बरेलीः जिले में कुछ ऐसी ख़बर आई कि पूरा जिला ही गौरवान्वित महसूस करने लगा. किसी तरह से किराना की दुकान पर काम कर अपनी जीविका चलाने वाले एक कर्मचारी के बेटे ने वो कर दिखाया जिसकी उसके पिता को भी उम्मीद नहीं रही होगी. कड़ी मेहनत और लगन ने उत्कर्ष को सेना में लेफ्टीनेंट बना दिया. आपको बता दें कि हाल ही में हुए पासिंग आउट परेड में 341 नए सैन्य अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बने हैं, उन्हीं में से एक उत्कर्ष तिवारी भी हैं.
लगन और मेहनत ने पहुंचाया बुलंदियों तक
सेना में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुए उत्कर्ष का कहना है कि उसे मेहनत करना अच्छा लगता है. उन्होंने सेना में जाने का निश्चय किया और अपना शत प्रतिशत झोंक दिया. जिसका परिणाम सबके सामने है. उत्कर्ष ने 2014 में 95 फीसदी अंक लाकर हाईस्कूल की परीक्षा पास की. इसके बाद 2016 में बारहवीं की परीक्षा में भी 95 फीसदी अंक लाए. हैरानी की बात तो ये है कि इसके लिए उत्कर्ष ने कभी किसी तरह की कोई कोचिंग नहीं ली.
इंटरनेट से की दोस्ती
उत्कर्ष के मुताबिक पढ़ाई के लिए उन्होंने इंटरनेट से ही दोस्ती कर ली. इसी को उन्होंने पढ़ाई का जरिया बना लिया. सेना में जाने का शौक उन्हें शुरू से था. इसके लिए उन्होंने यहीं से जानकारी जुटानी शुरू की. यहीं से उन्हें TES के बारे में मालूम हुआ. उत्कर्ष के मुताबिक कोई ऐसा शख्स नहीं था जो उनका मार्गदर्शन कर सके. इसके लिए वो अपने गुरुजनों से ही समय-समय पर मार्गदर्शन लिया करते थे और फिर क्या था शुरूआत की और रास्ते बनते चले गए.
उत्कर्ष ने सबसे पहले टेक्निकल एंट्री स्कीम टीईएस के लिए फॉर्म डाला, जहां वो सफल रहे. इसके बाद उन्हें 4 साल की ट्रेनिंग दी गई. जिसमें से एक साल प्रशिक्षण CTW(ऑफिसर्स ट्रेंनिंग अकादमी) गया. इसके बाद पुणे में वो CME (कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग) में बीटेक की पढ़ाई के साथ प्रशिक्षण लिया.
उत्कर्ष के माता-पिता के पिता के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव
दरअसल उत्कर्ष के पिता अनिल तिवारी भूता थाना क्षेत्र के शेखापुर गांव के रहने वाले हैं. उत्कर्ष के पिता के मुताबिक उनके पिता यानि उत्कर्ष के दादा को कैंसर हुआ था. जिसके बाद जो भी उनके पास पूंजी थी वो सबकुछ इलाज में लगा दिया. लेकिन इसके बावजूद पिता को बचा नहीं सके.