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अब 'हीमो विजिलेंस' सिस्टम से 'लाल खून' के 'काले सौदागरों' पर प्रहार

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Published : Aug 12, 2021, 12:12 PM IST

राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में प्रदेश भर से मरीज आते हैं. इनमें ऑपरेशन और एक्सीडेंट में घायल हुए कई मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें ब्लड की आवश्यकता होती है. ऐसे मरीजों को ब्लड बैंक से खून की आपूर्ति का जाती थी. लेकिन, मॉनिटरिंग सिस्टम पुख्ता न होने से इसमें दलाल सेंध लगा देते थे और मरीजों और तीमारादरों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे पैसे ऐंठ लेते थे. मगर, अब 'लाल खून' के 'काले सौदागरों' पर रोक लगाने के लिए केजीएमयू प्रशासन ने एक तरीका खोज निकाला है.

Department of Blood Transfusion Medicine KGMU
Department of Blood Transfusion Medicine KGMU

लखनऊ : यूपी में 'लाल खून' के 'काले सौदागर' काफी बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं. ये न सिर्फ मिलावटी खून बेंच रहे हैं. बल्कि सरकारी अस्पतालों में भी सेंध लगा रहे हैं. ये लोग ब्लड बैंकों (blood banks) से मुफ्त में खून निकलवाकर मरीजों का महंगी दर पर बेच रहे हैं. ऐसे में केजीएमयू (KGMU Lucknow) ने दलालों पर प्रहार करने के लिए 'हीमो विजिलेंस' सिस्टम लागू किया है.



केजीएमयू में 75 के करीब विभाग हैं. उसमें 56 के लगभग विभागों का संचालन हो रहा है. इनके वार्डों में 4500 से बेड हैं. यहां राज्यभर से मरीज रेफर होकर आते हैं. जिसके कारण यहां के अधिकतर बेड मरीजों से फुल रहते हैं. ऐसे में इमरजेंसी से लेकर इंडोर तक रोज सैकड़ों यूनिट रक्त की आपूर्ति होती थी. लेकिन, मॉनिटरिंग सिस्टम पुख्ता न होने से इसमें दलाल सेंध लगा देते थे और मरीज और तीमारदारों की मजबूरी का फयदा उठाते थे. लेकिन, अब ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के सुझाव पर कुलपति डॉ. विपिन पुरी ने संस्थान में 'हीमो विजिलेंस' सिस्टम लागू कर दिया. ऐसे में खून के दलालों पर अंकुश लगेगा.

केजीएमयू में लागू हुआ 'हीमो विजिलेंस' सिस्टम



मरीज को कब-कहां चढ़ा खून, सब डाटा होगा ऑनलाइन

ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक संस्थान की ब्लड बैंक स्टेट ऑफ आर्ट है. यहां अब 'हीमो विजिलेंस' सिस्टम शुरू कर दिया गया. इसमें ब्लड बैंक से सभी वार्ड कनेक्ट होंगे. सिस्टर इंचार्ज वार्ड से ही मरीज का ब्योरा व रक्त अवयव की जानकारी पेशेंट आईडी के साथ साफ्टवेयर पर अपलोड करेगी. तीमारदार के आने पर ब्लड बैंक का स्टाफ सैम्पल की क्रॉस मैचिंग कर यूनिट उपलब्ध कराएगा. साथ ही ब्लड यूनिट एलॉटमेंट की जानकारी साफ्टवेयर पर अपडेट करेगा. ऐसे में वार्ड में मरीज को खून मिलने की जानकारी हो जाएगी. वहीं नर्स मरीज को खून चढ़ने के बाद फिर साफ्टवेयर पर अपडेट करेगी. इससे जहां मरीज को समय पर रक्त चढ़ सकेगा. साथ ही दलालों के हाथ में पहुंचने के साथ-साथ उसकी बर्बादी भी रुकेगी. कारण, कई बार स्टाफ ड्यूटी बदलने पर मरीज का रक्त स्टोर रह जाता है. ऐसे में गलती की गुंजाइश नहीं होगी.



अब दलाल पर्ची पर नहीं चढ़ा सकेंगे एक्स्ट्रा यूनिट

डॉ. तूलिका के मुताबिक अभी तक ब्लड के लिए तीमारदार डॉक्टर का पर्चा लेकर आते थे. इसमें दलाल यूनिट और रक्त अवयव की संख्या बढ़ा सकते थे. वहीं ब्लड बैंक से लेकर दूसरे मरीज को महंगी दर पर बेच देते थे. मगर, अब ऑनलाइन डिमांड सिस्टम होने से पर्ची का खेल बंद हो जाएगा. रेडियोथेरेपी व क्लीनिकल हीमेटोलॉजी विभाग में नई व्यवस्था लागू हो गयी है. अन्य विभाग में स्टाफ का प्रशिक्षण चल रहा है.

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बायोमैट्रिक सिस्टम से 100 से ज्यादा पेशेवर डोनर पकड़े गए

केजीएमयू में पेशेवर डोनर्स भी सक्रिय हैं. इसको रोकने के लिए ब्लड बैंक में बायोमीट्रिक सिस्टम लगाया गया है. इसमें डोनर की मैचिंग में सौ से अधिक लोग पकड़े जा चुके हैं. कई मौके से भाग गए. वहीं तमाम को पुलिस भी पकड़ कर ले गई.

केजीएमयू के मारे में जानकारी

  • स्टॉक क्षमता : 12000 यूनिट
  • हर वर्ष आता है 80,000 यूनिट ब्लड
  • 1,50000-यूनिट अवयवों की हर वर्ष आपूर्ति

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