाय इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह दूध देती है और इसके होने से हमारी सामाजिक पूर्ति होती है. दरअसल मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है. गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गाय का महत्व
वैज्ञानिकों के अनुसार गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और छोड़ता भी है. ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं. पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं. गाय के गोबर में लगभग 300 करोड़ जीवाणु होते हैं, जो खेतों में बहुत सारे कीटाणुओं को मारकर मिट्टी के उपजाऊ बनाते हैं. हरित क्रांति से पहले खेतों में गाय के गोबर में गौमूत्र, नीम, धतूरा, आक के पत्तों को मिलाकर डाला जाता था. माना जाता है कि गाय का गोबर मच्छर और कीटाणुओं के हमले को रोकता है. इसके अलावा गौमूत्र कई रोगों में कारगर माना जाता है. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं. गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोक कर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं. यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है.

गाय के दूध का महत्व
गाय के दूध से कई तरह के प्रॉडक्ट (उत्पाद) बनते हैं. वहीं, हिंदू धर्म की पूजा-पाठ में भी गाय के दूध का ही इस्तेमाल किया जाता है. गोबर से ईंधन व खाद मिलती है. इसके मूत्र से दवाएं व उर्वरक बनते हैं. गाय का दूध एक ऐसा भोजन है जिसमे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, दुग्ध, शर्करा, खनिज-लवण, वसा आदि मनुष्य शरीर के पोषक तत्व भरपूर पाए जाते है. गाय का दूध उपयोगी रसायन का उत्पादन करता है, ऐसी जानकारियां वैज्ञानिकों शोध की एवं धार्मिक ग्रंथों में दर्शित है.

मुगल काल में गौहत्या पर था प्रतिबंध
बता दें कि गायों का महत्व मुगल शासन भी रहा है. यहां तक कि मुगल शासक, बाबार, हुमायूं, अकबर और जहांगीर ने अपने शासनकाल में गौहत्या पर प्रतिबंध लगाया था. वहीं, अपने कार्यकाल में शाहजहां ने भी यह व्यवस्था जारी रखी थी.

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