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गोरखपुर से पूर्वांचल को साध गईं प्रियंका, कहा- बनवाएंगी गुरु मत्स्येंद्रनाथ के नाम से विश्वविद्यालय

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Published : Nov 1, 2021, 12:10 PM IST

सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पूरे पूर्वांचल को साध गईं और गुरु मत्स्येंद्रनाथ के नाम से उनके विश्वविद्यालय बनवाने की सियासी घोषणा के अब कई मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल, पूर्वांचल में कांग्रेस की हवा मजबूत करने के लिए गोरखपुर में प्रतिज्ञा रैली करने वाली प्रियंका गांधी, अब क्षेत्र की जरूरत, जातिवादी गणित और सामाजिक ताना-बाना का पूरा आकलन करके जनता को साधने की कोशिश करते नजर आईं.

गोरखपुर से पूर्वांचल को साध गईं प्रियंका
गोरखपुर से पूर्वांचल को साध गईं प्रियंका

गोरखपुर: सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पूरे पूर्वांचल को साध गईं और गुरु मत्स्येंद्रनाथ के नाम से उनके विश्वविद्यालय बनवाने की सियासी घोषणा के अब कई मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल, पूर्वांचल में कांग्रेस की हवा मजबूत करने के लिए गोरखपुर में प्रतिज्ञा रैली करने वाली प्रियंका गांधी, अब क्षेत्र की जरूरत, जातिवादी गणित और सामाजिक ताना-बाना का पूरा आकलन करके जनता को साधने की कोशिश करते नजर आईं.

वहीं, प्रतिज्ञा रैली में विभिन्न घोषणाओं से निषाद समाज और उत्पीड़न का जिक्र करके उन्होंने अनुसूचित जाति और ब्राह्मण समाज को भी साधने की कोशिश की.

गोरखपुर से पूर्वांचल को साध गईं प्रियंका

हालांकि, प्रियंका गांधी ने अपनी पूर्व की घोषणाओं में गोरखपुर क्षेत्र से दो नई घोषणाओं को जोड़ा, जिसमें बाबा गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा और मछली पालन को कृषि उद्योग का दर्जा व बालू खनन में भी निषाद समाज को अधिकार देने का मुद्दा रहा.

गोरखपुर जिले की नौ विधानसभा सीटों समेत पूर्वांचल की 62 सीटों में से 40 सीटों पर निषाद समुदाय अपने मताधिकार से किसी भी राजनीतिक दल की स्थिति बना और बिगड़ सकता है. प्रियंका को इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी.

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इसीलिए प्रियंका ने मत्स्येंद्रनाथ को बाबा गोरखनाथ से जोड़ते हुए भावनात्मक तरीके से निषाद समुदाय को अपने पाले में करने का प्रयास किया.

गोरखपुर से पूर्वांचल को साध गईं प्रियंका

यही नहीं उन्होंने प्रयागराज की उस घटना का भी जिक्र किया, जिसमें योगी आदित्यनाथ की सरकार में मछुआरों पर जमकर लाठियां बरसाई गई थीं और प्रियंका घटना के पीड़ितों से मुलाकात को गई थी. इसके साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में भोजपुरी में लोगों से पूछा 'का हाल चाल बा' और लोग गदगद हो उठे.

प्रियंका गांधी पूरी तरह से गोरखपुर और आसपास के सामाजिक समीकरण को प्रतिज्ञा रैली में कांग्रेस से जोड़ती नजर आईं. अपनी तैयारियों को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तैयारियों की तरह पेश करती दिखीं, जैसा मोदी अपने हर जनसभा क्षेत्रों में स्थानीय भाषा और रोजगार, समुदाय आदि से जोड़ते हैं.

जिस मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर विश्वविद्यालय बनाने की बात प्रियंका ने किया वे बाबा गोरखनाथ के गुरु माने जाते हैं. पूर्वांचल में निषादों की राजनीति करते हुए निषाद पार्टी स्थापित करने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद भी मत्स्येंद्रनाथ से खुद को और निषाद समाज से जोड़कर अपनी राजनीति को मजबूती दिए हैं.

यही वजह है कि भाजपा से वह चुनावी गठजोड़ करने में भी कामयाब रहे और विधान परिषद में मनोनीत सदस्य भी हो गए. जिले की नौ विधानसभा सीटों में सदर सीट को छोड़ दिया जाए तो हर सीट पर निषाद निर्णायक भूमिका में है. 22% से लेकर 40% तक मतदाता विभिन्न सीटों पर हैं.

इसलिए प्रियंका का मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर विश्वविद्यालय खोलना और मछली पालन के साथ बालू खनन में निषादों को अधिकार देने की घोषणा का चुनावी माहौल में लाभ के बड़े समीकरण के रूप में देखा जा रहा है.

जिसका असर भी निश्चित रूप से पड़ता नजर आएगा. क्योंकि निषाद पार्टी निषादों के लिए किए गए कुछ दावों में सफल नहीं हो पाई है, जिसमें अनुसूचित जाति का दर्जा सबसे बड़ा मामला अभी भी लटका हुआ है.

गोरखपुर में प्रियंका की प्रतिज्ञा रैली वाराणसी और अन्य जगहों से भी बड़े पैमाने पर सफल हुई है. पूर्वांचल के प्रभारी और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश कुमार तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रियंका लगातार अपने विचार, भाषण और व्यवहार से जनता के बीच लोकप्रिय होती जा रही हैं. उन्होंने जो वादे जनता से किए हैं, कांग्रेस की सरकार बनने पर निश्चित रूप से वह पूरा होगा.

उन्होंने कहा कि गोरखपुर की रैली वाराणसी की रैली से डेढ़ गुना ज्यादा भीड़ और सफलता वाली रही है. जिससे सिर्फ प्रियंका ही नहीं आए हुए सभी कांग्रेस नेता गदगद हुए हैं. सभी इस उम्मीद के साथ लौटे हैं कि 2022 के चुनाव में पूर्वांचल में पार्टी बेहतर करने की दिशा में अग्रसर है.

निषाद बिरादरी की अहमियत इस बात से ही समझी जा सकती है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन में पहली बार प्रदेश स्तर पर इसके संयोजक का पद सृजित किया है. जिस पर राज्यसभा सांसद, गोरखपुर क्षेत्र के निषाद नेता जयप्रकाश निषाद को मनोनीत किया गया है.

जयप्रकाश पूर्वांचल के साथ ही पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर मछुआरा समाज को अपने पाले में करने में जुटे हुए हैं. वहीं, संजय निषाद के साथ भी गठजोड़ करके भाजपा इस समाज का वोट अपने पाले में करने की जुगत बैठा चुकी है.

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री राम भुवाल निषाद, फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद, पूर्व विधायक राजमती निषाद के साथ पार्टी के प्रदेश सचिव की भूमिका के लिए दयाशंकर निषाद को इस क्षेत्र से आगे किया गया है. जिससे इस बिरादरी का वोट उसके हाथ से भी खिसकने न पाए.

बसपा यहां अब कमजोर होती नजर आ रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी और उसकी नेता प्रियंका गांधी के इस समाज के लिए जो घोषणाएं गोरखपुर में की गईं है, वह न सिर्फ निषाद समाज की राजनीति करने वाले नेताओं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के लिए भी एक चिंता का विषय है.

फिलहाल इस घोषणा का कितना असर होता है वो तो 2022 के चुनाव परिणाम से ही पता चल पाएगाय. लेकिन पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र बिंदु मछुआरा समाज तो हो ही गया है.

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