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RAJASTHAN SEAT SCAN: नसीराबाद सीट पर बीजेपी का कब्जा रहेगा बरकरार या कांग्रेस का 'गढ़' फिर होगा मजबूत

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 6, 2023, 9:59 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 6:01 PM IST

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राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति का पारा जैसे-जैसे चढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे हर विधानसभा क्षेत्रों से दावेदारों की ताल भी सुनाई देने लगी है. इस बीच भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल जीत का परचम चुनाव में फहराने के लिए सधी रणनीति से आगे बढ़ रहे हैं. जारी राजनीतिक हलचल के दरमियान आज हम आपको नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के सियासी मिजाज को बता रहे हैं.

अजमेर.राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के मैदान में उतरे भाजपा-कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति को जमीनी रूप देने लगे हैं. एक-एक दिन बीतने के साथ तेज हो रहे सियासी बयानबाजी के बीच जीत का गुणा-भाग भी चल रहा है. इस बीच आज हम आपको नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के सियासी मिजाज को समझा रहे हैं.

नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां के सियासी समीकरण हमेशा कांग्रेस के पक्ष में रहे हैं, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक खिसकने से यहां पर भाजपा का कब्जा है. ऐसे में अबकी बार होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों के सामने चुनौतियां बरकरार हैं. कांग्रेस के सामने जहां इस सीट को दोबारा अपने कब्जे में लेने की चुनौती है. वहीं, भाजपा के सामने इस सीट को बरकरार रखने की चुनौती बनी हुई है.

नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या.

जानें नसीराबाद कोःअजमेर के निकट नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के शहरी भाग में सैन्य छावनी है. इस कारण नसीराबाद के शहरी क्षेत्र में सफाई, सड़क, नाली समेत सभी मूलभूत कार्य छावनी परिषद के जिम्मे रहा है. यहां 5 वर्ष पहले ही नसीराबाद नगर पालिका का गठन हुआ है. खास बात यह है कि नसीराबाद नगर पालिका राजस्थान की सबसे छोटी नगर निकाय है. इसमें 20 वार्डो में कुल मतदाता ही एक हजार 50 के लगभग हैं. नसीराबाद विधानसभा के बीच से नेशनल हाईवे 79 निकलता है.

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इस कारण शहर के साथ-साथ व्यापार हाईवे की सड़क के दोनों और फल फूल रहा है. नसीराबाद में ज्यादातर लोग व्यापार और कृषि से जुड़े हुए हैं. यहां ट्रेलर और ट्रकों की बॉडी बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है. नसीराबाद का एक सिरा मसूदा विधानसभा तो दूसरा सिरा किशनगढ़ विधानसभा को छूता है. वहीं, नसीराबाद की सीमाएं केकड़ी विधानसभा और इधर अजमेर को छूती हैं. नसीराबाद में चवन्नी लाल का कचोरा अपने चटपटे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. कचोरी का बड़ा आकार ही इसका आकर्षण है, नसीराबाद के प्रसिद्ध चटपटे कचोरे की तरह यहां कि सियासत भी चटपटी रही है.

विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार.

कांग्रेस का रहा है गढ़, 9 बार मिली जीतःनसीराबाद विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना गया है. 1957 से लेकर 2018 तक 9 बार कांग्रेस ने नसीराबाद से जीत हासिल की है. यहां 1957 में पहली बार ज्वाला प्रसाद एमएलए बने थे. वह 1962 तक नसीराबाद से एमएलए रहे. नसीराबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह छह बार 1980 से 2003 तक विधायक रहे हैं. गोविंद सिंह कई बार मंत्री भी रहे. कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह गुर्जर पांडिचेरी के उप राज्यपाल भी रहे हैं. कांग्रेस की नसीराबाद सीट पर मजबूत पकड़ रही है, लेकिन बीते एक दशक से नसीराबाद में कांग्रेस की पकड़ ढीली हो गई है. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर ने कांग्रेस के इस गढ़ को भी ढहा दिया.

पिछले चुनाव में यह रहा परिणाम.

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2003 से 2018 तक नसीराबाद सीट हाल

वर्ष 2003 में कांग्रेस से गोविंद सिंह गुर्जर और बीजेपी से मदन सिंह रावत के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था. इस चुनाव में आठ उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. कुल 91 हजार 910 मत पड़े थे. इस मुकाबले में कांग्रेस से गोविंद सिंह गुर्जर को 43 हजार 611 मत मिले थे. वहीं बीजेपी से मदन सिंह रावत को 43 हजार 158 मत मिले थे. बहुत ही कम अंतर से गोविंद सिंह गुर्जर ने जीत हासिल की थी.

वर्ष 2008 में नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह गुर्जर के निधन के बाद उनके परिवार से ही महेंद्र सिंह गुर्जर को कांग्रेस ने टिकट दिया था. चुनाव में महेंद्र सिंह गुर्जर और बीजेपी से कद्दावर जाट नेता सांवरलाल जाट के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. चुनाव में 6 उम्मीदवार मैदान में थे. चुनाव परिणाम यहां कांग्रेस के पक्ष में रहा. कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र गुर्जर को 52 हजार 815 और बीजेपी प्रत्याशी सांवरलाल जाट को 52 हजार 744 मत मिले. महज 71 वोटों से कांग्रेस ने यहां अपनी जीत बरकरार रखी.

विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार.

वर्ष 2013 में नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी ने यहां कद्दावर जाट नेता सांवरलाल जाट को दोबारा मैदान में उतारा था. 1980 से लगातार कांग्रेस के गढ़ रहे नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में पहली बार सन 2013 के चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की. बीजेपी के सांवरलाल जाट को 84 हजार 953 रिकॉर्ड मत मिले. वहीं कांग्रेस के महेंद्र सिंह गुर्जर को 56 हजार 53 मत मिले. पहली बार कांग्रेस नसीराबाद सीट से रिकॉर्ड 28 हजार 900 मतों से परास्त हुई थी. इस उलटफेर का बड़ा कारण मोदी फैक्टर था.

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सांवर लाल जाट ने 2014 में सचिन पायलट के सामने लोकसभा का चुनाव लड़ा था. जाट को जीत मिली थी. केंद्र में मोदी सरकार ने सांवरलाल जाट को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया था. 2013 में जाट ने नसीराबाद से विधानसभा का चुनाव जीता था. जाट के सांसद बनने के बाद विधानसभा सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव हुए जिसमें सरिता गैना को बीजेपी ने मैदान में उतारा. कांग्रेस ने रामनारायण गुर्जर को टिकट दिया. उपचुनाव में रामनारायण गुर्जर ने जीत हासिल की. इधर सांसद रहते हुए जाट का निधन हो गया और अजमेर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए. इस चुनाव में सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतर गया. कांग्रेस ने डॉ रघु शर्मा को लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया. यह उप चुनाव डॉक्टर रघु शर्मा जीते थे. इसके बाद नसीराबाद से 2018 में बीजेपी ने रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा. इस बार रामस्वरूप लांबा ने जीत हासिल की.

पिछले चार चुनाव का यह रहा परिणाम.

नसीराबाद सीट से यह हैं दावेदारः नसीराबाद विधानसभा सीट से कांग्रेस और भाजपा में अगले चुनाव को लेकर कई दावेदार ताल ठोक रहे हैं. कांग्रेस की बात करें तो पूर्व विधायक महेंद्र गुर्जर, पूर्व विधायक राम नारायण गुर्जर, सौरभ बजाड़, नोरत गुर्जर, हैं. वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नाम की भी चर्चा है. बीजेपी से वर्तमान विधायक रामस्वरूप लांबा, सरिता गैना, शक्ति सिंह रावत, गोपाल गुर्जर, ओम प्रकाश भडाणा आदि दावेदार में शामिल हैं.

विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार.

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नसीराबाद सीट में जातीय समीकरणः नसीराबाद विधानसभा सीट में गुर्जर और जाट समाज के मतदाता सर्वाधिक हैं. वहीं, रावत और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अधिक है. मुस्लिम और गुर्जर कांग्रेस का वोट बैंक रहा है. जाट और रावत भाजपा का वोट बैंक है. इसके अलावा ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य, एससी मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में 226 मतदान केंद्रों में कुल 2 लाख 29 हजार 290 मतदाता हैं. इनमें सर्वाधिक गुर्जर 38 हजार 400, जाट 35 हजार 500, एससी 38 हजार 200 मतदाता हैं. इसी प्रकार मुस्लिम 17 हजार , रावत, 26 हजार 100, राजपूत 7 हजार 985, वैश्य 15 हजार, ब्राह्मण 6 हजार 890, यादव 4 हजार 845, चीता मेहरात 17 हजार 450 मतदाता हैं. वहीं, माली और खाती 11 हजार 867, कुम्हार और कुमावत 8 हजार 922, सिंधी 4 हजार 862 शेष अन्य जातिया हैं. डेढ़ दशक से इस सीट पर कांग्रेस गुर्जर और बीजेपी जाट समाज के व्यक्ति को चुनावी समर में उतारती आई है.

Last Updated :Dec 1, 2023, 6:01 PM IST

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