उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

भगवान राम ने मुट्ठीभर बालू से की थी इस शिवलिंग की स्थापना, जानें क्या है मान्यता

By

Published : Aug 18, 2021, 8:25 AM IST

वाराणसी की पंचकोसी यात्रा के तीसरे पड़ाव रामेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी. मान्यता है कि श्रीराम ने वरुणा नदी की एक मुट्ठीभर रेत से इस शिवलिंग की स्थापना की थी. सावन के समय यहां भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है.

श्रीराम ने की थी शिवलिंग की स्थापना
श्रीराम ने की थी शिवलिंग की स्थापना

वाराणसी : काशी की पंचकोशी यात्रा के तीसरे पड़ाव पर बसा रामेश्वर मंदिर अद्भुद है. मान्यता है कि पंचकोशी यात्रा के दौरान भगवान श्री राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. भगवान राम ने यहां वरुणा नदी के एक मुट्ठी रेत से इस शिवलिंग की स्थापना की थी. मान्यता है कि रावण वध के बाद भगवान श्रीराम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था. जिसका प्रायश्चित करने के लिए कुल गुरु वशिष्ट ऋषि के आदेश पर यहां काशी आए और पंचकोशी यात्रा के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना की. भगवान श्री राम और शिव के मिलन के इस केंद्र को रामेश्वर के नाम से जाना जाता है.

रामेश्वर मंदिर के महंत पंडित अनिल तिवारी ने बताया कि रावण का वध करने से भगवान श्री राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था, क्योंकि रावण ब्राह्मण था जबकि भगवान राम क्षत्रिय. श्रीराम को ब्रह्म हत्या से मुक्ति दिलाने के लिए उनके कुल गुरु वशिष्ठ मुनि ने सुझाव दिया की आप पंचकोशी यात्रा करिए. उससे आप पाप से मुक्त हो जायेंगे. भगवान राम ने कई जगह पंचकोशी यात्रा की लेकिन वह सफल नहीं हुए. इसके बाद कुल गुरु वशिष्ट ने मार्गदर्शन करते हुए बताया कि आप काशी की पंचकोशी यात्रा करिए, क्योंकि काशी में सभी देवता वास करते हैं. भगवान रामजी एवं उनके सभी भाई मिलकर काशी की पंचकोशी यात्रा करने निकल पड़े.

श्रीराम ने की थी शिवलिंग की स्थापना

गुरु वशिष्ठ ने कहा कि अगर आप शुभ मुहूर्त में शिवलिंग की स्थापना कर देंगे तो ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाएंगे. रामचंद्र जी ने हनुमान को शिवलिंग लाने के लिए भेजा. हनुमान जी को शिवलिंग लाने में देर हो रही थी और शुभ मुहुर्त निकला जा रहा था. तब गुरु वशिष्ट ने आदेश पर भगवान श्री राम ने वरुणा नदी से एक मुट्ठी बालू लेकर शिवलिंग की स्थापना की और पूजन अर्चन किया. इससे प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए तब भगवान श्रीराम ने उन्हें जनकल्याण के लिए शिवलिंग में लीन होने की विनती की. शिव जी ने ऐसा करने से मना कर दिया और भगवान रामचंद्र जी को शिवलिंग में लीन होने को कहा. तब इस समस्या का हल निकालते हुए गुरु वशिष्ट ने कहा कि आप दोनों ही लीन हो जाइए. जिससे इस क्षेत्र का नाम रामेश्वर पड़ा. यहां पर दूध से रुद्राभिषेक कराने में मान्यता है कि जिस स्त्री को बच्चा ना हो रहा हो यहां उसे पुत्र धन की प्राप्ति होती है.

इसे भी पढ़ें-पुत्रदा एकादशी 2021 : जानें व्रत की विधि, मुहूर्त और पारण का समय


सावन के समय यहां भक्तों की काफी संख्या में भीड़ लगती है. शिव की कृपा पाने के लिए यहां सुबह से ही भक्त पहुंचते हैं और जलाभिषेक कर शिव की कृपा प्राप्त करते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details