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Ajmer Sharif Urs 2023: 811 वर्ष पुरानी परंपरा निभा रहे मलंग, छड़ी के जुलूस में दिखाए हैरतअंगेज कारनामे

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Published : Jan 22, 2023, 8:26 PM IST

Updated : Jan 22, 2023, 8:36 PM IST

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स के मौके पर दरगाह में परचम (Stick procession in Ajmer) लाने की परंपरा है. इसी को पूरा करने के लिए सैंकड़ों मलंग कई किलोमीटर चलकर अजमेर पहुंचे. रविवार को मलंगों ने परचम लेकर जुलूस निकाला और हैरतअंगेज करतब दिखाए.

Ajmer Sharif Urs 2023
Ajmer Sharif Urs 2023

811 वर्ष पुरानी परंपरा निभा रहे मलंग

अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स के मौके पर देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में मलंग अजमेर पहुंचे हैं. यहां 811 वर्ष पहले ख्वाजा गरीब नवाज के पसंदीदा खलीफा (शिष्य) कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने दरगाह में परचम लाने की परंपरा शुरू की थी. यह मलंग आज भी उस परंपरा को निभा रहे हैं. रविवार को सैंकड़ों मलंग ने छड़ी का जुलूस निकालकर ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति अपनी आस्था प्रकट की.

दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी से हजारों मलंगों का जत्था शनिवार शाम को अजमेर पहुंचा. रविवार को ऋषि घाटी स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से हजारों मलंग हाथों में परचम लेकर दरगाह के लिए जुलूस के रूप में रवाना हुए. मार्ग में कई जगह पर शहर के लोगों ने मलंगों का फूलों की वर्षा कर इस्तकबाल किया. इस दौरान मलंगों ने अपने हैरतअंगेज करतब भी दिखाए. किसी मलंग ने तीखे सरिए को अपनी आंखों में डाला तो किसी ने अपने शरीर को सरियों से छेद दिया. गंज से देहली गेट, दरगाह बाजार होते हुए मलंगों का जुलूस दरगाह के निजाम गेट पहुंचा. अपने साथ महरौली से छड़ी लेकर आए मलंगों ने दरगाह में छड़ी पेश कर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हाजरी लगाई.

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25 दिन पहले महरौली से होते हैं रवाना :मलंगों ने बताया कि देश के कोने-कोने से ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वाले मलंग उर्स से 25 दिन पहले महरौली में एकत्रित होते हैं. वहां से हक मोइन या मोइन, दम मदार बेड़ा पार के नारे लगाते हुए हाथों में परचम थामे पैदल अजमेर दरगाह के लिए रवाना होते हैं. बताया जाता है कि ख्वाजा गरीब नवाज के खलीफा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी सबसे पहले परचम लेकर दरगाह आया करते थे. इस परंपरा को मलंग आज भी पूरी शिद्दत के साथ उसी अंदाज में निभा रहे हैं.

छड़ी के जुलूस में दिखाए हैरतअंगेज कारनामे

खास बात यह है कि मलंगों के जत्थे में शामिल लोग विभिन्न धर्मों से जुड़े हुए हैं. ये ख्वाजा गरीब नवाज की आस्था की डोर से हर साल अजमेर आते हैं. परचम के साथ कई मलंग तिरंगा झंडा लेकर भी जत्थे में शामिल हुए. मलंगों का मानना है कि ख्वाजा गरीब नवाज ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. दुनिया को मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया. इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म बताया. वह सफर में गरीब नवाज की इन्हीं शिक्षाओं का संदेश भी देते हैं.

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जत्थे को अनुशासित और सुरक्षा खुद करते हैं मलंग :ख्वाजा गरीब नवाज के खलीफा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के बाद चंद मलंग उनकी परंपरा को निभाने अजमेर आते थे. लेकिन वक्त के साथ यह कारवां बढ़ता गया. फिलहाल ढाई हजार से 3 हजार मलंग अजमेर आते हैं. खास बात यह है कि इन मलंगों में कई अलग अलग जत्थे हैं, उनका अपना सरदार है. यह सभी अपने सरदार के आदेश की पालना करते हुए अनुशासित रहते हैं. जुलूस में हजारों मलंगों के जुलूस में पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था रहती है. लेकिन जुलूस में अनुशासन का जिम्मा मलंग खुद संभालते हैं.

रोशनी की दुआ से पहले पेश करते है परचम :गंज स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से दरगाह के लिए रवाना हुए मलंग नाचते गाते करतब दिखाते हुए रोशनी के वक्त से पहले दरगाह पंहुचे. जहां परंपरा अनुसार मलंगों ने छड़ी पेश कर देश मे अमन, चैन, खुशहाली और भाईचारे की दुआ मांगी. बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों से आए मलंग सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स में शामिल होते हैं. इसके बाद केवल हजरत निजामुद्दीन जिगर सोख्ता सरवाड़ शरीफ के उर्स तक यहां ठहरते हैं. इसके बाद ही अपने गंतव्य के लिए रवाना होते हैं.

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कई राज्यों से आते हैं ढोल वादक :उर्स के मौके पर कई राज्यों से ढोल वादक भी अजमेर आते हैं. मलंगों के छड़ी के जुलूस में भी कई राज्यों से आए ढोल वादक भी शामिल होते हैं. इस बार भी ढोल वादकों ने अपने प्रदर्शन से सबका मन मोहा. मलंगों के जुलूस और उनके करतब को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचे.

बांग्लादेश से शामिल हुए 43 सदस्यों के दो जत्थे :इस बार बांग्लादेश से 43 सदस्यों के दो जत्थे भी मलंगों के जुलूस में शामिल हुए हैं. अजमेर में गोदड़ी शाह इंतजामिया कमेटी के सदस्य मोहम्मद अमीन ने बताया कि दिल्ली के महरौली में कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की बरसों पुरानी रिवायत को मलंग आज भी निभा रहे हैं. ख्वाजा गरीब नवाज में मलंगों की गहरी आस्था है. यहां गोदड़ी शाह खानखाह मलंगों की व्यवस्था करते है.

Last Updated :Jan 22, 2023, 8:36 PM IST

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