उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

Gyanvapi Mosque Case: राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने कोर्ट में रखा पक्ष, 21 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

By

Published : Jul 19, 2022, 8:19 AM IST

Updated : Jul 19, 2022, 7:31 PM IST

मंगलवार को वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की वादी संख्या-1 राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने जिला जज की अदालत में अपना पक्ष रखा. इस मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 जुलाई की तारीख नियत की है.

etv bharat
Gyanvapi Mosque Case

वाराणसी :ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मंदिर परिसर मामले में हिंदू पक्ष के एक वादी की दलीलों पर वाराणसी की जिला अदालत में मंगलवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने वादी संख्या-1 राखी सिंह के वकीलों को ही बहस करने का मौका दिया. कोर्ट में आज वादी संख्या-2 यानि लक्ष्मी देवी की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने अपनी दलीलें पेश कीं. दोनों वादी पक्ष की तरफ से दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई नियत की है. अगली सुनवाई पर वादी पक्ष यानी हिंदू पक्ष की तरफ से ही बहस को आगे बढ़ाया जाएगा.

बता दें कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की पोषणीयता को लेकर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुनवाई आगे बढ़ाई जा रही है. इसके पहले मामले की सुनवाई सीनियर सिविल डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के यहां हो रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे सीनियर जज के यहां ट्रांसफर किया गया है. मई माह से इस मामले की सुनवाई सीनियर जज की पीट पर हो रही है.

जानकारी देते अधिवक्ता

ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद 4 जुलाई से इस मामले पर फिर से सुनवाई हो रही है. 12 जुलाई तक इस मामले में अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी की तरफ से उनके वकीलों ने वादी पक्ष की तरफ से दाखिल किए गए 52 पॉइंट का विश्लेषण करते हुए एक एक पॉइंट पर अपनी बातें रखी थी. 12 जुलाई को लगभग 45 मिनट तक हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने अपनी दलीलें पेश की थी और उसके बाद लगभग 3 दिनों तक अपनी दलीलें पेश करके शुक्रवार को हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने अपनी बातें कोर्ट के सामने खत्म की थी.

इसे पढ़ें- ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद: आज की सुनवाई पूरी, कल होगी फिर बहस

ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में आज कोर्ट के निर्धारित समय 2:00 बजे की जगह 1 घंटे देरी से यानी 3:00 बजे से कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के दौरान वादी संख्या-1 की बहस शुरू होने से पहले हिंदू पक्ष के बाद ही वादी संख्या-2 लक्ष्मी देवी की तरफ से सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट अश्विनी उपाध्याय ने कुछ बातें रखने की अनुमति मांगी थी. जिस पर कोर्ट ने उन्हें कुछ देर बोलने का मौका दिया. सुनवाई के दौरान अश्विनी उपाध्याय ने 1991 के वरशिप एक्ट को चैलेंज दे दिया. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि पूजा का अधिकार और प्रार्थना का अधिकार यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं. मुस्लिम पक्ष जिस पूजा के अधिकार का हवाला देकर इस वाद को निरस्त करवाना चाहता है. वह तो लागू ही नहीं हो रहा, क्योंकि पूजा मंदिर में होती है ना की मस्जिद में.

मस्जिद में तो प्रार्थना की जाती है और हिंदू मान्यता के मुताबिक जब तक किसी स्थान पर देवता विराजमान हैं और उनका विसर्जन नहीं किया गया है. उस स्थान पर देवता का ही अधिकार होता है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में देवता थे, यह प्रमाण है लेकिन उनका विसर्जन किया गया यह प्रमाण नहीं मिलता. इसलिए उक्त स्थान मंदिर का है, सिर्फ नमाज पढ़ लेने से ही किसी स्थान को मस्जिद नहीं कहा जा सकता.

इन सारी बातों को आज न्यायालय के समक्ष रखा गया है और कार्बन डेटिंग के साथ एएसआई सर्वे की मांग भी की गई है. वहीं वादी संख्या एक राखी सिंह के वकीलों की तरफ से भी अपनी बहस को आगे बढ़ाते हुए वक्त श्री काशी विश्वनाथ पर एक चर्चा की गई है. चर्चा पूरी ना हो पाने की वजह से कोर्ट ने 21 जुलाई को अगली तिथि मुकर्रर की है.

ये भी पढ़ें- लुलु मॉल विवाद को लेकर सीएम योगी सख्त, कहा- जगह को बना दिया राजनीति का अड्डा

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Jul 19, 2022, 7:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details