सवाई माधोपुर. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले एक महीने में रणथंभौर में तीन बाघों की मौत के बाद एक बार फिर बुरी खबर आई है. बाघिन टी-39 नूर के दो शावक (Two Cubs of Tigress Noor T 39 Missing) लापता हैं. शावकों कि मौत की आशंका जताई जा रही है. वन विभाग की ओर से कई दिनों से शावकों के लापता होने की पुष्टि की गई है, साथ ही शावकों के कमजोर और छोटे होने की बात कही है.
1 साल में 6 बाघ व शावक की मौत : रणथंभौर के जोन नम्बर 6 में दो माह पहले बाघिन टी-39 ने दो शावकों को जन्म दिया था. बाघिन पर्यटकों को अपने शावकों को अपने मुंह में लेकर शिफ्ट करती हुई दिखाई दी थी. अब पिछले 25 दिनों से बाघिन टी-39 नूर अपने शावकों के साथ दिखाई नहीं दे रही है. बाघिन के शावकों को खोजने के लिए वन विभाग की ओर से सघन तलाशी अभियान भी चलाया जा रहा है. बाघिन टी-39, बाघ टी-101 के साथ शनिवार को मेटिंग करती दिखाई दी थी. जिससे बाघिन के शावकों की मौत की संभावना जताई जा रही है.
वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो बाघिन अपने शावकों की मौत के बाद या फिर शावकों के बड़े हो जाने के बाद ही मेटिंग करती है. लेकिन नूर के दोनों शावक (Ranthambore of Sawai Madhopur in Rajasthan) छोटे और कमजोर हैं. ऐसे में वह ना तो शिकार कर सकते हैं ना ही अपनी टेरिटरी बना सकते हैं. जिसके चलते वन्यजीव विशेषज्ञ बाघिन के शावकों की मौत की संभावना जता रहे हैं. वहीं, विभाग केवल गायब की बात कर रहा है.
शावकों को खोजने में नाकाम रहा वन विभाग : वन विभाग की ओर से शावकों की तलाश के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन 25 दिन बाद भी वन विभाग गायब शावकों का पता लगाने में नाकाम रहा है. पहले भी वन विभाग को एक सप्ताह बाद बाघ टी-34 कुंभा का शव मिला था. इसी तरह एक साल में हुई बाघों की मौतों के मामले भी देखने को मिले. सूत्रों के अनुसार वनाधिकारी रणथंभौर में विकास कार्यों में व्यस्त हैं. वनाधिकारियों की ओर से वन और वन्यजीव संरक्षण के प्रयास नहीं के बराबर किए जा रहे हैं. मई 2021 से जून 2022 यानी पिछले एक साल में 6 टाइगर और करीब 10 लेपर्ड की मौत हो चुकी है. वन विभाग के अनुसार इन बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में गई है.