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हर साल तीन प्रतिशत कम हो रही ओजोन लेयर, जानिए जीवन के लिए कितनी है जरूरी

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Published : Sep 16, 2022, 7:25 PM IST

पर्यावरणविद विशेषज्ञ वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस (World Ozone Day) मनाया जाता है. इस दिन हमें ओजोन लेयर का महत्व समझाया जाता है और बताया जाता है कि यह हमारे वातावरण और मानव जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

ओजोन लेयर
ओजोन लेयर

लखनऊ : 16 सितंबर को पूरी दुनिया में ओजोन दिवस (World Ozone Day) मनाया जाता है. जीवन के लिए ऑक्सीजन से ज्यादा जरूरी ओजोन है और इस दिवस को मनाने की यही वजह है कि ओजोन लेयर के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके. साथ ही इसे बचाने के लिए समाधान निकाला जा सके. बता दें कि ओजोन अणुओं की एक लेयर ही ओजोन परत है, जो 10 से 50 किलोमीटर के बीच के वायुमंडल में पाई जाती है. पर्यावरणविद विशेषज्ञ वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय वर्तमान में काफी खराब स्थिति है और हर साल तीन प्रतिशत ओजोन परत कम होती जा रही है. ओजोन परत को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस मनाया जाता है ताकि आम पब्लिक ओजोन की अहमियत को समझ सके और इसे संरक्षित करने में योगदान दे सके.

पर्यावरणविद विशेषज्ञ वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस (World Ozone Day) मनाया जाता है. इस दिन हमें ओजोन लेयर का महत्व समझाया जाता है और बताया जाता है कि यह हमारे वातावरण और मानव जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है. ओजोन परत सूर्य से आने वाली खतरनाक किरणों से हमारी रक्षा करता है. यही कारण है कि इसका संरक्षण काफी अहम माना जाता है. ओजोन परत हमारी धरती के लिए एक ढाल की तरह काम करती है और इकोलॉजी से बचाने का काम करती है.

जानकारी देते पर्यावरणविद विशेषज्ञ वीपी श्रीवास्तव

उन्होंने कहा कि ओजोन का रासायनिक नाम O₃ है. यह ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना है. इसका रंग हल्का नीला होता है. ओजोन गैस एक हानिकारक गैस है यह काफी बदबूदार होता है और अत्यधिक प्रतिक्रियाशील भी. समताप मंडल में ऊपर यह मौजूद होता है. ओजोन अगर पृथ्वी के वायुमंडल के पास होता तो इसका ग्रीनहाउस प्रभाव जीवन के लिए काफी खतरनाक हो जाता. जिससे ग्लोबल वार्मिंग और अन्य तरह की समस्याएं होती हैं. ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक यूवी रेडिएशन या सोलर रेडिएशन के प्रभाव को कम करती है और पृथ्वी तक आने से रोकती है. अगर इन रेडिएशन को धरती तक आने से ओजोन परत न रोके तो ये यहां पहुंचकर कई तरह से नुकसान पहुंचाएंगी. सनबर्न, त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद जैसी बीमारियां फैलने लगेंगी.

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अगर ओजोन परत न हो तो इंसान और जानवर दोनों का इम्यून सिस्टम खराब हो जाएगा. इससे महासागरों में फाइटोप्लांकटन उत्पादकता में भी प्रभाव पड़ेगा. ओजोन परत में छेद होने के कारण ओडीएस यानी ओजोन-क्षयकारी पदार्थ है. साल 1985 में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के एक शोधकर्ता जोनाथन शंकलिन ने ओजोन शील्ड में छेद की खोज की थी. सैटेलाइट्स की मदद से पता चला कि ओजोन परत में 20 मिलियन वर्ग किमी का एक छेद है. इसी के नौ साल बाद 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की तरफ से ओजोन के संरक्षण और मानव जीनव और प्रकृति को बचाने के लिए हर साल 16 सितंबर को इंटरनेशनल ओजोन डे मनाने का ऐलान किया गया. ओजोन लेयर को संरक्षित करने के लिए विश्व समुदाय ने ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाने का एलान किया. ताकि जिस प्रकार से ओजोन परत कम हो रही है, उसे बचाया जा सके.

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