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जब जमनालाल बजाज ने गांधीजी के सामने रखा ये प्रस्ताव, फिर

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Published : Aug 13, 2022, 9:53 PM IST

Jamnalal Bajaj Contribution in freedom Movement

देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथा आज भी हम सुनते और सुनाते हैं. इन्हीं वीर महापुरुषों के बलिदान और त्याग के कारण ही देश आजाद हो सका. स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों में जमनालाल बजाज का नाम भी उल्लेखनीय है. उन्होंने कई आंदोलन में भाग लेकर आजादी दी लड़ाई में सहयोग किया था.

सीकर. देश की स्वतंत्रता (Indian Independence Day) के लिए आंदोलन करने वाले महापुरुषों की वीर गाथाएं सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं. इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में सीकर जिले के सपूत जमनालाल बजाज का नाम भी शामिल है. वे एक उद्योगपति और स्वतंत्रता सेनानी थे. जमनालाल बजाज महात्मा गांधी के अनुयायी थे, उनके काफी करीब थे. उन्हें महात्मा गांधी का पांचवां पुत्र (Mahatma Gandhi fifth son) भी कहा जाता है.

जमनालाल बजाज का जन्म (Birth of Jamnalal Bajaj) सीकर जिले के काशी का बास गांव में 1889 हुआ था. उनके पिता का नाम कनीराम और माता का नाम बिरदीबाई था. जमनालाल बजाज वर्धा के एक बड़े सेठ बच्छराज के यहां 5 साल की आयु में ही गोद चले गए थे. सेठ बच्छराज के यहां का वैभव पूर्ण माहौल उन्हें प्रभावित नहीं कर सका. 13 वर्ष की आयु में इनका विवाह जानकी से हुआ. जमनालाल बजाज का झुकाव स्वतंत्रता संग्राम की तरफ रहा. उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलन (freedom movement) में बड़ी भूमिका निभाई. जमनालाल बजाज ने खादी और स्वदेशी को अपनाया और अपनी बेशकीमती वस्त्रों की होली जला दी थी.

जमनालाल बजाज ने गांधीजी के सामने रखा ये प्रस्ताव

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जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) धीरे-धीरे स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ते चले गए. शुरुआत में वे पंडित मदन मोहन मालवीय से मिले. 1906 में जब बाल गंगाधर तिलक ने अपनी मराठी पत्रिका का हिंदी संस्करण निकाला तो जमनालाल बजाज ने अपने जेब खर्च के 100 रुपए उन्हें दिए. 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन के दौरान जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी से अनुरोध किया कि वे उनका पांचवां बेटा बनना चाहते हैं. इस पर महात्मा गांधी ने स्वीकृति दे दी, जिसके बाद महात्मा गांधी के पांचवें पुत्र (Mahatma Gandhi fifth son) के नाम से जमनालाल बजाज विख्यात हुए.

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11 फरवरी 1942 को जमनालाल बजाज का निधन हो गया. जिसके बाद उनकी पत्नी जानकी देवी ने अपने आप को देश सेवा में समर्पित कर दिया. संत विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में भी वे उनके साथ रही. जमनालाल बजाज ने वास्तव में गांधीजी के ट्रस्टीशिप सिद्धांत को वास्तविक जीवन में जीकर दिखाया. सेठ जमुनालाल बजाज की ओर से स्वाधीनता आंदोलन में निभाई गई भूमिका को आज भी जनता याद करती है. उन्होंने अपने गांव के विकास के लिए भी कई कार्य किए. यहां अस्पताल और भवन बनवाए. आज भी उनकी ओर से संचालित ट्रस्ट समाज सेवा के काम में जुटा हुआ है.

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