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नये जिलों पर फैसला सितंबर तक टला, गहलोत सरकार ने दिया राम लुभाया कमेटी को एक्सटेंशन

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Published : Mar 11, 2023, 10:20 AM IST

New district formation committee

राजस्थान में नए जिलों के गठन के संबंध में राज्य सरकार को सुझाव देने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार देर रात कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा फैसला लेते हुए राजस्थान में बरकरार नए जिलों के फैसले को टाल दिया है. मुख्यमंत्री ने शुक्रवार देर शाम बाद एक आदेश में नए जिलों को लेकर गठित रामलुभाया कमेटी के कार्यकाल में छह महीने का विस्तार दिया. मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद साफ हो गया है कि फिलहाल राजस्थान में नए जिले नहीं बनेंगे. बता दें कि राजस्थान में नए जिलों के गठन की मांग को देखते हुए मौजूदा अशोक गहलोत सरकार ने सेवानिवृत्त भारतीय सेवा के प्रशासनिक अधिकारी राम लुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च, 2022 को एक कमेटी का गठन किया था. 13 मार्च को इस कमेटी का कार्यकाल समाप्त होने वाला था. ऐसे में इसके काम को विस्तार दिया गया है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट भाषण में भी जिक्र करते हुए कहा था कि नए जिलों को लेकर बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट अभी सरकार को नहीं मिली है. इस कारण से बजट में फैसला नहीं हो पाया है. समिति की ओर से रिपोर्ट पेश किए जाने में अभी और वक्त लग रहा है. इसे देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला लिया है. रामलुभाया की अध्यक्षता में मनीष कमेटी को नए जिले की गठन को लेकर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.

नये जिलों की मांग बड़ी चुनौती : प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों से नए जिले गठन की मांग लगातार उठ रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि फिलहाल सरकार किसी विवाद से बचने के लिए कमेटी के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला ले चुकी है. ऐसे में अब विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले ही कोई फैसला होने के आसार हैं. यह भी जाहिर है कि राजस्थान में पिछले 14 साल से कोई नया जिला नहीं बना है.

26 जनवरी 2008 में बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार ने प्रतापगढ़ को नया जिला बनाया था. उसके बाद तीन सरकारें आईं, लेकिन नए जिलों की मांग पर कोई फैसला नहीं हुआ. ऐसे में नये जिलों के लिए साल 2014 में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आईएएस परमेश चंद की अगुआई में एक समिति गठित की थी. जिसकी रिपोर्ट साल 2018 में आई थी, लेकिन नए जिलों पर कोई ऐलान नहीं हुआ. मौजूदा अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में सत्ताधारी दल के कई विधायक और नेता लगातार सरकार पर अब नए जिलों के गठन का दबाव बना रहे हैं, पर फैसला आसान नजर नहीं आ रहा है.

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नए जिलों के प्रस्तावों में एक लंबी फेहरिस्त : राम लुभाया कमेटी को प्रदेश भर से मिले नए जिलों के प्रस्तावों में एक लंबी फेहरिस्त मिली है. प्रमुख रूप से नए जिलों की मांग वाले शहरों में जयपुर जिले के सांभर लेक, दूदू, विराटनगर, शाहपुरा और कोटपूतली, बाड़मेर के बालोतरा और गुडामालानी , जोधपुर के फलौदी, नागौर जिले के डीडवाना, मकराना, मेड़ता सिटी, जसवंतगढ़, लाडनूं और कुचामन सिटी, अजमेर जिले के ब्यावर, केकड़ी और किशनगढ़, अलवर के बहरोड़, खैरथल, नीमराना और भिवाड़ी.

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इसके अलावा सीकर जिले के नीम का थाना, फतेहपुर शेखावाटी, श्रीमाधोपुर और खंडेला, झुंझुनू के उदयपुरवाटी, जैसलमेर के पोकरण, चूरू जिले के सुजानगढ़ और रतनगढ़, श्रीगंगानगर के अनूपगढ़, सूरतगढ़ और घड़साना, हनुमानगढ़ जिले के नोहर, भादरा,बीकानेर के नोखा,कोटा के रामगंज मंडी और छबड़ा, झालावाड़ के भवानीमंडी, भरतपुर में डीग, बयाना, कामां और नगर सहित सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी जैसे करीब 60 शहरों ने नए जिलों में उनके क्षेत्र को प्रमुखता से शामिल करने की मांग उठाई है.

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