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राजस्थान की तरह अब दिव्यांग जनों को सत्ता में भागीदारी के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए परिवाद

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Published : Aug 7, 2021, 5:12 PM IST

राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां स्थानीय निकायों (local bodies) में दिव्यांग जन (Handicapped) को भागीदारी का मौका मिला है. इसी के तर्ज पर अब दिव्यांग जनों के सत्ता में भागीदारी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनाने के लिए परिवाद दायर किया गया है.

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दिव्यांग जनों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए परिवाद

जयपुर.राजस्थान में अब सत्ता और राजनीति में दिव्यांगों की ताकत दिखाई देगी. प्रदेश में दिव्यांग व्यक्ति निकायों में पार्षद के रूप में मनोनीत किए गए हैं. जिससे उनका मनोबल भी बढ़ रहा है. साथ ही अब वे राजनीति में सक्रिय होकर अपने जैसों की आवाज बुलंद कर पाएंगे. वहीं राजस्थान की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्धारित करने के लिए दिव्यांग अधिकार महासंघ ने विशेष योग्यजन न्यायालय में परिवाद दायर किया है.

एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं को विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण दिया जा रहा है. दिव्यांग जनों को आरक्षण तो दूर मनोनीत भी नहीं किया जा रहा. उसके लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. जबकि भारत के संविधान की मूल भावना में पिछड़ों को आगे लाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई.

दिव्यांग जनों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए परिवाद

सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि दिव्यांग व्यक्ति भी एसटी, एससी के समान लाभ पाने के हकदार है क्योंकि वो भी पिछड़े हुए हैं. ऐसे में पूरे देश में दिव्यांग जनों को भी सत्ता में भागीदारी मिलनी चाहिए. इसे लेकर भारत सरकार के विशेष योग्यजन न्यायालय में भी परिवाद दायर किया गया.

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दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल (Hemant Bhai Goyal) के अनुसार राजस्थान में विशेष योग्यजनों को शहरी निकायों में सत्ता में अधिकार मिल गया लेकिन दूसरे प्रदेशों का क्या. इस संबंध में अब एक राष्ट्रीय नीति बनाई जानी चाहिए. जिससे हर एक ग्रामीण और शहरी निकायों में दिव्यांगों को मनोनीत करने के लिए भारत सरकार पहल करे. विशेष योग्यजन न्यायालय ने इस परिवाद पर भारत सरकार के दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है.

देश में राजस्थान ऐसा पहला राज्य है, जहां स्थानीय निकायों (local body) में दिव्यांगजन को भी मनोनीत किया जा रहा है. दिव्यांगों को सत्ता और राजनीति में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से गहलोत सरकार ने ये फैसला लिया था. अब प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक दिव्यांग व्यक्ति को पंच के रूप में मनोनीत करने के लिए पंचायती राज अधिनियम में भी संशोधन करने के लिए भी अनुरोध किया गया है.

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