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प्रभात हत्याकांड में वादी पक्ष का आरोप, अजय मिश्रा टेनी की ओर से सुनवाई से बचने का हो रहा है प्रयास

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Published : Sep 6, 2022, 8:49 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

लखीमपुर खीरी के केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कमार टेनी पर प्रयाभ हत्याकांड में सुनवाई से बचने का आरोप लगया है.

लखनऊ: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी(Union Minister of State for Home Ajay Mishra) के खिलाफ प्रभात हत्याकांड मामले में सुनवाई टाले जाने का विरोध करते हुए, मामले के वादी व प्रभात गुप्ता के भाई संतोष कुमार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि प्रत्यर्थी (अजय मिश्रा उर्फ टेनी) राजनीतिक व्यक्ति है. उसके द्वारा लगातार अपील की सुनवाई से बचने का प्रयास किया जा रहा है. यह भी दलील दी गई कि राज्य सरकार और वादी की ओर से दाखिल दोनों अपीलें 18 साल पुरानी हैं. बावजूद इसके प्रत्यर्थी पक्ष सुनवाई नहीं चाहता है. हालांकि वर्तमान अपील के स्थानांतरण सम्बंधी मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जाने के कारण न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितम्बर की तिथि नियत की है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने सरकार की अपील पर पारित किया. मंगलवार को मामला जब सुनवाई के लिए आया तो गृह राज्य मंत्री के अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने न्यायालय को बताया कि यूनाइटेड प्रोविंसेज हाई कोर्ट्स (अमैल्ग्मैशन) ऑर्डर की धारा 14 के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था. जिसमें वर्तमान अपील को इलाहाबाद स्थानांतरित किए जाने की मांग की गई थी.

हालांकि मुख्य न्यायमूर्ति ने 24 अगस्त को उक्त प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायमूर्ति के 24 अगस्त के आदेश को शीर्ष अदालत के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है. लिहाजा मामले की सुनवाई को टाल दिया जाए. इसका विरोध करते हुए, मामले के वादी की ओर से दलील दी गई कि प्रत्यर्थी (अजय मिश्रा उर्फ टेनी) की ओर से लगातार मामले की सुनवाई न होने देने के प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि न्यायालय ने मामले में अगली तिथि नियत कर दी है.

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उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी के तिकुनिया थाना क्षेत्र में वर्ष 2000 में एक युवक प्रभात गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ अजय मिश्रा उर्फ टेनी भी नामजद थे. मामले के विचारण के पश्चात लखीमपुर खीरी की एक सत्र अदालत ने अजय मिश्रा व अन्य को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में वर्ष 2004 में बरी कर दिया था. आदेश के खिलाफ वर्ष 2004 में ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. वहीं मृतक के भाई संतोष गुप्ता ने भी उक्त आदेश के विरुद्ध अपील दाखिल की है.


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