इलाहाबाद हाईकोर्ट का सुझाव, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे केंद्र सरकार

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Published : Sep 1, 2021, 7:20 PM IST

Updated : Sep 1, 2021, 10:28 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट का सुझाव

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को एक बड़ा सुझाव दिया है. कोर्ट ने कहा है कि गाय को सिर्फ धार्मिक नजरिये से नहीं देखना चाहिए. संस्कृति की रक्षा हर नागरिक को करनी चाहिए. कोर्ट ने सुझाव दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए और इसके लिए संसद में बिल लाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि गाय की पूजा होगी तभी देश समृद्ध होगा.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है. कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं. यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है.आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है. हाईकोर्ट ने सुझाव देते हुए यह भी कहा कि जीभ के स्वाद के लिए जीवन छीनने का अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता. बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है. इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं. गाय भारतीय कृषि की रीढ़ है.

कोर्ट ने कहा पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं. सबकी पूजा पद्धति भले ही अलग हो, लेकिन सोच सभी की एक है. सब एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं. कोर्ट ने कहा गाय को मारने वाले को छोड़ा तो वह फिर अपराध करेगा.

जावेद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है. एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है. गोवध को रोकने के लिए इतिहास में किए गए प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था.इतना ही नहीं इतिहास में कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी. गाय का मल-मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है. गाय की महिमा का वेदों पुराणों में भी बखान किया गया है. सुनवाई को दौरान कोर्ट ने कवि रसखान की रचनाओं को भी कोट किया. कोर्ट ने कहा कि रसखान के कहा था कि जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले. गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है.

यह टिप्पणी करते हुए बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाय काटने के एक आरोपी व्यक्ति जावेद की जमानत याचिका को रद्द कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है. अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एस के पाल र ए जी ए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया.

बता दें कि याची जावेद पर साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर जंगल में अन्य गायों सहित मारकर मांस इकट्ठा करते टार्च की रोशनी में देखे जाने का आरोप है. इस आरोप में वह 8 मार्च 2021 से जेल में बंद है. शिकायतकर्ता ने सिर देखकर अपनी गाय की पहचान की थी. मौके पर आरोपी मोटरसाइकिल छोड़ कर भाग गए थे.

गो-संरक्षण को लेकर योगी सरकार है पहले से प्रतिबद्ध

इससे पहले वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गोवंश संरक्षण को लेकर कानून बनाया था. जून, 2020 में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उत्तर प्रदेश गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी. इसी के साथ ही यूपी में गोहत्या व गोवंश को शारीरिक नुकसान पहुंचाने पर कठोर सजा वाले प्रावधान लागू हो गए हैं. 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही गौ-रक्षकों में एक उम्मीद जगी थी. इधर योगी भी पिछले तीन साल से इसे रफ्तार देने में जुटे थे.

वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में विपक्ष के इस आरोप को कि सत्ता में बैठे लोग सिर्फ गाय पर राजनीति करते हैं को गंभीरता से लिया और पिछले तीन साल में गोवंश को लेकर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से विपक्ष का मुंह बंद कर दिया है. बता दें कि पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री योगी ने गोकशी, गो संरक्षण, भूसा बैंक, गोसेवा जैसे तमाम मुद्दों पर आधारभूत काम किया है.

मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार योगी सरकार ने अब तक प्रदेश के 5,02,395 गोवंश की जियो टैगिंग कराई है. प्रदेश में 5062 गोसंरक्षण केंद्र-स्थल को संचालित कर 4,96,269 निराश्रित गोवंश संरक्षित किए गए है. यही नहीं गायों के संरक्षण के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने शराब और राज्य के टोल पर 0.5 फीसदी का अतिरिक्त सेस लगाया.

Last Updated :Sep 1, 2021, 10:28 PM IST
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