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जुनून के आगे गरीबी पड़ी फीकी, मजदूर का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट

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Published : Jun 15, 2021, 9:39 AM IST

Updated : Jun 15, 2021, 10:04 AM IST

बरेली में एक किराने की दुकान पर काम करके गुजर बसर करने वाले एक कर्मचारी के बेटे ने घर परिवार के साथ पूरे देश का नाम रौशन किया है. 22 साल के उत्कर्ष ने मेहनत और लगन के बल पर ऐसी उड़ान भरी कि वो सेना में लेफ्निेंट बन गया.

मजदूर का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट
मजदूर का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट

बरेलीः जिले में कुछ ऐसी ख़बर आई कि पूरा जिला ही गौरवान्वित महसूस करने लगा. किसी तरह से किराना की दुकान पर काम कर अपनी जीविका चलाने वाले एक कर्मचारी के बेटे ने वो कर दिखाया जिसकी उसके पिता को भी उम्मीद नहीं रही होगी. कड़ी मेहनत और लगन ने उत्कर्ष को सेना में लेफ्टीनेंट बना दिया. आपको बता दें कि हाल ही में हुए पासिंग आउट परेड में 341 नए सैन्य अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बने हैं, उन्हीं में से एक उत्कर्ष तिवारी भी हैं.

लगन और मेहनत ने पहुंचाया बुलंदियों तक

सेना में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुए उत्कर्ष का कहना है कि उसे मेहनत करना अच्छा लगता है. उन्होंने सेना में जाने का निश्चय किया और अपना शत प्रतिशत झोंक दिया. जिसका परिणाम सबके सामने है. उत्कर्ष ने 2014 में 95 फीसदी अंक लाकर हाईस्कूल की परीक्षा पास की. इसके बाद 2016 में बारहवीं की परीक्षा में भी 95 फीसदी अंक लाए. हैरानी की बात तो ये है कि इसके लिए उत्कर्ष ने कभी किसी तरह की कोई कोचिंग नहीं ली.

जुनून के आगे गरीबी पड़ी फीकी

इंटरनेट से की दोस्ती

उत्कर्ष के मुताबिक पढ़ाई के लिए उन्होंने इंटरनेट से ही दोस्ती कर ली. इसी को उन्होंने पढ़ाई का जरिया बना लिया. सेना में जाने का शौक उन्हें शुरू से था. इसके लिए उन्होंने यहीं से जानकारी जुटानी शुरू की. यहीं से उन्हें TES के बारे में मालूम हुआ. उत्कर्ष के मुताबिक कोई ऐसा शख्स नहीं था जो उनका मार्गदर्शन कर सके. इसके लिए वो अपने गुरुजनों से ही समय-समय पर मार्गदर्शन लिया करते थे और फिर क्या था शुरूआत की और रास्ते बनते चले गए.

मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार

उत्कर्ष ने सबसे पहले टेक्निकल एंट्री स्कीम टीईएस के लिए फॉर्म डाला, जहां वो सफल रहे. इसके बाद उन्हें 4 साल की ट्रेनिंग दी गई. जिसमें से एक साल प्रशिक्षण CTW(ऑफिसर्स ट्रेंनिंग अकादमी) गया. इसके बाद पुणे में वो CME (कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग) में बीटेक की पढ़ाई के साथ प्रशिक्षण लिया.

उत्कर्ष के माता-पिता के पिता के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव

दरअसल उत्कर्ष के पिता अनिल तिवारी भूता थाना क्षेत्र के शेखापुर गांव के रहने वाले हैं. उत्कर्ष के पिता के मुताबिक उनके पिता यानि उत्कर्ष के दादा को कैंसर हुआ था. जिसके बाद जो भी उनके पास पूंजी थी वो सबकुछ इलाज में लगा दिया. लेकिन इसके बावजूद पिता को बचा नहीं सके.

उत्कर्ष की कामयाबी से खुश परिवार

पैसा खत्म होने पर दुकान में की नौकरी

अनिल तिवारी के मुताबिक पिता की मौत के बाद शहर में आकर वो मजदूरी करने लगे. उनका कहना है कि कई बार तो उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ा. अनिल तिवारी बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. जिसकी वजह से उन्होंने एक दाल कारोबारी की दुकान पर काम करने लगे. किराए के मकान में पत्नी और बेटे संग रहकर किसी तरह गुजर बसर करते थे, उन्हें अपने बेटे की मेहनत पर पूरा भरोसा था.

उत्कर्ष ने बढ़ाया परिवार का मान

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परिवार के हालात को समझते हैं उत्कर्ष

लेफ्टिनेंट उत्कर्ष ने बताया कि उसके माता पिता ने हर हाल में उनका साथ दिया. उत्कर्ष के माता पिता का भी कहना है कि उन्होंने भी कभी किसी बारे में कोई शिकायत संसाधनों को लेकर नहीं की. घर में जो भी था उसी में खुश रखकर खूब मेहनत की. इनके घर में मनोरंजन के लिए टीवी तक नहीं था.

उत्कर्ष ने बढ़ाया मां-पिता का गौरव

उत्कर्ष के माता-पिता ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कई बार भावुक भी हुए. दोनों की आंख से अपने बेटे के कामयाब होने पर खुशी के आंसू छलक पड़ते थे. मां कहती हैं कि उनके बेटे जैसा हर मां का बेटा कामयाब हो. पिता का कहना है कि उन्हें तो कुछ नहीं मालूम था, बस बेटे पर पूरा भरोसा था.

वहीं उत्कर्ष का कहना है कि अपने पिता और मां के भरोसे को बनाते हुए उन्होंने कामयाबी पाई है. उन्होंने कहा कि जो भी मेहनत से अपने लक्ष्य को देखकर आगे बढ़ेगा वो एक दिन मंजिल जरूर पाएगा.

सेना में लेफ्टिनेंट बना उत्कर्ष

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माता-पिता ने जिन हालातों में बेटे की परवरिश की, उसको बेटे ने भी बखूबी समझा और आखिरकार मंजिल उसको मिल गई. उत्कर्ष की ये कामयाबी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो कुछ बड़ा कर गुजरने का सपना संजोए हुए हैं. अब परिवार को बधाइयां देने शहर से कई लोग इनके घर पहुंच रहे हैं.

उत्कर्ष ने रच दिया इतिहास
Last Updated : Jun 15, 2021, 10:04 AM IST

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