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Swachh Survekshan 2021 : स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ने के बाद अब रैंक सुधारने के लिए नई चुनौतियों पर भी पाना होगा पार

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Published : Nov 23, 2021, 6:54 PM IST

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 (Swachh Survekshan 2021) के परिणामों ने ये साबित कर दिया कि राजधानी में दोनों नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) मिलकर भी सफाई-व्यवस्था को दुरुस्त नहीं रख पाए. न तो निगम प्रशासन सीएंडडी वेस्ट प्लांट लगा पाया, न सेग्रीगेट कचरा कलेक्शन कर पाया. नतीजा ये रहा कि दोनों ही नगर निगमों को गार्बेज फ्री सिटी के जीरो अंक मिले हैं और इस बार वेस्ट वाटर मैनेजमेंट (Waste Water Management) की चुनौती और जुड़ गई है.

Jaipur Municipal Corporation
स्वच्छता सर्वेक्षण 2021

जयपुर. राजधानी में दो नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) होने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि शहर की सफाई-व्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दो निगम होने के बाद पहली बार रैंकिंग आई. इसमें ये साबित हो गया कि नगर निगम प्रशासन सफाई व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है. ग्रेटर नगर निगम (Nagar Nigam Greater Jaipur) में तो पिछले एक साल में सियासत हावी रही.

वहीं, हेरिटेज निगम (Nagar Nigam Heritage Jaipur) को व्यवस्थाओं में सुधार के लिए काफी कुछ करना है. क्योंकि इस बार स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में शहर के दोनों निगमों के सामने अपनी पुरानी खामियों को दूर करते हुए नई चुनौतियां भी शामिल होंगी और समय भी ज्यादा नहीं बचा.

अब रैंक सुधारना बड़ी चुनौती...

सर्विस लेवल प्रोग्रेस - 3000

सेग्रीगेशन कलेक्शन 900
सस्टेनेबल सैनिटेशन 900
प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल 1200

सर्टिफिकेशन...

स्टार सिटी रेटिंग 1250
ओडीएफ स्टेटस 1000

पीपल फर्स्ट (सिटीजन वॉइस) - 2250

सिटीजन फीडबैक 600 (यूथ-200, सीनियर सिटीजन-400)
सिटीजन इंगेजमेंट 550
डायरेक्ट ऑब्जरवेशन 350
स्वच्छता एप 400
डिजास्टर एंड एपिडेमिक रिस्पांस प्रिपेयरनेस 200
म्युनिसिपल रेस्पॉन्स ड्यूरिंग कोविड-1 150

हालांकि, जयपुर के दोनों नगर निगम समीक्षा और सुधार के काम में जुट गए हैं. ग्रेटर और हेरिटेज निगम को पब्लिक टॉयलेट को साफ रखने, ओपन कचरा डिपो खत्म करने कचरे का सेग्रीगेशन करने, वाटर बॉडीज को अतिक्रमण मुक्त करने जैसी कई बड़ी चुनौतियों पर पार पाना होगा. इसके अलावा डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की खामियों को दूर करना भी निगम की प्राथमिकता में शामिल होगा.

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आपको बता दें कि इंदौर के लगातार 5 साल से स्वच्छता रैंकिंग में अव्वल आने के पीछे नगर निगम की सक्रियता है. जबकि राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के दूसरे निकायों में स्थिति ये है कि कोई निकाय कचरे का निस्तारण तक गंभीरता से नहीं कर पा रहा. इंदौर और जयपुर में कचरा कलेक्शन पर लगभग बराबर पैसा खर्च किया जाता है. लेकिन बड़ा अंतर ये है कि इंदौर में सफाई के सारे काम निगम अपने स्तर पर, जबकि जयपुर में ये काम ठेके पर दे दिया गया है. जिसकी निगरानी ठीक से नहीं होने की वजह से आज जयपुर इतना पिछड़ गया है.

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